नई दिल्ली। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एनआईटी वारंगल के 18वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर छात्रों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने एनआईटी वारंगल परिसर में पंडित मदन मोहन मालवीय पठन-पाठन केन्द्र, विश्वेश्वरैया कुशलता विकास केन्द्र और सरदार वल्लभभाई पटेल अतिथि गृह की नवनिर्मित इमारतों का उद्घाटन किया। उन्होंने परिसर में रुद्रम्मा देवी महिला छात्रावास परिसर का शिलान्यास भी किया। इंफोसिस के संस्थापक और संस्थान के मानद अध्यक्ष पद्म विभूषण एन. आर. नारायणमूर्ति ने सम्मानीय अतिथि के तौर पर समारोह में शिरकत की। उनके अलावा एनआईटी वारंगल के निदेशक डॉ. एन. वी. रामन राव तथा बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी मौजूद थे। दीक्षांत समारोह का आयोजन मोशन कैप द्वारा संवर्द्धित रियल्टी वर्चुअल टेक्नोलॉजी के माध्यम से किया गया ताकि कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा प्रदान करने का कार्य बाधित न हो।
इस अवसर पर अपने संबोधन में शिक्षा मंत्री ने छात्रों को बधाई दी और कहा कि दीक्षांत समारोह वह महत्वपूर्ण अवसर होता है जब छात्र अपनी शिक्षा के परिणाम को लेकर बाहरी दुनिया में प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि आज उपाधि पा रहे सभी छात्रों के लिए यह जीवन की वास्तविक परीक्षा देने का समय है। अब वे शिक्षा प्राप्ति के दौरान हासिल की गई जानकारी और ज्ञान का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सीखने की प्रक्रिया कभी भी समाप्त नहीं होती यह एक जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा के साथ संस्कृति को भी जोड़ा जाना अनिवार्य है ताकि व्यक्ति की तरक्की के लिए एक ठोस और चिर स्थाई आधार बन सके। शिक्षा मंत्री ने एनआईटी वारंगल को अपनी एनआईआरएफ रैंकिंग में सुधार करने (2018 के 26वें रैंक से 2019 में 19वें रैंक पर आने) और संस्थान द्वारा प्राप्त उपलिब्धयों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह संस्थान भविष्य में भी समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा। उन्होंने छात्रों को अलग तरह से, पाबंदियों और चुनौतियों से आगे जाकर सोचने और विश्व में जहां कहीं भी अंधेरा और बुराई है वहां रोशनी फैलाने की कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों को स्वप्न देखने और अपने स्वप्नों को अपने जीवन के हर क्षण में सच करने की कोशिश करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र के सुधारों का मुख्य सिद्धांत छात्रों की शिक्षा तक समान पहुंच कायम करना है।
श्री पोखरियाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षा क्षेत्र में भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रमों और योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने एनआईटी वारंगल को इस बात के लिए भी बधाई दी कि उनके छात्रों को नौकरियों के शानदार अवसर प्राप्त हुए। इसके साथ ही उन्होंने संस्थान की अनुसंधान के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों के लिए और पावर ग्रिड, एपीपीएसआईएल तथा अन्य कंपनियों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर जैसे कार्यक्रमों और पहलों के जरिए उद्योग और अकादमी क्षेत्र के बीच के अंतर को कम करने जैसे कदमों के लिए प्रशंसा की। शिक्षा मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया जैसे कार्यक्रम परिवर्तनकारी योजनाएं हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अब विश्व का सबसे पसंदीदा निवेश गंतव्य बन गया है और हम अभी से ‘21वीं सदी का स्वर्ण भारत’ बनने की ओर अग्रसर हैं।
इंफोसिस के संस्थापक और समारोह के सम्मानित अतिथि एन. आर. नारायणमूर्ति ने अपने संबोधन में कहा कि वह शैक्षिक उपाधि प्राप्त कर रहे छात्रों की सफलता का उत्सव मनाने के लिए आयोजित इस समारोह का हिस्सा बनकर आह्लादित हैं। उन्होंने छात्रों को उपाधि प्राप्त करने के लिए बधाई दी। उन्होंने शैक्षिक उपाधि प्राप्त करने को किसी व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण घटना बताया जहां छात्र प्रगति के लिए प्रखर, प्रबुद्ध, अनुशासित, उत्साही और समर्पित रहने की खुद अपने आप से और भारतीय समाज से प्रतिबद्धता व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज की ‘प्रगति’ के लिए उपलब्ध संसाधनों के अधिक-से-अधिक इस्तेमाल की आवश्यकता होती है और हमारे देश में वांछित प्रगति में कमी का कारण प्रतिभा तथा अन्य संसाधनों का अभाव नहीं है, यह भारतीय नागरिकों के आचरण में पेशेवर भावना के अभाव की वजह से है। उन्होंने कहा कि पेशेवर या व्यावसायिकता की भावना समय की जरूरत है और हर व्यक्ति एक अच्छा पेशेवर बन सकता है बशर्ते वह अडिग, प्रतिस्पर्धी और समर्पित भाव से तथा नियमों तथा मूल्यों के तहत जीवन जीते हुए अपने कर्तव्यों को अंजाम दें। उन्होंने कहा ‘एक अच्छा पेशेवर’ स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होता है और वह अपना हर कार्य शून्य से शुरू करता है। इसलिए उसके द्वारा किए जाने वाले मौजूदा कार्य में पिछले कार्य को लेकर किसी तरह का पक्षपात नहीं होता। श्री नारायणमूर्ति ने अमेरिकी बास्केटबॉल के विख्यात खिलाड़ी माइकल जॉर्डन की इस बात को दोहराया, ‘प्रतिभा खेल जीतती है, लेकिन टीम वर्क चैंपियनशिप जीतता है’। उन्होंने कहा कि किसी भी पेशेवर व्यक्ति को नई-से-नई जानकारी, नए आंकड़े एकत्र करने चाहिए, अपनी प्रतिभा, अपनी बुद्धि और अपनी कुशलता को मांजते रहना चाहिए, लेकिन साथ ही अपने मूल्यों के अनुरूप ही कार्य करना चाहिए।
डॉ. एन. वी. रामन राव ने बताया कि वर्तमान में एनआईटी वारंगल स्नातक स्तर के 8 कार्यक्रमों के साथ-साथ स्नातकोत्तर स्तर पर-एमटेक के 28 कार्यक्रम, एमएससी के 5 कार्यक्रम और एमसीए तथा एमबीए के 1-1 कार्यक्रम – कुल मिलाकर 35 कार्यक्रम चलता है जो कि सभी एनआईटी संस्थानों में सर्वाधिक हैं। उन्होंने पिछले सालों में एनआईटी वारंगल में शिक्षा और अनुसंधान में हुई प्रगति का विवरण दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता महसूस कर रहा हूं कि पिछले दीक्षांत समारोह के बाद के समय में हमने बहुत सी गतिविधियां कीं इसमें, अनुसंधान परियोजनाएं, पेटेंट्स सलाह मुहैया कराने के कार्य, नए उपकरणों की खरीद, नई प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ-साथ सम्मेलन, कार्यशालाएं, संगोष्ठियां और हाल के समय में वेबिनार आयोजित किया जाना प्रमुख है। उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एनआईआरएफ रैंकिंग में एनआईटी वारंगल ने 19वां स्थान प्राप्त किया जो कि पिछले साल के मुकाबले बहुत बेहतर है। अपनी परंपरा पर खरा उतरते हुए और 2020 की एनआईआरएफ रैंकिंग के आधार पर एनआईटीडब्ल्यू की गिनती देश के प्रमुख एनआईटी संस्थानों में की जा रही है। उन्होंने बताया कि अकादमिक परीक्षाएं, नौकरी के अवसर, संगोष्ठियां और वेबिनार ऑनलाइन आयोजित किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एनआईटीडब्ल्यू के संकाय सदस्यों को अपने अनूठे कार्यों की वजह से विभिन्न मंचों पर मान्यता मिली है। संकाय सदस्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के बाद 20 और पेटेंट्स के लिए अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि इस अकादमिक वर्ष में संस्थान के संकाय सदस्यों ने कई कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण सलाहकारी भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि विभिन्न फंडिंग एजेंसियों ने संस्थान को 137 अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 41 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया है। बायो टेक्नोलॉजी, केमिकल इंजीनियरिंग, ईसीई, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के संकाय सदस्यों को मौजूदा कोरोना वायरस महामारी के संबंध में कई प्रमुख परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। संस्थान ने इस अकादमिक वर्ष में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ करीब 18 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने बताया कि एनआईटी वारंगल के सेंटर फॉर कंटीन्यूइंग एजूकेशन और ईएंडआईसीटी एकेडमी विभिन्न संकाय विकास कार्यक्रमों का संस्थान के भीतर और बाहर ऑनलाइन और ऑफलाइन संचालन करती है। संस्थान परिसर में मियावाकी वन क्षेत्र का विकास किया गया है जिसमें इलाके के 2000 विशिष्ट पौधों का रोपण किया गया है। यह वन अम्बेडकर लर्निंग सेंटर के निकट स्थित है।
इस दीक्षांत समारोह में रिकॉर्ड संख्या में 1607 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें से 119 को पीएचडी, 616 को एमटेक और अन्य परास्नातक उपाधियां तथा 872 को बीटेक की उपाधियां प्रदान की गईं। इंजीनियरिंग की प्रत्येक शाखा में बीटेक कक्षा के टॉपर को ‘रोल ऑफ ऑनर गोल्ड मेडल’ प्रदान किया गया और सारी शाखाओं को मिलाकर टॉप करने वाले छात्र को ‘संस्थान का गोल्ड मेडल’ प्रदान किया गया। केमिकल एंड इंजीनियरिंग शाखा के छात्र अपूर्व भारद्वाज को शिक्षा मंत्री ने वर्चुअल माध्यम से संस्थान का गोल्ड मेडल प्रदान किया। इस छात्र ने इंजीनियरिंग की सभी शाखाओं में मिलाकर सर्वोच्च सीजीपीए प्राप्त किया है। इसके अलावा, 7 अन्य छात्रों को भी गणमान्य अतिथियों ने गोल्ड मेडल प्रदान किए। दीक्षांत समारोह में एनआईटीडब्ल्यू के रजिस्ट्रार एस. गोवर्धन राव, एनआईटीडब्ल्यू के डीन (अकादमिक) प्रोफेसर वेणु गोपाल, कई अन्य डीन, सहायक डीन, प्रोफेसरों, अधिवक्ताओं और रिसर्च स्कॉलरों ने भी हिस्सा लेकर इस आयोजन को सफल बनाया।