नई दिल्ली/विजयवाड़ा : उपराष्ट्रपति, एम. वेंकैया नायडू ने आज विश्वास व्यक्त किया कि यूक्रेन में फंसे प्रत्येक भारतीय को सुरक्षित घर वापस लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। आज विजयवाड़ा में ‘भारत देसा पक्षाना’ – विल ड्यूरेंट के– ‘ए केस फॉर इंडिया’ का तेलुगू अनुवाद’ पुस्तक के विमोचन समारोह में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री, श्री एस. जयशंकर ने उन्हें युद्ध क्षेत्र में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में अवगत कराया।
श्री नायडू ने कहा कि भारत देश के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के बारे में एक समुचित दृष्टिकोण अपना रहा है। उन्होंने सभी लोगों से देश के हितों की रक्षा के लिए एक स्वर में बोलने और ऐसा कुछ भी न कहने का अनुरोध किया जो भारत के लिए हानिकारक हो।
उपराष्ट्रपति ने भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के वर्गों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार और गलत सूचना अभियान चलाने की निंदा की और कहा कि कुछ शक्तियां भारत की प्रगति और एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उसके उभरने को सहन नहीं कर पा रही हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सभी देशों के साथ हमेशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है। उन्होंने स्मरण किया कि भारत कभी विश्वगुरु के रूप में जाना जाता था और वह सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से शक्तिशाली था। उन्होंने कहा कि भारत अन्य देशों की सहायता करने के लिए एक मजबूत, स्थिर और समृद्ध राष्ट्र बनना चाहता है।
उपराष्ट्रपति ने कुछ ताकतों द्वारा भारत को जाति, पंथ, क्षेत्र और धर्म के नाम पर विभाजित करने के प्रयासों की भी आलोचना की।
ब्रिटिश शासन के बारे में बोलते हुए, श्री नायडू ने कहा कि अंग्रेजों ने न केवल हमारी संपदा को लूटा है, बल्कि उन्होंने हमारे स्वाभिमान को भी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की जो दोषपूर्ण और बहिष्कृत थी, अंग्रेजों ने कभी भी भारत की उपलब्धियों की महानता पर प्रकाश नहीं डाला, बल्कि हमारे इतिहास को विकृत किया।
श्री नायडू ने कहा कि लोगों के लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि कैसे औपनिवेशिक शासन ने हमारे भारतीय समाज का विभाजन किया, हमारे स्थानीय उद्योगों को नष्ट किया और भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया।
ब्रिटिश शासन का अध्ययन करने के लिए विल ड्यूरेंट की पुस्तक का एक उपयोगी संसाधन के रूप में संदर्भ देते हुए, श्री नायडू ने कहा कि प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार ने ‘150 वर्षों तक इंग्लैंड द्वारा भारत का जान-बूझकर खून बहाना’ दिखाकर भारत में ब्रिटिश शासन के वास्तविक स्वरूप का खुलासा किया है और इसका सर्वकालीन इतिहास में सबसे बड़े अपराध के रूप में वर्णन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि ड्यूरेंट का कार्य भारत की प्राचीन सभ्यता और विश्व की भाषाओं, संस्कृति और गणित में इसके योगदान को मान्यता देता है।
अनुवादक श्रीमती नडेला अनुराधा और प्रकाशक श्री अशोक के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री नायडू ने ऐतिहासिक कार्यों का भारतीय भाषाओं में अधिक-से-अधिक अनुवाद करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
श्री नायडू ने प्रसिद्ध ‘‘जगन्नाथष्टकम’’ या भगवान जगन्नाथ और जगन्नाथ दर्शन पर एक अष्टपदी सीडी जारी की। यह उल्लेख करते हुए कि ‘जगन्नाथ संस्कृति’ हमारे देश की सभी संस्कृति प्रवृत्तियों और धार्मिक विचारधाराओं का संश्लेषण है’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि जगन्नाथ संस्कृति जाति, पंथ या धर्म के आधार पर भक्तों में भेदभाव नहीं करती है और यही विश्व में इसकी लोकप्रियता का कारण है। श्री नायडू ने कहा कि वर्तमान स्थिति में जब दुनिया में भौतिकवाद और सामाजिक तनाव बढ़ रहे हैं, आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना समय की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने आध्यात्मिक संगठन डिवाइन कैप्सूल के अध्यक्ष श्री प्रसेनजीत हरिचंदन को सीडी बनाने और गायक श्री सुरेश वाडेकर और संगीत निर्देशक श्री जगन दास को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी।
श्री मंडली बुद्ध प्रसाद, आंध्र प्रदेश के पूर्व डिप्टी स्पीकर, डॉ. चडालवाड़ा नागेश्वर राव, अध्यक्ष, सिद्धार्थ अकादमी, श्री चुक्कापल्ली प्रसाद, सचिव, स्वर्ण भारत ट्रस्ट, श्री डी. अशोक कुमार अलकनंदा प्रचुरानालु और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे।