उपराष्ट्रपति ने दीनबंधु सर छोटू राम के जीवन, कार्यों, लेखन और भाषण पर आधारित 5 खण्डों में प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन किया
सर छोटूराम को महान विभूति की संज्ञा दी जिन्होंने देश में पहला कृषि रिफार्म कानून बनाया
सभी सरकारों को किसानों से हमेशा बातचीत जारी रखने की दी सलाह
सर छोटूराम जैसे कई महान विभूतियों के योगदान को इतिहास में अपेक्षित स्थान नहीं दिया गया
सुभाष चौधरी
गुरुग्राम : उपराष्ट्रपति एम् वेंकैया नायडू ने आज महान विचारक व लेखक एवं किसानों के हितैषी दीनबंधु सर छोटू राम के जीवन, कार्यों, लेखन और भाषण पर आधारित 5 खण्डों में प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन किया. अपरेल हाउस गुरुग्राम में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति श्री नायडू के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी मौजूद थे. इस अवसर पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा तथा हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक राघवेंद्र सिंह भी मौजूद थे.
विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए लगभग 40 मिनट के अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने सर छोटूराम को महान विभूति की संज्ञा दी जिन्होंने देश में पहला कृषि रिफार्म कानून बनाया और किसानों को साहूकारों के चंगुल से आर्थिक रूप से आजाद कारवाया. सर छोटूराम के कार्यों और उनकी दूरदर्शी विचारधारा का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने बताया कि 1949 में उन्होंने महात्मा गांधी को उनकी जिन्ना से सम्बंधित नीतियों का जोरदार विरोध किया था. उन्होंने बल देते हुए कहा कि उस समय गांधी जी का विरोध करने का साहस जुटाना अपने आप में बड़ी बात थी जबकि जिस मुद्दे को लेकर उन्होंने विरोध जताया था वह उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आजादी की लड़ाई में कई ऐसे महान विभूतियों के योगदान को इतिहास में अपेक्षित स्थान नहीं दिया गया. उन्हें अपेक्षित सम्मान नहीं दिया गया और यहाँ तक कि उनके कार्यों, विचारों और उनके जीवन के महत्वपूर्ण शिक्षाप्रद पहलुओं से आज की पीढ़ियों को वंचित रखा गया. उन्होंने सर छोटू राम, चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे महान व्यक्तित्व के योगादन को इतिहास में नाम मात्र के लिए जगह दी गई. इनके कार्यों व विचारों को जानने से हमें वंचित रखा गया. उन्होंने कहा कि सर छोटू राम ने तब धर्म के आधार पर देश के बंटवारे का पुरजोर विरोध किया था. सरदार पटेल की उक्ति की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने बताया कि पटेल ने कहा था कि सर छोटू राम के रहते हुए हमें पंजाब की चिंता करने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने ऐसे महान विचारक एवं लेखक की जीवनी पर आधारित 5 खण्डों में प्रकाशित सभी ग्रंथों को हरियाणा विश्वविद्यालयों से लेकर पुस्तकालयों एवं पंचायतों में कम कीमत पर उपलब्ध करवाने की सलाह दी. हरियाणा सहित उत्तर भारत ही नहीं पूरे देश के बच्चों व युवाओं से इन ग्रन्थों का अध्ययन करने का आह्वान किया. उनका कहना था कि ऐसी विभूतियों का अध्ययन करने से भारतीय संस्कृति और परम्परा के प्रति हमारी सोच विकसित होगी और इसे पुष्ट करने में मदद मिलेगी.
किसानों के कल्याण के लिए जीवन समर्पित करने वाले दीनबंधु छोटूराम के बताये रास्तों को आज भी प्रासंगिक बताते हुए श्री नायडू ने केंद्र सरकार व सभी राज्य सरकारों को किसान हित में मिलकर काम करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि किसान के मुद्दे को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि सभी सरकारों ने इस क्षेत्र के लिए काफी कुछ किया है लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है.
कोरोना काल की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि इस महामारी के दौरान सभी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई लेकिन कृषि क्षेत्र में क्रमशः 4.5 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. यह दर्शाता है कि हमारे किसान देश के विकास के लिए किसी भी परिस्थिति में मेहनत करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों से बातचीत हमेशा होती रहनी चाहिए जिससे उनकी समस्याओं को समझ कर उसका माकूल निराकरण किया जा सके.
उन्होंने कहा कि ऐसा मैं राजनीति के कारण नहीं कह रहा हूँ. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अब राजनीति छोड़ चुके हैं और राजनीति में अब कभी प्रवेश नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि I am retired from politics but not tired . उनकी सलाह थी कि राजनीति से बाहर आकर भी सभी को किसानों के लिए सोचना चाहिए.
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भाषण के मुख्य अंश :
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को इस आयोजन के लिए दी बधाई
हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी को बधाई और सीएम मनोहर लाल को भी बहुत बहुत बधाई कि ये साहित्य आज जनता के बीच जा रहा है
उपराष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रशंसा भी की
आज के इस कार्यक्रम के लिए मुझे काफी दिन से इंतजार था लेकिन कोविड और लॅाकडाउन की वजह से आज ये विमोचन थोड़ा लेट हो रहा है
सब कार्यक्रम आजकल वर्चुअल होते हैं लेकिन इस कार्यक्रम को मैं हरियाणा की धरती से करना चाहता था
हमें सबसे पहले अपनी मातृभाषा और उसके बाद हमारी भारतीय भाषा को सीखना चाहिए
अंग्रेजी या दूसरी भाषा को भी सीखना चाहिए लेकिन हिंदी सबको सीखनी चाहिए
देश के प्रधानमंत्री से लेकर हमारे मौजूदा चीफ जस्टिस ने भी अपनी मातृभाषा को पहचान दी है
स्वयं मैं भी हिंदी विरोधी था और छात्र जीवन में हिंदी में लिखे बोर्ड पर कालीख पोती थी
लेकिन दिल्ली आकर इसके महत्व को समझा कि हमने हिंदी से लिखे बोर्ड पर नहीं बल्कि अपने माथे पर कालिख पोती
वर्त्तमान राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति अपनी भाषा में पढ़कर यहाँ तक पहुंचे
वर्तमान प्रधान मंत्री ने तो कभी कान्वेंट देखा नहीं
वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया भी अपनी मार्तिभाषा में पढ़कर इस पद तक पहुंचे
वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने न्याय की दुनिया में अग्रेजी हुकूमतों की परम्पराओं को छोड़ने और भारतीय परम्पराओं को अपनाने की शि वकालत की है
हमारी नई पीढ़ी का हमारे पूर्वजों से परिचय कराना बहुत जरूरी
हमें अब कोलोनियल सोच से बाहर आना जरूरी
राज्यसभा में एक परंपरा थी कि जब भी कागज रखना होता तो कहना पढ़ता था कि sir i raise to beg
हमने इस कोलोनियल सोच वाली भाषा को समाप्त करने की पहल की
लेकिन हमने उसको बदलकर कहा ये कहा जाए अध्यक्ष महोदय आपकी इजाजत से मैं ये कागज प्रस्तुत कर रहा हूँ
चौधरी छोटूराम जमीन से जुड़कर नए विचारों वाले आदमी थे
उन्होंने धर्म के आधार पर देश के बंटवारे का विरोध किया
चौधरी छोटूराम ने भविष्य के कृषि सुधारों की नींव रखी
नई तकनीक कृषि में लाने के लिए उन्होंने शोध स्थल बनवाए
खुद किसान रहते हुए जो समस्या देखी वो ही उनके समाधान की बात कर सकता है
कृषि हमारी संस्कृति हैं और कृषि पिछड़ती है तो हमारी संस्कृति भी पिछड़ती है
हमें जाति और वर्गों से ऊपर उठकर राजनीति करनी होगी
सर छोटूराम जी भाषण देने से पहले अध्ययन करते थे फिर बोलते थे
देश के सब बच्चों को चौधरी छोटूराम के विचारों को पढ़ना चाहिए
किसान और सरकार का संवाद कभी नहीं रूकना चाहिए और राजनीति से को भी इससे अलग रखना चाहिए
मैंने खुद एक देश एक मार्केट के लिए आंदोलन किया
पूरी दुनिया खुल चुकी है इसीलिए हमें नए विचारों और नए कदमों के लिए तैयार रहना चाहिए
किसानों के उत्थान के लिए Open market और electronic market जरूरी ताकि किसानों को सही दाम उसकी फसल का मिल सके
आजकल राजनीतिक पार्टियां कहती है हम बिजली फ्री देंगे, पानी देंगे । ऐसा नहीं होता बल्कि इसकी बजाय सही दाम पर गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति चाहिए
किसान को गांव तक सड़क और 12 घंटे बिना अवरोध के बिजली चाहिए
कोरोना में हर वर्ग को नुकसान हुआ लेकिन कृषि इकलौता ऐसा सेक्टर है जहाँ उत्पादन पहले से ज्यादा हुआ
1920-40 तक अविभाज्य पंजाब हरियाणा के उत्थान में उनका बड़ा योगादन रहा
विकास मंत्री के रूप में पहला कृषि सुधार कानून बनाया
भाखड़ा डैम की कल्पना पहली बार अग्रेज के ज़माने में सर छोटू राम ने ही की थी
ट्रिब्यून अखबार में उनके नियमित लेख उनकी विचारधारा और विकसित सोच को दर्शाते हैं
अपनी जाति का दिल में ख़याल रखना बुरा नहीं लेकिन सबको साथ लेकर चलना देश के लिए जरूरी है और इसे सर छोटूराम ने कर दिखाया
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना उनके मंत्रित्व काल की देन है जिससे गावों में सड़कों का जाल बिछाया गया
इससे पूर्व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि आज अन्नत चतुर्दशी है इस दिन दीनबंधु चौधरी छोटूराम जी के विचार जनता के बीच जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चौधरी छोटूराम ने हर वर्ग के लिए काम किया. सेना से लेकर कर्मचारी वर्ग के लिए 8 घंटे काम का कानून उनके प्रयासों से पास बना. अंग्रेजी शासन में किसानों के हालात कैसे सही हो इसके लिए उन्होंने कानून बनाए.
मनोहर लाल ने कहा कि उपराष्ट्रपति खुद एक किसान परिवार से आते हैं अपने वक्त में जय आंध्रा आंदोलन चलाया। हम सबको वक्त निकाल कर इस साहित्य को पढ़ना चाहिए और उनके विचारों का अनुसरण करना चाहिए. सर छोटूराम की जीवनी पर आधारित पुस्तकों को तैयार करने में योगदान देने वाले सभी लोगों का मुख्यमंत्री ने धन्यवाद किया.
समारोह में आये अभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि उपराष्ट्रपति भी किसान हैं और किसानों के प्रति उनका प्रेम उनके शब्दों में झलकता है. श्री सिंह ने हरियाणा सरकार, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हरियाणा साहित्य अकादमी का धन्यवाद करते हुए सर छोटूराम की जीवनी पर आधारित 5 खण्ड की पुस्तकों को देश के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर बताया. उन्होंने कहा किसानों के हित के लिए दीनबंधु के योगदान का भारत का पंजाब नहीं बल्कि पाकिस्तान का पंजाब भी ऋणी है.