अकादमी निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री बोले , इवेंट मैनेजमेंट से लेकर ले-आउट डिजाइनिंग पर रहेगा फोकस
गुरुग्राम, 11 सितंबर। हरियाणा संस्कृत अकादमी प्रदेश में संस्कृत को प्रभावी बनाने के अभियान में जुट गई है। प्रदेश भर से संस्कृत के ऐसे युवा विद्वानों को जोड़ा जा रहा है जो अपने नियमित कार्य के साथ निस्वार्थ भाव से संस्कृत की सेवा करेंगे। ये युवा टीम वर्क के तहत आज के समय के अनुरुप इवेंट मैनेजमेंट से लेकर, भाषा प्रचार-प्रसार, प्रिंटिंग, डिजिटलाइजेशन पर फोकस रखेंगे।
अकादमी निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि हमारा प्रमुख उद्देश्य संस्कृत के प्रति सेवाभाव से जुड़े विद्वानों खासकर युवाओं को ढूंढकर उन्हें हीरे की तरह तराशना है। हरियाणा सरकार इस अभियान में अकादमी का पूर्ण सहयोग कर रही है। पिछले एक वर्ष के कार्यकाल में अकादमी ने 60 से अधिक आयोजन प्रदेशभर में किए हैं। इन आयोजनों से ही अकादमी को सेवाभाव से कार्य करने वाले युवाओं की पहचान की गई है। इन युवाओं की टीम अकादमी के नेतृत्व में प्रदेश में संस्कृत के प्रति किस तरह और कैसे काम हो, पर कार्य करेगी।
उन्होंने आगे बताया कि आज डिजिटल युग है। ट्वीटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब आज के लिए जरूरी है। समय के साथ चलते हुए संस्कृत अकादमी ने फेसबुक, ट्वीटर, का अकाउंट क्रियान्वित कर दिया है। बहुत जल्द ही इंस्टाग्राम पर हम अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे। यू ट्यूब चैनल भी नए स्वरूप में लाने जा रहे हैं। इस पर विद्वानों की व्याख्यानमाला, सम्भाषण के साथ-साथ कक्षा तीसरी से लेकर 12वीं तक विद्यालयी पाठ्यक्रम और व्याकरण के वीडियो अपलोड होंगे ताकि छात्रों के साथ-साथ अध्यापक भी उनका लाभ उठा सके।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर विद्वानों द्वारा चयनित नित्यस्मरणीय वैदिक मंत्र, मार्गदर्शक सूक्तियां, पंचतंत्र,हितोपदेश आदि शिक्षाप्रद ग्रन्थों की कहानियों पर कार्टून, चलचित्र ,संस्कृत के सुभाषित और मधुर सरल गीतों का प्रसारण करवाया जाएगा। इसके लिए टीम लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि यू-ट्यूब पर वैदिक वाङ्गमय पर आधारित विद्वानों की व्याख्यानमाला की शुरुआत की जाएगी।
इवेंट मैनेजमेंट से लेकर ले-आउट डिजाइनिंग पर रहेगा फोकस
अकादमी निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि हर क्षेत्र के संस्कृत युवा विद्वानों को इस टीम में शामिल किया गया है। सर्वप्रथम भाषागत शुद्धि, तर्कसंगत विद्वत्ज्ञान का चयन किया जाएगा। फिर भाषा कौशल, सम्पादन पर काम होगा। डिजिटल ज्ञान रखने वाले युवा ले आउट, डिजाइनिंग, प्रजेंटेशन पर ध्यान देंगे। फिर इसे मुद्रण के साथ-साथ सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाएगा। इवेंट मैनेजमेंट में दक्ष युवा समयानुसार व्याख्यानमाला, संगोष्ठी आदि में संयोजक की भूमिका निभाएंगे।
पुरस्कारों में बढ़ाई जाएगी युवाओं की भागीदारी
हरियाणा संस्कृत अकादमी निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि साहित्यिक पुरस्कारों में युवाओं की भागीदारी और ज्यादा बढ़े इसके लिए प्रदेश सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। अब से पहले आवेदन के लियव 40 वर्ष की न्यूनतम उम्र निर्धारित की गई हुई है।इसे अब कम करने का प्रस्ताव भेजा गया है। युवाओं को जितना प्रोत्साहन मिलेगा वे संस्कृत साहित्य लेखन में और अग्रणी होंगे।