मुख्यमंत्री के दौरे से दौलताबाद इंडस्ट्रीयल एरिया की समस्या का समाधान होने की उम्मीद बंधी

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– मुख्यमंत्री ने डैव्लपमेंट प्लान में औद्योगिक क्षेत्र के लिए अलग प्रावधान करने के दिए निर्देश
– उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति की मंजूरी के उपरांत ही सैक्टर या काॅलोनियों में सुरक्षा के लिए लगाए जा सकते हैं गेट

गुरूग्राम , 13 जुलाई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गुरूग्राम आगमन से दौलताबाद रोड़ इंडस्ट्रीयल एरिया की समस्या का समाधान होने की उम्मीद बंधी है। मुख्यमंत्री ने गुरूग्राम में जिला लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति की मासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए नगर एवं ग्राम योजनाकार विभाग को उस क्षेत्र की विकास योजना में औद्योगिक क्षेत्र और रिहायशी क्षेत्र अलग-अलग चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं।

बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि आज की बैठक में दौलताबाद रोड़ इंडस्ट्रीयल एरिया की समस्या रखी गई थी जिसमें यह तय हुआ कि एक काॅपैक्ट एरिया जिसमें 90 प्रतिशत औद्योगिक ईकाईयां है और वे सभी नाॅन पोल्युटिंग युनिट हैं, उनके लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग डैव्लपमेंट प्लान में दो हिस्से करके अलग हिस्सा बनाएगा। डैव्लपमेंट प्लान में एक हिस्सा इंडस्ट्रीयल एरिया के लिए होगा तथा दूसरा हिस्सा रेजीडेंशियल उद्देश्य के लिए बनेगा। डैव्लपमेंट प्लाॅन में इंडस्ट्रीयल एरिया अलग होने के बाद उस क्षेत्र में इंडस्ट्रीयल बिल्डिंग प्लान को भी मंजूरी मिल सकेगी। मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद दौलताबाद रोड़ इंडस्ट्रीयल एरिया में लगी इंडस्ट्री को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।

बैठक में एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन कुमार जिंदल ने बताया था कि दौलताबाद रोड़ के दोनो तरफ लगभग 300 मीटर एरिया में सन्-1966 से इंडस्ट्री लगी हुई है। वर्तमान में इस क्षेत्र में 266 इंडस्ट्रीयल युनिट चल रही हैं जो सरकार के नियम अनुसार प्रोपर्टी टैक्स आदि भर रही हैं। उन्होंने ये भी बताया था कि सन् 2016 तक नगर परिषद् और नगर निगम से इंडस्ट्रीयल बिल्डिंग प्लान अप्रूव होती रही हैं। उसके बाद नगर निगम ने मंजूरी देनी बंद कर दी। नगर निगम के वरिष्ठ नगर योजनाकार संजीव मान ने बताया था कि सन् 1994 में यह क्षेत्र डैव्लपमेंट प्लान में रेजीडेंशियल जोन में आ गया था और अर्बन लोकल बाॅडीज विभाग केवल रेजीडेंशियल एरिया में ही स्वीकृति दे सकता है। यह क्षेत्र इंडस्ट्रीयलाइजेशन के लिए मान्य नही था, इसी वजह से मंजूरी देनी बंद की गई थी।

गांव बजघेड़ा में गुरूग्राम गेटवे सोसायटी की समस्या का समाधान भी आज की बैठक में हो गया। शिकायतकर्ता ने स्वयं मुख्यमंत्री को कहा कि वे जिला प्रशासन की कार्यवाही से संतुष्ट हैं। इस मामले में सोसायटीवासियों ने शिकायत की थी कि बजघेड़ा में ट्रकों व गाड़ियों की बाॅडी बनाने की छोटी वर्कशाॅप तथा स्क्रीनिंग प्लांट चल रहे हैं और ग्रीन बैल्ट में मलबा भी डाला जा रहा है जिससे ध्वनि और वायु प्रदूषण हो रहा है। इस मामले में पिछली बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने एसडीएम , नगर निगम के संयुक्त आयुक्त था प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को शिकायतकर्ता की मौजूदगी में मौका देखकर समाधान करने के आदेश दिए थे। इस पर कार्यवाही करते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अवैध गतिविधियों के लिए नोटिस दिए हैं। लोक निर्माण विभाग मास्टर रोड़ से मलबा उठवाएगा और रोड़ के साथ बनी डेªन को भी साफ करवाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला प्रशासन की अधिकारीगण तो निगरानी रखेंगे ही , सिविल सोसायटी भी अपने क्षेत्र में निरंतर निगरानी रखें और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सरकार व प्रशासन की मदद करें।

बैठक में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सैक्टरों में नाजायज रूप से गलियों में गेट लगाने का मामला भी मुख्यमंत्री के समक्ष रखा गया था जिसमें उन्होंने निर्देश दिए हैं कि उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की मंजूरी के उपरांत ही इस प्रकार के गेट लगाए जा सकते हैं। इस समिति में उपायुक्त के अलावा, एक पुलिस का अधिकारी तथा संबंधित संपदा अधिकारी भी शामिल होंगे। सैक्टरों मे गेट लगाने के लिए प्राधिकरण की 11 जनवरी 2010 की नीति पहले से है जिसके नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने पुराने गुरूग्राम शहर के लिए भी इसी प्रकार के नियम बनाने के आदेश दिए हैं। पुराने गुरूग्राम शहर की काॅलोनियों में सुरक्षा के लिहाज से गेट लगाने के लिए नियम बनाए जाएंगे और उपायुक्त की अध्यक्षता में पुलिस का एक अधिकारी तथा आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि को शामिल करते हुए समिति की मंजूरी के उपरांत ही वहां पर गेट इत्यादि लगाए जा सकते हैं।

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