नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी . तीनों कानूनों को रद्द करने वाला बिल 29 नवंबर को लोक सभा और राज्य सभा से पारित हुआ था. आज राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही तीनों कृषि कानून अब निरस्त हो गए . इसके लिए पिछले एक साल से अधिक समय से किसान आंदोलित थे . संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का आन्डदोलन अब भी जारी है . उन्होंने सरकार से एम् एस पी को कानूनी रूप देने की मांग कि है जबकि किसानों पर दर्ज मामले भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी. लगभग 18 मिनट के भाषण में उन्होंने वायदा किया था कि एमएसपी को लेकर कमेटी गठित की जाएगी.
भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने मिडिया से बातचीत में कहा है कि किसान आंदोलन ख़त्म हो सकता है अगर आंदोलन के 687 शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा मिले. किसानों पर दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिया जाए और आंदोलन वापस होने के बाद ‘एमएसपी क़ानून’ बनाने पर चर्चा की लिखित गारंटी दी जाए.
इधर किसान नेता दर्शनपाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए समिति गठित करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से पांच नाम मांगे हैं. उन्होंने कहा कि चार दिसंबर को होने वाली बैठक में इस पर फैसला लिया जायेगा .