भारतीय राजनीति और अखंड भारत के निर्माण में डॉ. मुखर्जी का अतुलनीय योगदान : रीतिक वधवा

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– श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिद्धांत वादी थे जिन्होंने पूरी उम्र भारत की एकता और अखंडता के लिए लड़ाई लड़ी

-भाजपाईयों ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धाजंलि

भिवानी : राष्ट्रीय एकता व अखंडता के पर्याय, महान शिक्षाविद्, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का आज बलिदान दिवस  है !  डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भाजपाईयों ने मंडल अध्यक्ष अशोक दुल्हेडी की अध्यक्षता में बूथ स्तर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भाजपा नेता रीतिक वधवा , सुनील चौहान , मंडल अध्यक्ष अशोक दुल्हेडी , इमरान बापोड़ा ने उपस्थित भाजपा कार्यकर्ता  को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार और लोगों की सेवा के लिए इच्छाशक्ति हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे, राष्ट्र की एकता के लिए उनके द्वारा किए गए योगदान को नहीं भुलाया जाएगा !  डॉ. मुखर्जी का जीवन भारत की एकता व अखंडता के लिए समर्पित था। आज जिस विचारधारा से भाजपा की पहचान है, उसे डॉ. मुखर्जी ने स्थापित किया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को भारत का अटूट अंग बनाने के लिए बलिदान दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 खत्म करके उनका सपना पूरा किया।डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से देश में अलख जगाने के उद्देश्य राजनीतिक में प्रवेश किया। डॉक्टर मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांत वादी थे। उन्होंने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उनके इस सपने को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया जिसके कारण पूरे देश में एक झंडा एक कानून काम करेगा। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू कश्मीर प्रदेश का अलग झंडा और अलग संविधान होता था वहां का मुख्यमंत्री वजीरे आजम अर्थात प्रधानमंत्री कहलाता था।

उन्होंने कहा कि संसद में अपने भाषण में डॉक्टर मुखर्जी ने धारा 370 को समाप्त करने की जोरदार वकालत की थी । अगस्त 1952 में जम्मू कश्मीर की विशाल रैली में डॉक्टर मुखर्जी अपने संकल्प को दोहराया था और कहा था की या तो वें जम्मू कश्मीर की जनता को भारत का संविधान प्राप्त करवायेगें  या फिर अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपने जीवन का बलिदान दे देगें। उन्होंने तत्कालीन नेहरू सरकार को चुनौती दी थी।

डॉक्टर मुखर्जी ता जिंदगी अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए 1953 में बिना परमिट लिए जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया। 23 जून 1953 को डॉक्टर मुखर्जी की रहस्मय परिस्थितियों मे मृत्यु हो गई।

भारतीय राजनीति और अखंड भारत के निर्माण में डॉ. मुखर्जी का बड़ा योगदान है। उनके बलिदान का ही परिणाम है कि आज हम जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट के जा सकते हैं।   अशोक दुल्हेडी,इमरान बापोड़ा , मनीष बापोड़ा, रवि कौशिक , काली बापोड़ा कार्तिक बापोड़ा ,मोनु बापोड़ा ,सतबीर फौजी  ने भी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धाजंलि दी !

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