नई दिल्ली। अब फुटवियर में दस्तकारी किये हुए खादी के कपड़े की सुंदरता महसूस करें। केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा डिज़ाइन किये गये और खादी के कपड़े से बने भारत के पहले उच्च गुणवत्ता वाले फुटवियर का शुभारंभ किया। ये फुटवियर रेशमी, सूती और ऊनी खादी के कपड़े से बने हैं। श्री गडकरी ने केवीआईसी के ई-पोर्टल www.khadiindia.gov.inके माध्यम से खादी के इन फुटवियरों की ऑनलाइन बिक्री की भी शुरूआत की।
श्री गडकरी ने खादी के कपड़े से बने फुटवियरों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के अनूठे उत्पादों में अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कब्जा करने की अपार क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि खादी कपड़े के फुटवियर हमारे कारीगरों के लिए अतिरिक्त रोजगार और अपेक्षाकृत उच्च आय पैदा करेंगे।
श्री गडकरी ने केवीआईसी से महिलाओं के हैंडबैग, पर्स, बटुआ जैसे चमड़े के उत्पादों के विकल्प का विकास दस्तकारी किये हुए खादी के कपड़ों में करने का आग्रह किया। ऐसे वैकल्पिक उत्पादों की विदेशी बाजारों में व्यापक संभावनाओं को रेखांकित करते हुए, श्री गडकरी ने कहा, “खादी का फुटवियर एक अनूठा उत्पाद है। इसमें अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, सूती, डेनिम का उपयोग युवाओं को आकर्षित करेगा जो इसे ऑनलाइन खरीद सकते हैं। ये फुटवियर सस्ते हैं। “केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ने आगे कहा, “ऐसे उत्पादों का विकास और विदेशों में विपणन करके खादी इंडिया 5000 करोड़ रुपये के बाजार पर कब्जा कर सकता है।”
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि खादी के कपड़े के फुटवियर न केवल पर्यावरण और त्वचा के अनुकूल हैं, बल्कि ये खादी के उन कारीगरों की कड़ी मेहनत को दर्शाते हैं जिन्हें इन फुटवियरों के लिए कपड़े बनाने के लिए रखा गया है। श्री सारंगी ने कहा, “मैं वैश्विक अभिरुचि के अनुरूप खादी के कपड़े के फुटवियर विकसित करने के लिए केवीआईसी को बधाई देता हूं। मुझे यकीन है कि फुटवियर उद्योग में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल करके खादी के कपड़े के फुटवियर देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करेंगे।”
ये फुटवियर महिलाओं के लिए 15 डिज़ाइनों और पुरुषों के लिए 10 डिज़ाइनों में लॉन्च किए गए हैं। इन फुटवियरों को अनूठा एवं फैशनेबल बनाने के लिए गुजरात के पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, बिहार के मधुबनी प्रिंटेड सिल्क, खादी डेनिम, तसर सिल्क, मटका – कटिया सिल्क, विभिन्न प्रकार के सूती कपड़े, ट्वीड ऊन और खादी के पॉली वस्त्र जैसे उत्तम खादी उत्पादों का उपयोग किया गया है। डिजाइन, रंग और प्रिंट की एक विस्तृत श्रृंखला में उपलब्ध, इन फुटवियरों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए पहने जाने वाले कपड़ों – औपचारिक, आकस्मिक और उत्सव के अवसर – के अनुकूल लगने के लिए डिज़ाइन किया गया है। खादी के इन फुटवियरों की कीमत 1100 रुपये से लेकर 3300 रुपये प्रति जोड़ी है।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप नए क्षेत्रों में कदम रखना, नए बाजारों का दोहन करना और उत्पाद श्रृंखला में विविधता लाना पिछले छह वर्षों में खादी की शानदार सफलता का मंत्र रहा है।
श्री सक्सेना ने कहा, “खादी के कपड़े के फुटवियर को लॉन्च करने के पीछे का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बाजार का दोहन करना था जहां अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग तेजी से शाकाहारी हो रहा है और इसलिए, खादी इस वर्ग का पसंदीदा विकल्प बन जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “लोगों के लिए खादी के कपड़े का फुटवियर भले ही एक छोटा कदम है, लेकिन यह हमारे खादी के कारीगरों के लिए एक विशाल छलांग होगा। फुटवियर में सूती, सिल्क और ऊन जैसे महीन कपड़ों का इस्तेमाल करने की वजह से कारीगरों द्वारा कपड़े के उत्पादन के साथ-साथ इसकी खपत में भी वृद्धि होगी। यह अंततः खादी के कारीगरों के लिए अतिरिक्त रोजगार और अपेक्षाकृत उच्च आय पैदा करेगा।” भारतीय फुटवियर उद्योग का आकार लगभग 50,000 करोड़ रुपये का है जिसमें लगभग 18,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। श्री सक्सेना ने कहा कि हमारा प्रारंभिक लक्ष्य इस उद्योग के कम से कम 2% भाग पर कब्जा करना है, जोकि अनुमानित रूप से लगभग 1000 करोड़ रुपये के बराबर है।
संयोग से, खादी के कपड़े के फुटवियर विकसित करने के पीछे का विचार प्रधानमंत्री के “स्थानीय से वैश्विक” के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है। इससे पहले, केवीआईसी ने टाइटन के साथ मिलकर अपनी पहली खादी कलाई घड़ी सफलतापूर्वक लॉन्च की थी, जोकि एक ट्रेंड सेटर रही है।