वाह मधुरेन्द्र योर वर्क इज वेरी ब्यूटीफुल : सुदर्शन पटनायक
मोतिहारी/कोणार्क : अंतरराष्ट्रीय कोणार्क फेस्टिवल अंतर्गत पर्यटन विभाग ओड़िसा सरकार द्वारा आयोजित पांच दिवसीय अंतराष्ट्रीय रेतकला उत्सव के दूसरे दिन भी बिहार के चंपारण के लाल मशहूर युवा रेत कलाकार मधुरेन्द्र ने उड़ीसा के कोणार्क में स्थित चंद्रभागा बीच पर अपनी रेत कला से लोगों को चकित कर दिया। इनकी कला को देख अभिभूत हुए पदमश्री सुदर्शन पटनायक अनायास ही बोल उठे- वाह मधुरेन्द्र! योर वर्क इज वेरी ब्यूटीफुल।
बता दे की उत्सव के दूसरे दिन भी सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बालू की रेत पर तमिलनाडु की प्रसिद्ध जल्लीकट्टू संस्कृति को उकेरा है। यह संस्कृति तमिलनाडु में मशहूर हैं। इसमें इंसान और साढ़ के बीच लड़ाई होती हैं। ओडिशा के चंद्रभागा समुन्द्र तट पर रेत से बनी यह कलाकृति कोविड-19 का पालन करने वाले पर्यटकों के बीच काफी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
यहां भारी संख्या में लोग इसे देखने के लिए आ रहे हैं। गौरतलब हो कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र हमेशा से कुछ अलग अंदाज में अपनी कलाकारी का जलवा दिखा कर लोगों के बीच लगातार अपनी ख्याति स्थापित कर रहे हैं। मौके पर उत्सव को देखने के लिए सैकड़ो की तादाद में अंतराज्यीय पर्यटकों व स्थानीय महिलाओं व पुरुषों भारी संख्या उमड़ रही है।
मधुरेन्द्र अक्सर भारतीय संस्कृति एवं जनहित से जुड़े मुद्दे को ही अपनी रेत कला का विषय बनाते हैं। कभी चुनाव में सभी मतदाताओं को वोट करने के उनके कर्तव्य का बोध कराते हैं तो कभी बिहार में जल जीवन हरियाली के प्रति जागरूक करते नजर आते हैं। विभिन्न विषयों पर आधारित रेत के माध्यम से तैयार आकृति खुद बोलती नजर आती है।
ओडिशा के चंद्रभागा समुद्र तट पर आज उनके द्वारा आकृति से तमिलनाडु में बेहद लोकप्रिय जल्लीकट्टू परम्परा का संदेश मिल रहा है। यह उनके अंदर कला की विविधता को दर्शाता है जबकि भारतीय परम्पराओं के प्रति उनके आदर भाव को भी परिलक्षित करता है। समय की आवश्यकताओं के अनुरूप कला को संदेशपरक माध्यम बनाना मधुरेन्द्र की विशेषता है। यही कारण है कि पद्मश्री सुदर्शन पटनायक भी उनके इस प्रयास को देख कर झूम उठे।