गुरुग्राम, 25 फरवरी। सभी बिल्डर बड़े प्रोजेक्ट्स को विभिन्न फेजों में बनाने के बजाय छोटे प्रोजेकेट्स बनाने की दिशा में कार्य करें ताकि सभी अलॉटियों को समय पर पजेशन मिले व उनका एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (ईडीसी) भी तय समय सीमा में जमा किया जा सके। हरियाणा नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने गुरुग्राम के लीला होटल में आयोजित अर्बन डेवलपमेंट कॉन्क्लेव के पहले दिन बाहरी विकास शुल्क यानी ईडीसी के विषय पर आयोजित सत्र में बोलते हुए यह बात कही। श्री देवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आगे आकर शहरी क्षेत्र में विकास करवाने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठाएं है। ऐसे में डेवलपर्स की भी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे तय समय सीमा में अपना बकाया ईडीसी जमा करवाएं।
सत्र के दौरान विभाग के महानिदेशक श्री के मकरंद पांडुरंग ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ईडीसी का समय पर ना मिलना निश्चित तौर पर विकास कार्यों की गति को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि शहरीकरण को लेकर प्रदेश सरकार का काफी उदारवादी नजरिया है इसलिए वे डेवलपर्स, जिनका ईडीसी अभी बकाया है, वे इस पर गंभीरता से ध्यान देते हुए जल्द से जल्द इसको जमा करवाना सुनिश्चित करें।
सत्र में नरेडको हरियाणा के उपाध्यक्ष श्री आर के अरोड़ा ने कहा कि ईडीसी डेवलपर्स व सरकार दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है।डिवेलप्मेंट होगा तो कलेक्शन भी डेवलपर्स के पास ही आएगा। उन्होंने माना कि कोरोना काल के दौरान ईडीसी कलेक्शन का कार्य काफी प्रभावित हुआ था लेकिन अब चूंकि रियल एस्टेट मार्किट दोबारा से उठ रही है, ऐसे में सभी डेवलपर्स को ईडीसी का बकाया पैसा जमा करवाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
सत्र में चीफ टाउन प्लानर जेपी सिहाग ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि प्रदेश सरकार की समाधान से विकास ‘वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी’ के तहत 10 अगस्त 2020 तक 512 डेवेलोपेर्स ने 1130 करोड़ व 16 नवंबर 2021 तक 376 डिफॉल्टर्स ने 311 करोड़ रुपए की राशि ईडीसी के रूप में जमा करवाई है लेकिन अभी भी डेवलपर्स की तरफ ईडीसी के रूप में प्रिंसिपल अमाउंट पर ब्याज व पीनल ब्याज मिलाकर करीब 15 हजार 585 करोड़ की राशि बकाया है।
इस सत्र में जिन विषयों पर चर्चा हुई कि कुछ डेवलपर्स ने ईडीसी की राशि अलॉटियों से तो ले ली है लेकिन सरकार के पास जमा नही कराई। ईडीसी रिकवरी के लिए निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया गया ताकि अलॉटियों के हितों को प्रभावित किए बिना मूलभूत सुविधाऐ उपलब्ध करवायी जा सके। इस दौरान उन्होंने डेवेलोपेर्स की ईडीसी के आधार पर रेटिंग तय करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि रेटिंग के आधार पर अलॉटी यह तय कर पायेगा कि जिस डिवेलपर से वह डील कर रहा है उसकी मूलभूत सुविधाएं उपलब्धता की क्या स्थिति है।
सत्र के दौरान हरियाणा के चीफ टाउन प्लानर पी.पी सिंह व क्रेडाई के प्रतिनिधि अंकित गोयल ने भी अपने विचार रखे।