लखनऊ । समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोक सभा सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को लगभग 23 महीने बाद जमानत मिल गई है। अब्दुल्ला सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा हो गए . उसे शनिवार शाम को जेल से रिहा कर दिया गया। अब्दुल्ला ने ऐलान किया है की वह विधानसभा चुनाव लडेगा और सुर विधानसभा क्षेत्र से ही मैदान में उतरेगा . उल्लेखनीय है कि सपा नेता आजम खान के छोटे बेटे अब्दुल्ला पर उनके पिता के साथ चोरी से लेकर जबरन वसूली और जालसाजी तक के 43 मामले दर्ज हैं। इन सभी मामलों में अब्दुल्ला को रामपुर की निचली अदालतों से जमानत दे गई है।
अब्दुल्ला ने सीतापुर जेल के बाहर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं सिर्फ एक ही बात कहूंगा कि 10 मार्च के बाद जुल्म खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि जुल्म करने वाले को भी गद्दी से उतार दिया जाएगा।
बताया जाता है कि जमानत के बाद रिहाई के आदेश शनिवार दोपहर तक सीतापुर जेल भेज दिया गया था जिससे अब्दुल्ला की रिहाई का रास्ता साफ हो गया। आजम की पत्नी तजीन फातिमा दिसंबर 2020 में सीतापुर जेल से रिहा हुई थीं। दूसरी तरफ आजम खान को अभी तक उन सभी मामले में जमानत नहीं मिली है।
गौरतलब है कि अब्दुल्ला 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सुर निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के विधायक के रूप में उनके चुनाव को इस आधार पर रद्द कर दिया था. डॉक्यूमेंट के आधार पर वह कम उम्र के थे और 2017 में चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थे।
कौन कौन से आरोप हैं ?
-उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद ही आजम खान के खिलाफ रामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की 104 एकड़ जमीन नियमों के खिलाफ कब्जाने के लिए राजस्व बोर्ड में 10 मामले दर्ज किए गए थे।
-2019 में, कुछ महीनों के भीतर जालसाजी, चोरी, जबरन वसूली और अन्य अपराधों के लिए आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 70 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे।
– इनमें अधिकतर मामले जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में हड़पी गई भूमि के अतिक्रमण से संबंधित थे. इसके अध्यक्ष आजम खान हैं।
– आजम खान पर एक सरकारी स्कूल से पुरानी किताबें चुराकर अपने पुस्तकालय में रखने का भी आरोप लगाया गया।
-शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने जौहर अली विश्वविद्यालय के अंदर स्थित मुमताज पुस्तकालय में छापा मारा और वहां से 2,000 से अधिक पुरानी किताबें बरामद कीं।
-उनके खिलाफ कई मामलों को देखते हुए, जिला प्रशासन ने उन्हें रामपुर में भू-माफिया के रूप में भी नामित किया।
सपा नेता व पूर्व मंत्री आजम खान ने पहले तो इन मामलों को राजनीतिक करार दिया था लेकिन जब तीव्र आलोचना होने लगी तो बढ़ते कानूनी दबाव और बार-बार अदालती नोटिसों के आगे उन्होंने घुटने टेक दिए। हालांकि उन्होंने अग्रिम जमानत लेने की भी पूरी कोशिश की लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो आत्म समर्पण कर दिया ।
कानूनी जाल में फंसे आजम खान ने फरवरी 2020 में अपनी पत्नी और बेटे अब्दुल्ला आजमके साथ रामपुर में एक एमपी-एमएलए कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था . कोर्ट के आदेश पर तीनों को सीतापुर जेल भेज दिया गया था.