गुरुग्राम : फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हरियाणा चैप्टर के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला को ज्ञापन सौंपकर बिजली बिलों में एसीडी के नाम पर उपभोक्ताओं के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार की तीव्र आलोचना की. फेडरेशन ने बिजली बोर्ड द्वारा डेढ़ माह की सिक्योरिटी के नाम पर उपभोक्ताओं से करोड़ों वसूलने के निर्णय का प्रबल विरोध किया। फेडरेशन के प्रतिनिधि मंडल की ओर से कमर्शियल और रेजिडेंशियल ग्राहकों पर लागू किए गए एसीडी के प्रावधान को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई। ज्ञापन में औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने की दृष्टि से कई सुझाव भी दिए गए।
एफ आई ए के सदस्यों ने बिजली मंत्री रणजीत सिंह के साथ आज स्थानीय पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के कांफ्रेंस हॉल में आयोजित बैठक के दौरान हाल ही में लागू किए गए एसीडी के प्रावधान का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की. उद्यमियों का कहना था कि बिजली बोर्ड ने अब डेढ़ माह की सिक्योरिटी, बिजली उपभोक्ताओं से वसूलने का निर्णय लिया है जबकि पहले से ही प्रति किलो वाट के हिसाब से सिक्योरिटी मनी ली जाती थी. उन्होंने यह कहते हुए सवाल खड़ा किया कि बहुत पुराने ग्राहक होने के बावजूद बिजली बोर्ड उपभोक्ताओं पर विश्वास क्यों नहीं कर रहा है ? उनका कहना था कि इस नए नियम की सबसे अधिक मार घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ने वाली है. यह व्यावहारिक नहीं है. इसलिए इस पर रोक लगानी चाहिए।
उक्त बैठक में फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की तरफ से फेडरेशन के हरियाणा चैप्टर के महासचिव दीपक मैनी, एस पी अग्रवाल और जेपी सिंह शामिल थे।
उनकी ओर से तर्क यह दिया गया कि लगभग 8 वर्ष पूर्व हरियाणा के बिजली बोर्ड का लाइन लॉस 37 प्रतिशत था जो अब घटकर लगभग 15% रह गया है. लेकिन इसका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है।
इसके अलावा ऍफ़ आई ए हरियाणा चेप्टर ने सेक्टर 37 गुरुग्राम के पास जेबीएम इंडस्ट्री के नजदीक एक अतिरिक्त सब स्टेशन स्थापित करने की भी मांग की. उन्होंने बिजली मंत्री को बताया कि सेक्टर 37 गुरुग्राम के पास मेट्रो लाइन का काम शीघ्र शुरू होने वाला है. इस मार्ग पर सेक्टर 10 में स्थापित सब स्टेशन की जगह मेट्रो लाइन के दायरे में आने की संभावना है. इससे आपूर्ति व्यवस्था बाधित हो सकती है. इसलिए समय रहते ही मेट्रो का काम शुरू होने से पहले इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए. उद्यमियों ने बिजली मंत्री को उक्त इलाके में बिजली बोर्ड के नाम हुडा की जमीन पहले से ही उपलब्ध होने की जानकारी दी और क्षेत्र में बिजली की मांग बढ़ने के कारण अतिरिक्त सब स्टेशन की आवश्यकता पर भी बल दिया।
ज्ञापन में उद्यमियों ने मेंटेनेंस के नाम पर बारंबार अघोषित कट लगाने से होने वाले नुकसान की जानकारी भी दी. उनका कहना था कि इससे औद्योगिक इकाइयों के उत्पादन पर बेहद बुरा असर पड़ता है. इसलिए इसका कोई स्थाई समाधान निकाला जाए. विशेषकर गर्मी के मौसम में इस प्रकार की समस्या अधिक झेलनी पड़ती है. प्रत्येक रविवार को भी 4 से 5 घंटे की अवधि तक मेंटेनेंस के लिए बिजली आपूर्ति काटी जाती है. इसकी भी पूर्व सूचना नहीं दी जाती है. फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के सदस्यों ने व्यवस्था की इस खामी को दूर करने की मांग की।
सेक्टर 37 में बिजली बोर्ड की ओर से लंबे समय से अंडर ग्राउंड केबलिंग का काम शुरू करने का आश्वासन दिया जाता रहा. लेकिन इस मामले में भी अब तक कोई प्रगति होती नहीं दिख रही है. फेडरेशन की ओर से बिजली मंत्री से इस विषय पर भी गौर करने की मांग की गई
उद्यमियों ने उनके समक्ष फिक्स्ड चार्जेज का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहां कि फिक्स्ड चार्जेस के नाम पर औद्योगिक इकाइयों को ₹6 .40 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाती है लेकिन कई औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैं जो बिजली का कम इस्तेमाल करती हैं. उन्हें फिक्स्ड चार्जेज के कारण लगभग 11 से ₹12 प्रति यूनिट की बिजली पड़ती है. दूसरी तरफ अधिकतम बिजली उपयोग करने वाली इकाइयों को 15 से 20% तक की मार पड़ती है. वर्तमान परिस्थिति में कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी को झेल रहा औद्योगिक क्षेत्र इस प्रकार के आर्थिक बोझ से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहा है. प्रतिनिधिमंडल ने बिजली मंत्री से फिक्स्ड चार्जेस के प्रावधान को भी समाप्त कर उद्योगों को राहत दिलाने की मांग की।
साथ ही मीटर रेंट के नाम पर लगातार की जा रही वसूली का भी उद्यमियों की ओर से विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि पुराने मीटरों पर विभाग द्वारा लगातार कई वर्षों से मीटर रेंट की वसूली की जा रही है जबकि उक्त मीटर की कीमत से कई गुना अधिक ऐसे बोर्ड अब तक वसूल चुका है। फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की ओर से मीटर रेंट की वसूली पर भी रोक लगाने की मांग की गई।