पंचायतीराज चुनाव में आरक्षण प्रावधान को उच्च न्यायालय में दी गई है चुनौती , चुनाव में हो सकती है देरी

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गुडग़ांव, 11 जुलाई : प्रदेश में पंचायत चुनावों की सुगबुगाहट गत माह से होनी शुरु हो गई थी। जिला प्रशासन ने भी पंचायती चुनावों को लेकर तैयारियां भी शुरु कर दी थी। जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना था कि प्रदेश सरकार के आदेश मिलते ही कार्यवाही शुरु कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि गुडग़ांव जिले के जटौला गांव के प्रवीण चौहान ने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षण प्रावधान को विरोधाभासी बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है।

उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बिना किसी अंतरिम आदेश के याचिका पर प्रदेश सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर अपना जबाव दाखिल करने का आदेश दिया है। इस प्रकार अभी प्रदेश में पंचायत के चुनाव नहीं होंगे। ग्रामीणों को अभी इंतजार करना होगा। सरकार भी न्यायालय में स्पष्ट कर चुकी है कि फिलहाल पंचायत चुनाव कराने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। याची ने अपनी याचिका में कहा है कि पंचायत विभाग ने हरियाणा पंचायती राज एक्ट में इसी वर्ष 15 अप्रैल को जो संशोधन किया है, वह भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है।

पंचायती राज एक्ट में 8 प्रतिशत सीटें बीसी-ए के लिए आरक्षित की गई हैं और न्यूनतम 2 सीटों से कम किसी क्षेत्र में नहीं होने का भी प्रावधान है। जबकि केवल 6 जिले हैं जिनमें प्रावधान के अनुसार 8 प्रतिशत आरक्षण देने पर 2 सीटें आरक्षित होती हैं। 18 जिले ऐसे हैं जिनमें यदि 8 प्रतिशत आरक्षण को देखा जाए तो केवल एक सीट आरक्षित होती है। ऐसे में यह प्रावधान पारस्परिक विरोधाभासी है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पंचायतीराज अधिनियम में नया संशोधन करते हुए तथ्यों की जांच ही नहीं की गई है। याचिकाकर्ता ने ड्रा और रोटेशन प्रक्रिया पर भी ऐतराज उठाया है। प्रदेश सरकार अगली तारीख पर अपना जबाव दाखिल करेगी।

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