नई दिल्ली : प्रधान मन्त्री नरेद्र मोदी ने आज देश के लिए उज्ज्वला योजना 2 लांच किया. इसकी पहली शुरुआत वर्ष 2016 में यूपी के बलिया से, आजादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे की धरती से शुरु हुई थी। उज्ज्वला के दूसरे संस्करण #Ujjwala2 का आरम्भ भी यूपी के ही महोबा की वीरभूमि से किया गया. पीएम ने इस योजना के लाभार्थियों से भी सीधी बात की और उनके अनुभव को जानने की कोशिश की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि ज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों, जितनी महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वो अभूतपूर्व है। ये योजना 2016 में यूपी के बलिया से, आजादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे की धरती से शुरु हुई थी।आज उज्ज्वला का दूसरे संस्करण भी यूपी के ही महोबा की वीरभूमि से शुरु हो रहा है. उन्होंने कहा कि आज मैं बुंदेलखंड की एक और महान संतान को याद कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मेजर ध्यान चंद, हमारे दद्दा ध्यानचंद। देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार हो गया है.
पीएम ने कहा कि बीते साढ़े 7 दशकों की प्रगति को हम देखते है तो हमें जरूर लगता है कि कुछ स्थितियां, कुछ हालात ऐसे हैं जिनको कई दशक पहले बदला जा सकता था। घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताएं है जिनकी पूर्ति के लिए दशकों का इंतज़ार देशवासियों को करना पड़ा.
प्रधान मंत्री ने कहा कि उज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों, जितनी महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वो अभूतपूर्व है। ये योजना 2016 में उत्तर प्रदेश के बलिया से, आजादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे जी की धरती से शुरु हुई थी। आज उज्ज्वला का दूसरे संस्करण भी यूपी के ही महोबा की वीरभूमि से शुरु हो रहा है। महोबा हो, बुंदेलखंड हो, ये तो देश की आज़ादी की एक प्रकार से ऊर्जा स्थली रही है। यहां के कण-कण में रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, महाराजा छत्रसाल, वीर आल्हा और ऊदल जैसे अनेक वीर-वीरांगनाओं की शौर्यगाथाओं की सुगंध है।आज जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ये आयोजन इन महान व्यक्तित्वों को स्मरण करने का भी अवसर लेकर आया है।
प्रधान मत्री मोदी का कहना था कि हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में बीते साढ़े 7 दशकों की प्रगति को हम देखते हैं, तो हमें ज़रूर लगता है कि कुछ स्थितियां, कुछ हालात ऐसे हैं, जिनको कई दशक पहले बदलाजा सकता था। घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताएं हैं, जिनकी पूर्ति के लिए दशकों का इंतज़ार देशवासियों को करना पड़ा। ये दुखद है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसी ने उठाया है तो हमारी माताओं- बहनों ने उठाया हैं। खासकर के गरीब माताओं – बहनों को मुसीबत झेलनी पड़ी है। झोंपड़ी में टपकते पानी से सबसे ज्यादा परेशानी अगर किसी को है, तो मां को है। बिजली के अभाव में सबसे ज्यादा अगर परेशानी है। तो मां को है। पानी की गंदगी से परिवार बीमार, तो भी सबसे ज्यादा परेशानी मां को। शौचालय के अभाव में अंधेरा होने का इंतज़ार, परेशानी हमारी माताओं – बहनों को। स्कूल में अलग टॉयलेट नहीं तो समस्या हमारी बेटियों को। हमारे जैसी अनेक पीढ़ियां तो मां को धुएं में आंखें मलते, भीषण गर्मी में भी आग में तपते, ऐसे ही दृष्य को देखते हुए ही बड़ी हुई हैं।
उन्होंने यह कह्त५ए हुए सवाल किया कि ऐसी स्थितियों के साथ क्या हम आज़ादी के 100वें वर्ष की तरफ बढ़ सकते हैं? क्या हमारी ऊर्जा सिर्फ मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने में ही लगी रहेगी? जब बेसिक सुविधाओं के लिए ही कोई परिवार, कोई समाज संघर्ष करता रहेगा तो, वो अपने बड़े सपनों को पूरा कैसे कर सकता है? सपने पूरे हो सकते हैं, जब तक ये विश्वास समाज को नहीं मिलेगा, तब तक उनको पूरा करने का आत्मविश्वास वो कैसे जुटा पाएगा? और बिना आत्मविश्वास के कोई देश आत्मनिर्भर कैसे बन सकता है?
प्रधान मत्री ने यह कहते हुए याद दिलाया कि 2014 में जब देश ने हमें सेवा का अवसर दिया, तो ऐसे ही सवालों को हमने खुद से पूछा। तब एकदम स्पष्ट था कि इन सारी समस्याओं का समाधान हमें एक तय समय के भीतर ही खोजना होगा। हमारी बेटियां घर और रसोई से बाहर निकलकर राष्ट्रनिर्माण में व्यापक योगदान तभी दे पाएंगी, जब पहले घर और रसोई से जुड़ी समस्याएं हल होंगी। इसलिए, बीते 6-7 सालों में ऐसे हर समाधान के लिए मिशन मोड पर काम किया गया है।स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में करोड़ों शौचालय बनाए गए। प्रधानमंत्री आवास योजना में 2 करोड़ से अधिक गरीबों के पक्के घर बने।
उन्होंने कहा कि इन घरों में अधिकतर का मालिकाना हक बहनों के नाम पर है। हमने हजारों किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनवाईं तो सौभाग्य योजना के जरिए लगभग 3 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन दिया। आयुष्मान भारत योजना 50 करोड़ से अधिक लोगों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दे रही है। मातृवंदना योजना के तहत, गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण और पोषक आहार के लिए हज़ारों रुपए सीधे बैंक खाते में जमा किए जा रहे हैं। जनधन योजना के तहत हमने करोड़ों बहनों के बैंक खाते खुलवाए, जिनमें कोरोना काल में लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपए सरकार ने जमा करवाए हैं। अब हम जल जीवन मिशन के माध्यम से ग्रामीण परिवारों की हमारी बहनों को पाइप से शुद्ध जल नल से जल पहुंचाने का काम जारी है।