प्रीमियम ट्रेनों के यात्रियों के लिए अच्छी खबर !

Font Size

यात्री भाड़े में कटौती करने का ऐलान

नई दिल्ली : प्रीमियम ट्रेनों के यात्री भाड़े के लिए शुरू किये गए फ्लेक्सी फेयर स्ट्रक्चर को लगता है यात्रियों ने नकार दिया है. रेल यात्रियों की बेरुखी को देखते हुए भारतीय रेलवे ने कुछ प्रीमियम ट्रेनों के यात्री भाड़े में कटौती करने का ऐलान किया है. बतया जाता है कि प्रीमियम ट्रेनों में सीटें खाली रहने की वजह से यह फैसला लिया गया है. रेलवे को अब अपने फ्लेक्सी फेयर स्ट्रक्चर में बदलाव करने पड़े हैं.

 

इससे अब राजधानी, शताब्दी और दुरंतो में रिजर्वेशन चार्ट बनने के बाद खाली सीटों को कम कीमत पर बेचा जा सकेगा. नये नियम के अनुसार इन ट्रेनों में खाली रही सीटों में अंतिम कीमत से 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी. इससे साफ है की अगर कोई यात्री  करंट टिकट खरीदता है तो उन्हें टिकट सस्ता मिलेगा.

 

दूसरी राहत देने वाली खबर यह भी है कि इन ट्रेनों के तत्काल कोटे राखी जाने वाली सीटें भी कम कर दी गई है. मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह रेल किराये का यह नया नियम 20 दिसंबर 2016 से लागू हो चुकी है. रेल मंत्रालय के अनुसार यह अगले 6 महीने तक जारी रहेगी.

 

 उल्लेखनीय है कि रेलवे ने 9 सितंबर 2016 को प्रीमियम ट्रेनों , राजधानी, शताब्दी व  दुरंतो के लिए फ्लेक्सी फेयर सिस्टम शुरू किया था. इसमें मांग बढ़ने पर बेस फेयर में 10 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक किराये  में वृद्धि करने का प्रावधान कियां गया. अब तर्क यह दिया जा रहा है कि तीन माह बाद रेलवे ने इस नियम की समीक्षा की और पाया कि यह यात्रियों के गले नहीं उतर रहा है. सीटें खली रह जातीं हैं, इसलिए इसमें कुछ परिवर्तन करने का फैसला लिया गया.

 

अब ट्रेन की एक खास क्लास की आखिर टिकट के बेस फेयर में 10 प्रतिशत की छूट लागू होगी. यह फैसला चार्ट तैयार होने से चंद मिनट पहले होगा. ध्यान रहे कि इसमें  रिजर्वेशन फीस, सुपर फास्ट चार्ज और सर्विस टैक्स पूरी तरह से लागू रहेंगे. यह फैसला फिलहाल छह महीने के लिए लागू किया गया है.

 

मिडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर की 9 तारीख से लेकर अक्टूबर 31 तक राजधानी, दुरंतो और शताब्दी ट्रेनों में 5871 सीटें खाली रहीं.

 

तत्काल टिकट बुकिंग में भी 10 प्रतिशत सीट कटौती की गई है. बताया जाता है कि रेलवे के ज़ोनल ऑफिस तत्काल कोटे के उपयोग की समीक्षा 15 दिन में एक बार करेंगे. इसके आधार पर ही कोटा या तो कम कर दिया जाएगा या फिर बढ़ा दिया जायेगा . इसमें अधिकतम 30 प्रतिशत तक बदलाव किया जा सकेगा.

You cannot copy content of this page