सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने एक नया नियम लागू कर सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी प्रकार के पत्र-पत्रिकाओं या अन्य पुस्तक प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध सभी प्रकार के इंटेलिजेंस और सुरक्षा संबंधी संस्थाओं से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर लागू रहेगा. ऐसे सेवानिवृत्त सरकारी कर्मियों को किसी भी प्रकार के प्रकाशन के लिए संबंधित विभाग के प्रमुख अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। नियमों के उल्लंघन पर उनकी पेंशन रोक दी जायेगी.
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की ओर से 31 मई को जारी नोटिफिकेशन में संविधान के आर्टिकल 309 और आर्टिकल 148 का हवाला देते हुए इंटेलिजेंस और सुरक्षा संबंधी सभी प्रकार की संस्थाओं से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। इस नोटिफिकेशन के माध्यम से सेंट्रल सिविल सर्विसेज पेंशन अमेंडमेंट बिल 2020 में संशोधन कर यह प्रावधान किया गया है।
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सेवानिवृत्त अधिकारी व कर्मी अपने संस्थान से संबंधित या व्यक्तिगत पद एवं विभाग से संबंधित या फिर विभाग में काम करने के दौरान प्राप्त किए गए अनुभव और जानकारी किसी भी प्रकार से प्रकाशित नहीं करेंगे।
यह भी कहा गया है कि ऐसी संवेदनशील सूचना जिसका खुलासा होने से देश की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है, जिनमें सुरक्षा, रणनीतिक मामले, वैज्ञानिक जानकारी और आर्थिक विषयों से संबंधित पहलू तथा विदेश मामले से संबंधित विषय शामिल हैं के प्रकाशन को प्रतिबंधित किया जाता है.
नोटिफिकेशन में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी किसी भी प्रकार से कोई तथ्य प्रकाशित करना चाहता है तो उसे संबंधित संस्थान के प्रमुख से अनुमति लेनी होगी. संस्थान का प्रमुख उन तथ्यों की संवेदनशीलता की जांच पड़ताल करने को अधिकृत होंगे तभी अनुमति दी जएगी।
इंटेलिजेंस या सुरक्षा संबंधी संस्थानों से सेवानिवृत्त ऐसे कर्मियों को प्रकाशन के लिए अनुमति लेने की दृष्टि से अंडरटेकिंग देनी होगी. इन नियमों एवं शर्तों का उल्लंघन करने वाले कर्मियों की पेंशन पर रोक लगा दी जाएगी.