नई दिल्ली : दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों में घरेलू विनिर्माण, निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 24 फरवरी, 2021 को “उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना” अधिसूचित की है। हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद, योजना के लिए परिचालन दिशानिर्देश 3 जून, 2021 को जारी किए गए हैं।
इस योजना में भारत से बाहर देश को वैश्विक चैंपियन बनाने की परिकल्पना की गई है, जो अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके आकार और पैमाने में वृद्धि की क्षमता रखते हैं और इस तरह वैश्विक मूल्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं। दूरसंचार उत्पाद “डिजिटल इंडिया” की व्यापक दृष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पीएलआई योजना को 5 वर्षों की अवधि में योजना के कार्यान्वयन के लिए 12,195 करोड़ रुपये
(केवल बारह हजार एक सौ निन्यानबे करोड़ रुपये) की समग्र वित्तीय सीमा के भीतर लागू किया जाएगा। एमएसएमई श्रेणी के लिए, वित्तीय आवंटन 1000 करोड़ रुपये होगा।
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सीआईडीबीआई) को पीएलआई योजना के लिए परियोजना प्रबंधन एजेंसी
(पीएमए) के रूप में नियुक्त किया गया है।
यह योजना 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी होगी। भारत में सफल आवेदकों द्वारा 1 अप्रैल, 2021 से और वित्तीय वर्ष (एफवाई) 2024-2025 तक किया गया निवेश, योग्यता वृद्धिशील वार्षिक सीमा के अधीन होगा। योजना के तहत सहायता वित्त वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक, अर्थात पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए प्रदान की जाएगी।
यह योजना घरेलू और वैश्विक कंपनियों सहित एमएसएमई और गैर-एमएसएमई दोनों कंपनियों के लिए खुली है। साथ ही, भारतीय प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों वाले निर्माताओं को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
इच्छुक पात्र आवेदक 4 जून, 2021 से https://www.pli-telecom.udyamimitra.in पर योजना के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। आवेदन खिडकी 30 दिनों के लिए यानी 3 जुलाई, 2021 तक खुली रहेगी।
योजना के तहत पात्र होने के लिए आवेदकों को न्यूनतम राजस्व मानदंड को पूरा करना होगा। कंपनी एकल या एकाधिक योग्य उत्पादों में निवेश करने का निर्णय ले सकती है। इस योजना में एमएसएमई के लिए न्यूनतम निवेश सीमा 10 करोड़ रुपये और गैर-एमएसएमई आवेदकों के लिए 100 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। भूमि और भवन की लागत को निवेश के रूप में नहीं गिना जाएगा। पात्रता आधार वर्ष (एफवाई 2019-20) में निर्मित वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (योजना लक्ष्य खंडों के तहत कवर) के अधीन होगी।
दूरसंचार विभाग एमएसएमई और गैर-एमएसएमई श्रेणियों में से प्रत्येक में 10 (दस) योग्य आवेदनों को अनुमोदन प्रदान करेगा। गैर-एमएसएमई श्रेणी के 10 आवेदनों में से कम से कम 3 (तीन) आवेदक पात्र घरेलू कंपनियां होंगी। योजना अवधि के दौरान प्रतिबद्ध संचयी वृद्धिशील निवेश के आधार पर आवेदनों को उच्चतम से निम्नतम तक सूचीबद्ध किया जाएगा।
यह अनुमान है कि योजना निधि के पूर्ण उपयोग से 5 वर्षों में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के निर्यात
के साथ लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपये का वृद्धिशील उत्पादन होने की संभावना है।
यह भी उम्मीद है कि इस योजना से लगभग 3,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। यह योजना “मेक इन इंडिया” के बड़े उद्देश्य के अनुरूप है।