प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने डॉ अम्बेडकर के तीन उपास्य देवता की चर्चा की !

Font Size

सुभाष चौधरी

नई दिल्ली : प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने आज डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयन्ती के अवसर पर देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के उप कुलपतियों को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि संघर्षों के बाद भी बाबा साहेब जिस ऊंचाई पर पहुंचे, वो हम सबके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। बाबा साहेब हमें जो हमें मार्ग दिखाकर गए हैं, उस पर देश हमेशा आगे बढ़े, इसकी जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों की हमेशा रही है। मैं कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से सभी देशवासियों की तरफ से बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में Mother of democracy रहा है। Democracy हमारी सभ्यता, हमारे तौर तरीकों का एक हिस्सा रहा है। आज़ादी के बाद का भारत अपनी उसी लोकतान्त्रिक विरासत को मजबूत करके आगे बढ़े, बाबा साहेब ने इसका मजबूत आधार देश को दिया. डॉक्टर आंबेडकर कहते थे-“मेरे तीन उपास्य देवता हैं। ज्ञान, स्वाभिमान और शील”। यानी, Knowledge, Self-respect, और politeness. प्रधानमन्त्री ने बल देते हुए कहा कि  जब Knowledge आती है, तब ही Self-respect भी बढ़ती है। Self-respect से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने rights के लिए aware होता है। और Equal rights से ही समाज में समरसता आती है, और देश प्रगति करता है.

उन्होंने संविधान के प्रावधानों की चर्चा करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने समान अवसरों की बात की थी, समान अधिकारों की बात की थी। आज देश जनधन खातों के जरिए हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है।  DBT के जरिए गरीब का पैसा सीधा उसके खाते में पहुँच रहा है. बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी आज देश काम कर रहा है। बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है.

पीएम मोदी ने कहा कि एक स्टूडेंट क्या कर सकता है, ये उसकी inner strength है। लेकिन अगर हम उनकी inner strength के साथ साथ उन्हें institutional strength दे दें, तो इससे उनका विकास व्यापक हो जाता है।  इस combination से हमारे युवा वो कर सकते हैं, जो वो करना चाहते हैं. हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं। पहला- वो क्या कर सकते हैं? दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं? और तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं।

उनका कहना था कि आज देश जैसे-जैसे आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर आगे बढ़ रहा है, स्किल युवाओं की भूमिका और उनकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्किल की इसी ताकत को देखते हुए देश को पहले शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के कोलैबोरेशन पर बहुत जोर दिया था। आज देश के पास और भी असीम अवसर हैं, और भी आधुनिक दौर के नए-नए उद्योग हैं।

You cannot copy content of this page