नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज ‘कृषि बुनियादी ढांचा कोष’ के अंतर्गत वित्तपोषण सुविधा की केंद्रीय क्षेत्र योजना में संशोधनों को अपनी मंजूरी दे दी। यदि एक व्यक्ति एक से अधिक प्रोजेक्ट करता है तो उसकी अधिकतम सीमा 25 होगी और परियोजनाओं को अलग-अलग स्थान पर करना होगा। हर परियोजना पर अलग-अलग दो करोड़ तक के ऋृण पर ब्याज में 3 % तक की छूट रहेगी और ऋृण गांरटी की पात्रता रहेगी । यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने दी ।
(ए) अब पात्रता का विस्तार राज्य एजेंसियों/एपीएमसी, राष्ट्रीय और राज्य सहकारी समितियों के परिसंघों, किसान उत्पादक संगठनों के परिसंघों (एफपीओ) तथा स्वयं सहायता समूहों के परिसंघों (स्वयं सहायता समूहों) तक किया गया है।
(बी) वर्तमान में एक स्थान पर 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता की पात्रता है। यदि एक पात्र इकाई विभिन्न स्थानों पर परियोजनाएं लगाती है तो ऐसी सभी परियोजना 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता की पात्र होंगी। लेकिन निजी क्षेत्र की इकाई के लिए ऐसी परियोजनाओं की अधिकतम सीमा 25 होगी। 25 परियोजनाओं की यह सीमा राज्य की एजेंसियों, राष्ट्रीय और राज्य सहकारी समितियों के परिसंघों, एफपीओ के परिसंघों और स्वयं सहायता समूहों के महासंघों पर लागू नहीं होगी। स्थान का मतलब एक गांव या शहर की सीमा होगी जिसमें एक अलग एलजीडी (स्थानीय सरकारी निर्देशिका) कोड होगा। ऐसी प्रत्येक परियोजना एक अलग एलजीडी कोड वाले स्थान पर होनी चाहिए।
(सी) एपीएमसी के लिए एक ही बाजार यार्ड के भीतर विभिन्न बुनियादी ढांचे के प्रकारों जैसे कोल्ड स्टोरेज, सार्टिंग,ग्रेडिंग और परख इकाइयों, साइलो आदि की प्रत्येक परियोजना के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता प्रदान की जाएगी।
(डी) लाभार्थी को जोड़ने या हटाने के संबंध में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए माननीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री को शक्ति प्रदान की गई है ताकि योजना की मूल भावना में परिवर्तन न हो।
(ई) वित्तीय सुविधा की अवधि 2025-26 तक 4 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दी गई है और 2032-33 तक इस योजना की कुल अवधि10 से बढ़ाकर 13कर दी गई है।
इस योजना में संशोधनों से निवेश जुटाने में गुणक प्रभाव प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जबकि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि लाभ छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचे। एपीएमसी मार्केट बाजार संपर्क प्रदान करने और सभी किसानों के लिए फसल कटाई के बाद सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को खुला रखने के लिए इकोसिस्टम बनाने के लिए स्थापित किए जाते हैं।
नारियल विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद का प्रस्ताव :
2 . केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि, सहकारिता तथा किसान कल्याण विभाग के नारियल विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद को गैर-कार्यकारी बनाने के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है। इससे बड़े पैमाने पर नारियल उत्पादकों को लाभ होगा।
आईसीओएआई और एसीसीए , यूनाइटेड किंगडम के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी
3. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीओएआई) और एसोसिएशन ऑफ चार्टर्ड सर्टिफाइड अकाउंटेंट्स (एसीसीए), यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है। यह समझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों के सदस्यों को परस्पर एडवांस एंट्री उपलब्ध कराएगा। इसके लिए अन्य व्यावसायिक निकायों से योग्यता हासिल करने की प्रक्रिया में अधिकांश विषयों में उत्तीर्ण होने की बाध्यता से छूट दिलाएगा। इसके अलावा, दोनों संस्थानों के सदस्यों को संयुक्त शोध और पेशेगत विकास गतिविधियों को जारी रखने में सहायता उपलब्ध कराएगा
प्रभाव:
यह समझौता ज्ञापन ज्ञान के आदान-प्रदान और अनुसंधान तथा प्रकाशनों के आदान-प्रदान की दिशा में ध्यान केंद्रित करने को बढ़ावा देगा, जिससे दोनों अधिकार क्षेत्रों में सुशासन प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी। दोनों पक्ष कॉस्ट अकाउंटेंसी पेशे से संबंधित संयुक्त अनुसंधान शुरू करेंगे, जिसमें तकनीकी क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान भी शामिल हो सकते हैं। यह समझौता ज्ञापन दोनों अधिकार क्षेत्रों में पेशेवरों की आवाजाही में मदद करेगा और भारत और विदेशों में कॉस्ट अकाउंटेंट्स की रोजगार क्षमता को भी बढ़ाएगा।
विवरण:
यह समझौता ज्ञापन एक संस्थान के सदस्यों को पेशेगत स्तर के विषयों में न्यूनतम अंक हासिल करके दूसरे संस्थान की पूर्ण सदस्यता की स्थिति प्राप्त करने और दोनों अधिकार क्षेत्रों में पेशेवरों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
पृष्ठभूमि:
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की स्थापना पहली बार 1944 में कंपनी अधिनियम के तहत एक पंजीकृत कंपनी के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य कॉस्ट अकाउंटेंसी के पेशे को बढ़ावा देना, विनियमित करना और विकसित करना था। 28 मई, 1959 को संस्थान की स्थापना संसद के एक विशेष अधिनियम अर्थात् कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स अधिनियम, 1959 द्वारा कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंसी के पेशे के विनियमन के लिए एक सांविधिक पेशेवर निकाय के रूप में की गई थी। यह संस्थान भारत में एकमात्र मान्यता प्राप्त सांविधिक पेशेवर संगठन और लाइसेंसिंग निकाय है, जो विशेष रूप से कॉस्ट और वर्क्स अकाउंटेंसी में विशेषज्ञता रखता है। एसोसिएशन ऑफ चार्टर्ड सर्टिफाइड अकाउंटेंट्स (एसीसीए) की स्थापना 1904 में हुई थी जिसे इंग्लैंड और वेल्स के कानूनों के तहत 1947 में रॉयल चार्टर द्वारा समाविष्ट किया गया था। यह पेशेवर लेखाकारों के लिए एक वैश्विक निकाय है, जिसके पूरे विश्व में 2,27,000 से अधिक पूरी तरह से योग्यता प्राप्त सदस्य और 5,44,000 भावी सदस्य हैं।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और जापान फेयर ट्रेडकमीशन (जेएफटीसी) के बीच सहयोग
4. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रतिस्पर्धा कानून और नीति के मामले में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने एवं इसे मजबूती प्रदान करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और जापान फेयर ट्रेडकमीशन (जेएफटीसी) के बीच सहयोग ज्ञापन (एमओसी) को मंजूरी दे दी है।
प्रभाव:
उपर्युक्त स्वीकृत एमओसी आवश्यक सूचनाओं के आदान-प्रदान के जरिए सीसीआई को जापान की अपनी समकक्ष प्रतिस्पर्धा एजेंसी के अनुभवों एवं सबक से सीखने और अनुकरण करने में सक्षम करेगा जिससे उसकी दक्षता बढ़ेगी। यही नहीं, इससे सीसीआई को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 पर बेहतर ढंग से अमल करने में मदद मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता बड़े पैमाने पर लाभान्वित होंगे और इसके साथ ही समानता एवं समावेश को बढ़ावा मिलेगा।
विवरण:
इसके तहत सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ-साथ तकनीकी सहयोग, अनुभवों को साझा करने और प्रवर्तन संबंधी सहयोग के क्षेत्रों में विभिन्न क्षमता निर्माण पहलों के जरिए प्रतिस्पर्धा कानून और नीति के मामले में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने एवं इसे मजबूती प्रदान करने की परिकल्पना की जाएगी।
पृष्ठभूमि:
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 18 के तहत सीसीआई को अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने या अपने कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के उद्देश्य से किसी भी देश की किसी भी एजेंसी के साथ कोई भी समझौता या व्यवस्था करने की अनुमति दी गई है।