नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर आयोजित तथाकथित किसानों ने ट्रैक्टर मार्च के नाम पर जमकर उत्पात मचाया. दिल्ली पुलिस की ओर से निर्धारित रूट को तोड़कर ट्रेक्टर पर चल रहे लाठी, फरसे तलवार और पत्थरों से लैस उग्रवादियों ने देश की राजधानी में अपनी विकृत मंशा का परिचय देते हुए पुलिस पर भी हमले बोले. कृषि कानून के विरोध की आड़ में बेकाबू भीड़ ने लाल किला में दाखिल होकर दिल्ली पुलिस ही नहीं देश से भी वायदाखिलाफी की और सवा सौ करोड़ देशवासियों की आन बान शान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को उतारकर पीले रंग का झंडा लगा दिया। इस अनैतिक कुकृत्य ने आज दो माह से धरने पर बैठे और दिल्ली को बंधक बनाने वाले उपद्रवियों की पोल खोल कर रख दी. धारदार हथियारों से लैस गुंडों की भीड़ ने हमला कर 18 पुलिस कर्मियों को बुरी तरह घायल कर दिया. इनमे एक की हालत गंभीर बताई जताई है. अपने ही ट्रेक्टर से दब कर उपद्रव मचाने वालों में एक की मौत हो गई.
देश की राजधानी की सीमाओं पर मंगलवार को विभिन्न धरना स्थलों से रवाना हुई तथाकथित किसानों की ट्रैक्टर रैली निर्धारित रूटों की सीमाओं को तोड़ते हुए आईटीओ और लाल किला पहुंच गई। लाल किला परिसर में भारी संख्या में उत्पात मचाने वाले जमा हो गए। इनमें अधिकतर के पास धारदार हथियार, डंडे और अन्य सामन थे जिससे पुलिस पर हमला कर रहे थे. पुलिस ने इन्हें लाल किला जाने से रोकने की कोशिश की तो इन लोगों ने सड़क पर कड़ी बसों को ट्रेक्टर से धक्का देकर हटाया और लाल किला पहुँच गए.
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के पास पुलिस ने इन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन इन्होने [पुलिस पर पथराव कर दिया. मजबूरन पुलिस को लाठी चार्ज करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले छोदने पड़े . भीड़ को तितर बितर करने के लिए हलके बल प्रयोग के जवाब में उपद्रवियों के जत्थे ने पुलिस पर जमकर हमला किये. हजारों की संख्ये में तलवार, लाठी और सरिये से पुलिस पर हमला किया. इससे पहले ट्रैक्टर रैली निर्धारित रूटों की सीमा तोड़ कर भीतरी रिंग रोड होते हुए आईटीओ के पास पहुंच गई जहां प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज की जिसका इन पर कोई असर नहीं पडा और इन्होने इनर रिंग रोड का रास्ता जबरन चुन लिया और लाल किला पहुँच गए.
दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो महीने से अधिक समय से आंदोलन के नाम पर अड़ियल रवैया आपनाने वाले इन लोगों के लिए गणतंत्र किसान परेड निकालने के लिए जो रूट और समय तय किए गए थे उसकी इन्होने सरासर अवहेलना की. आरम्भ में किसानों के स्वयभूव बडबोले नेता राकेश टिकैत भी इस भीड़ को लालकिला जाने की बात करते देखे गये. इससे इनकी सोची समझी रणनीति का पता लगता है. यहाँ तक कि इन लोगों ने निर्धारित समय से पहले ही टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर लगे बैरीकेड को तोड़ते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में प्रवेश करन शुरू कर दिया था। आईटीओ के पास पहुंचे इनके मार्च को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले भी दागे गए। सिंघु बॉर्डर से जो ट्रैक्टर रैली में जो टुकड़ी चली थी वह अचानक भीतरी रिंगरोड की तरफ बढ़ गई और गाजीपुर बॉर्डर वाली टुकड़ी आईटीओ की तरफ बढ़ गई। पुलिस इन्हें रोकती रही और लेकिन अपनी नापाक इरादों को लिए हुए इन उपद्रवियों ने एक न सुनी. पुलिस के सन्तुलित व्यवहार को भांप क्र इन्होने जमकर उत्पात मचाई और अंततः वही किया जिसकी आशंका थी. अभद्र भीड़ ने लाल किला पहुँच कर राष्ट्रीय झन्डा का आपमान ही नहीं किया बा;लकी उसे उतार पर पीला झंडा लगा दिया जो कानून देश द्रोह की श्रेणी में ही नहीं आता बल्कि किसी भी स्थिति में माफ़ी देने वाली घटना नहीं है.
इस पूरे प्रकरण में दिल्ली पुलिस के जवानों व अधिकारियों के सब्र की दाद अवश्य देनी होगी जिन्होंने इस उत्पात के बाद भी वैसी कार्रवाई नहीं की जिसकी इस घटना के वक्त आवश्यकता थी.
खबर है कि इस तथाकथित किसानों की हिंसक परेड के दौरान हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के 18 कर्मी घायल हो गए हैं। उन्हें नजदीकी अस्पताल एलएनजेपी में एडमिट कराया गया है। घायल पुलिसकर्मियों में से एक की हालत नाजुक बताई जा रही है।
दूसरी तरफ केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इस खूनी खेल के बाद दिल्ली के कई इलाकों में इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी है। मिडिया में चल रही एक विडियो में साफ़ दिखाया गया है कि सैकड़ों प्रदर्शनकारी लाल किला परिसर में प्रवेश कर गए थे और वहां अपना झंडा फहराने की कोशिश की। एक सिख युवक ने तिरंगे को दूर फेंका और पीला रंग झंडा लगाने की कोशिश की. पुलिस मूक दर्शक बनी रही क्योंकि उन्हें इनके विरुद्ध बल प्रयोग की इजाजत नहीं थी.
बताया जाता है कि ट्रैक्टर रैली में हिंसा के बाद गृह मंत्रालय में बैठक हो रही है, जिसमे कई बड़े अधिकारी शामिल हैं। राजधानी में सुरक्षा के मद्दे नजर यह बैठक हो रही है। खबर है कि उपद्रवी अब लाल किले से वापस सिंघु बॉर्डर की ओर लौटने लगे हैं। कहा जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से मिले आदेश के बाद ये लोग वापस सिंघु बॉर्डर लौट रहे हैं।