नई दिल्ली : एम्स अस्पताल दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना मरीजों के मामले में सी स्कैन और बायोमार्कर का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने बल देते हुए कहा है कि वे हानिकारक हो सकते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि हल्के लक्षण है तो सीटी स्कैन का कोई उपयोग नहीं है।
डॉ गुलेरिया का कहना है कि एक सीटी स्कैन लगभग 300-400 छाती के एक्स-रे के बराबर है. इससे युवाओं में भविष्य में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. डॉ.रणदीप गुलेरिया ने मिडिया को बताया कि आजकल लोग यह सोचते हैं कि अगर कोविड पोजिटिव आई तो वे सी टी करा लें. उन्होंने कहा कि अगर माइल्ड इन्फेक्शन है तो सी टी करने का कोई फायदा नहीं है. सी टी में कुछ पैच आयेंगे उन्होंने कहा कि आकलन बताता है कि जिनके माइल्ड लक्षण हैं और उन्होंने सी टी कराया तो 30 से 40 प्रतिशत ऐसे लोगों में भी कुछ पैचज आते हैं और अपने आप विना ट्रीटमेंट के भी ख़तम हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि इसलिए माइल्ड लक्षण वाले को सी टी कराने की कोई जरूरत नहीं अगर उनका ऑक्सीजन संतुलन ठीक है और वे होम आइसोलेशन में हैं. दूसरा इसका नुक्सान भी समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि आगर आपने एक सीटी करवाया तो यह समझने कि आपने अपने चेस्ट के 300 से 400 एक्सरे करा लिए.
डॉ गुलेरिया ने कहा कि इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी कमीशन का डाटा है कि अगर आप बार बार युवा वस्था में सीटी करवाते हैं तो बाद में केंसर होने का कह्त्र बढ़ जाता है. इसलिए अप इससे अपने अप को नुक्सान ही करा रहे हैं जबकि आपको इसकी जरूरत नहीं है. रेडियेशन से खतरे बढ़ जाते हैं. उन्होंने बल देते हुए सुझाव दिया कि अगर माइल्ड लक्षण हो तो सीटी नहीं करवाएं. अगर आपको ज्यादा दिक्कत हो और आप सेचुरेशन ठीक नहीं है तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है तो पहले चेस्ट एक्सरे करवाएं.