पटना हाई कोर्ट का छोटे और मझोले विवादों को डिजिटल तकनीक की मदद से सुलझाने पर विचार

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पटना उच्च न्यायलय के सहयोग से नीति आयोग ने कोरोना महामारी के बाद की दुनिया में प्रौद्योगिकी, कानून और नवाचार के आपसी संयोजन से न्याय के लिए कुशल और आसान पहुंच पर एक व्यापक शुरुआत की है।

ओडीआर पर केंद्रित यह बैठक 7 दिसंबर 2020 को आयोजित की गई, जिसमें सर्वोच्च न्यायलय से न्यायमूर्ति नवीन सिंहा, पटना उच्च न्यायालय से मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, पटना उच्च न्यायलय के बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति हेमंत श्रीवास्तव, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति अध्यक्ष न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और अन्य जानकारों के संबोधन हुए। पूरी बिहार न्यायपालिका से 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाइन बैठक में भाग लिया। बैठक में प्रतिभागियों ने प्रत्येक के लिए न्यायसंगत और प्रभावी न्याय वितरण के सुनिश्चित करने के लिए विचार-विमर्श किया।

ओडीआर छोटे और मझोले विवादों को डिजिटल तकनीक की मदद से सुलझाने का एक प्रयास है। इसमें अन्य वैकल्पिक तकनीकों जैसे बातचीत और मध्यस्थता को भी शामिल किया जाता है। जहां न्यायपालिका के अथक प्रयासों से न्यायालयों को डिजिटल किया जा रहा है, वहीं इन्हें और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए रोकथाम और सकंल्प के साथ सहयोगी तंत्र की तत्काल आवश्यकता है। ये ऑनलाइन विवाद समाधान विवादों को कुशलतापूर्वक और किफायती तरीके से सुलझाने में मदद कर सकता है।

अपने स्वागत भाषण में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, “यह ऐतिहासिक बैठक एक सहयोगात्मक अभ्यास की शुरुआत है जो कोविड-19 महामारी के बाद प्रतिक्रियात्मक माहौल में न्याय की कुशल और सुगम पहुंच की दिशा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को गति प्रदान करती है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि “हाल ही में सबसे उत्साहजनक घटनाक्रमों में से एक यह है कि प्रौद्योगिकी को अपनाने में न्यायालय कितने प्रगतिशील और अभिनव हैं।”

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने अपने संबोधन में कहा, “पटना उच्च न्यायालय के सभी अधिकारियों ने न्याय वितरण व्यवस्था को बदलने के लिए इस वर्ष मार्च से एक संकल्प लिया है। हम बहुत पुराने लंबित मामलों की विशाल संख्या से निपट रहे हैं और नए मामले भी सामने आ रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए मानसिकता में भारी परिवर्तन की आवश्यकता है। हम नीति आयोग के साथ मिलकर समाधान खोजने की योजना की रूपरेखा तैयार करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय प्रभावी और त्वरित दोनों हो। ”

सर्वोच्च न्यायालय से माननीय न्यायमूर्ति श्री नवीन सिन्हा ने अपने विशेष संबोधन में कहा, “न्याय प्रणाली आज नवाचार और प्रौद्योगिकी दोनों को एकीकृत कर रही है। पटना उच्च न्यायालय प्रौद्योगिकी के एकीकरण का अग्रदूत रहा है। मैं पटना उच्च न्यायालय को भारत में ऑनलाइन विवाद समाधान का नेतृत्व करते देखना चाहता हूं।” उन्होंने आगे ये भी कहा कि “यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी हितधारकों को इस नए सामान्य के लिए प्रशिक्षित और तैयार किया जाए। हम आगे के रास्ते के रूप में एक सहयोगात्मक मार्ग अपनाकर सभी के लिए न्याय वितरण सुनिश्चित करने में सफल होंगे।”

इस बैठक में नीति आयोग के ‘एक्सेस टू जस्टिस’ कार्यक्रम के ओएसडी और प्रमुख श्री देशगौरव सेखरी ने माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके सिकरी की अध्यक्षता में तैयार ‘भारत में ओडीआर के लिए एक कार्य योजना तैयार करने के लिए मसौदा रिपोर्ट’ पर एक प्रस्तुति दी।  जेएएलडीआई अभियान की अगुवाई कर रहीं सुश्री दीपिका किंहल ने भारत में नागरिकों के लिए ओडीआर की अवधारणा और लाभों पर विस्तार से बताया। सेंटर फॉर ऑनलाइन रेजोल्युशन ऑफ डिस्प्यूट्स के सह-संस्थापक औऱ मध्यस्थ श्री विकास महेंद्र ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि ओडीआर सेवा प्रदाताओं की एक विस्तृत श्रृंखला ने भारत में शुरुआत की है। एसएएमए की सह-संस्थापक सुश्री अक्शेठ अशोक ने अपनी प्रस्तुति में विभिन्न राज्यों के साथ ई-लोक अदालतों के आयोजन के लिए 65,000 से अधिक मामलों को दायर करने और 39898 से अधिक मामलों को निपटाने के साथ सहयोग करने के अनुभव को साझा किया।

ओ़डीआर पर हुई इस शुरुआती बैठक ने इस दिशा में बेहतरीन संभावनाओं पर मुहर लगाई है। नीति आयोग के सीईओ श्री कांत ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में माननीय न्यायाधीशों के प्रति और विशेष रूप से न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा का विशेष आभार व्यक्त किया और अंत में उन्होंने अपने प्रगतिशील और दूरदर्शी दृष्टिकोण के लिए माननीय मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के प्रति अपनी प्रशंसा साझा की।

इस श्रंखला में अगली बैठक जल्द ही होगी।

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