आपदा व विपरित परिस्थितियों को अवसर में परिवर्तित करें : बंडारू दत्तात्रेय

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– नैतिक मूल्यों के साथ न करें समझौता, दृढ़ संकल्प के साथ करें काम, सफलता अवश्य मिलेगी

– ‘ ये देश हमारा है, हम सब एक हैं‘ का दिया संदेश 

– गुरूग्राम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि की शिरकत

गुरुग्राम,12 नवंबर। हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आपदा व विपरित परिस्थितियां व्यक्ति के जीवन में चुनोतियों की तरह आती हैं । ऐसी परिस्थियों में यदि व्यक्ति नैतिक मूल्यों के साथ संकल्प से काम करे तो सफलता अवश्य मिलती है । ये चुनौतियाँ व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है और उसे एक अवसर प्रदान करती है कि वह किस प्रकार इन परिस्थितियों का सामना करते हुए उसे अवसर में तबदील कर सकते हैं।

वे आज गुरूग्राम विश्वविद्यालय में ‘आपदा में अवसर-व्यापार मॉडल की पुर्नरचना‘ विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से आपदा को अवसर में बदलने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में किसी ने सोचा भी  नहीं था कि कभी कोविड जैसी माहमारी भी आएगी लेकिन हमारे देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आपदा की इस घड़ी को अवसर में बदलते हुए वैक्सीन , मास्क, सैनिटाइजर व पीपीपी किट के निर्माण में अभूतपूर्व कार्य किया। इतना ही नहीं, देश की ग्रामीण महिलाओं ने कपड़ो के मास्क बनाकर देश को महामारी के बुरे दौर से निकालने में सार्थक भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौर में ‘आत्मनिर्भर भारत‘ का नारा दिया जो आज अभियान का रूप लेकर भारत को विकास के नए पथ आगे ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश ने आत्मनिर्भर होने का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कोरोनारोधी वैक्सीन बनाई और इसे विदेशों तक भी पहुंचाया।

श्री बंडारू ने श्लोक के माध्यम से सकारात्मक सोच का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया में तीन तरह के लोग होते है। पहले वे जो आपदा के डर से काम की शुरुआत ही नही करते, दूसरे वे जो काम तो शुरू करते है लेकिन आपदा के समय काम को बीच मे छोड़ देते है और तीसरे , वे जो आपदा आने पर काम को नही छोड़ते और दृढ़ संकल्प के साथ उसे पूरा करते हैं। सफलता ऐसी सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को ही मिलती है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच रखने वाले उत्तम व्यक्ति ही आपदाओं का सामना कर नए अविष्कार के जनक बनते है।

राज्यपाल ने कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि इस आपदा से पहले देश मे ऑनलाइन शिक्षा केवल लोगों की सोच तक ही सीमित थी लेकिन तकनीक ने इस आपदा में विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने का एक नया माध्यम प्रदान किया । आज कितने ही लोग इस माध्यम से डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को नसीहत देते हुए कहा कि आपको जीवन में धन के पीछे नही भागना है, बल्कि तकनीक व इनोवेशन के माध्यम से स्वंय को इस काबिल बनाए , उसके बाद धन आपके पास अपने आप आएगा ।

श्री बंडारू ने देश प्रेम के विषय पर भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि देश के युवाओं की सोच में देश सेवा का भाव पहले होना चाहिए, यही सोच भारत की शक्ति बनेगा। उन्होंने कहा कि आप जीवन मे किसी विषय पर रिसर्च करें लेकिन नैतिकता व नैतिक मूल्यों से समझौता ना करें।

राज्यपाल ने कोरोना काल मे गुरुग्राम यूनिवर्सिटी द्वारा शुरू की गई ‘सुकून‘ हेल्पलाइन की प्रशंसा भी की जिसके माध्यम से क़ोरोना के समय लाखों लोगों को लाभ पहुँचाया गया।

उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी का पौधा एक दिन महावृक्ष बनेगा। उन्होंने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में देश विदेश से 100 से अधिक शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र भेजें है जिनमें से 42 संगोष्ठी में पढ़े गये हैं, वहीं 39 शोध पत्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित जर्नल में शामिल किया गया है।

इससे पूर्व गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मार्केंडेय आहूजा ने कहा कि किस प्रकार हम जीवन में आने वाली अलग-अलग परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपदाएं हमारे जीवन में व्यक्तित्व निखार का प्रमुख माध्यम है लेकिन इसके लिए मजबूत व प्रभावी चरित्र का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मर्यादा पुरूषोतम राम, भगवान श्रीकृष्ण, प्रहलाद आदि का उदाहरण देते हुए जीवन की चुनौतियों का सामना करने संबंधी तथ्यों को उजागर किया।

इस अवसर पर गुरूग्राम विश्वविद्यालय की एडवाइजर डॉक्टर अंजू आहूजा ने अपने विचार रखते हुए ‘स्वास्थ्य को सर्वोपरि‘ बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर ने लोगों को स्वास्थ्य व बेहतर इम्युनिटी के महत्व का अर्थ समझ में आया है । ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ दिनचर्या अपनाते हुए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रह सकें। इसी प्रकार, कैनविन फाउंडेशन के फाउंडर डा. डी पी गोयल ने भी अपने विचार रखते हुए युवाओं का नशे से दूर रहने व दृढ़ संकल्प के साथ जीवन में आगे बढ़ने की सलाह दी। संगोष्ठी में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने भी संबोधित करते हुए सकारात्मक सोच व विचारधारा के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता निराशा के समय आशा की एक किरण है। गीता को पढ़कर उज्जवल जीवन की राह प्रशस्त की जा सकती है।गीता का ज्ञान हमें जीवन जीना सिखाता है ।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय से डा. अमरजीत कौर ने दो दिवसीय संगोष्ठी को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्यपाल ने संगोष्ठी में पधारे पैनलिस्ट वक्ताओं को सर्टिफ़िकेट तथा स्मृति चिन्ह प्रदान किए और रिसर्चर्स को सम्मानित किया।

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