यूनियन नेता अतुल कुमार ने केंद्र सरकार की नीतियों को श्रमिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला बताया
वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जान्घू ने ट्रेड यूनियन आन्दोलन को अपराध की श्रेणी में लाने की घोर आलोचना की
बेल्सोनिका प्रबन्धन पर महामारी का पूरा भार मजदूरों पर डालने पर आरोप लगाया
फैक्ट्री के अंदर षड्यंत्र कर उकसावे पूर्ण कार्यवाही करने पर उतारू है प्रबंधन
गुरुग्राम। बेलसोनिका ऑटो कॉम्पोनेन्ट इंडिया एम्प्लाइज यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर 8 घंटे की सामूहिक भूख हड़ताल मिनी सचिवालय गुड़गांव में की। भूख हड़ताल पर बैठे श्रमिकों ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम सहिंताओ में तब्दील कर मजदूर विरोधी प्रावधान शामिल करने का विरोध किया. श्रमिक नेताओं ने 20 माह से यूनियन की लंबित सामूहिक मांग पत्रों पर अमल करने की मांग की । यूनियन नेताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों को श्रमिक विरोधी होने की संज्ञा दी और इसे निरस्त करने पर बल दिया. नोटिस पीरियड में बदलाव करने व हड़ताल को लेकर किये गए परिवर्तन से श्रमिकों के मौलिक अधिकारों के हनन का मामला बताया.
यूनियन नेता अतुल कुमार ने कहा कि 4 श्रम सहिंताओ में घोर मजदूर विरोधी बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने मजदूरों को हड़ताल करने के कानूनी अधिकार को सीमित कर दिया है. पूर्व श्रम कानूनों में 15 दिन पूर्व हड़ताल के नोटिस को बदलकर 60 दिन हड़ताल से पूर्व नोटिस देने का प्रावधान कर दिया गया जो श्रमिकों के मौलिक अधिकार पर हमला है । नई श्रम सम्बन्ध संहिता के अनुसार अगर यूनियन का कोई डिस्प्यूट पेंडिंग हैं तो मजदूर यूनियन हड़ताल नही कर सकती हैं। अगर हड़ताल गैर कानूनी घोषित हो जाती हैं तो मजदूर व मजदूर यूनियन पर 50 हजार से 2 लाख रुपए तक का जुर्माने व जेल का प्रावधान किया गया हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के नए नियम से हड़ताल का समर्थन करने वाले व्यक्ति व समूह पर भी जुर्माने व जेल का यही प्रावधान लागू करने का प्रावधान किया गया है। यह सरसर अन्याय है. उनका कहना था अपनी समस्याओं को लेकर लोकतंत्र में आवाज मुखर करने का प्राकृतिक अधिकार है और इसे अब छीन लिया गया है. यह असहनीय है.
वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जान्घू ने कहा कि छंटनी व तालाबंदी की कानूनी सीमा संख्या 100 मजदूर को बढ़ाकर 300 मजदूर की संख्या कर दी गई है। इससे अब तीन सौ मजदूर भी अगर फक्ट्री में कार्यरत हैं तो भी कंपनी बंद हो सकती है. उन्होंने सवाल खड़ा किया कि इस प्रावधान को किस आधार पर श्रमिक हितैषी माना जाय. यह प्रावधान कंपनी मालिक के हाथ मजबूत करने वाला है जो उन्हें निरंकुश बना देगा और श्रमिकों के साथ अन्याय होता रहेगा. उन्होंने मांग की कि ऐसे प्रावधान को तत्काल समाप्त करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि स्थाई रोजगार पर फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट के तहत मजदूर काम पर रखे जायेंगे। एक तरीके से रखो व निकालो की खुली छूट पूंजीपतियों को दे गई है. दूसरी तरफ ट्रेड यूनियन आन्दोलन को अपराध की श्रेणी में लाने की साजिश कर अधिनायकवाद का स्पष्ट प्रमाण दे रही है केंद्र सरकार ।
यूनियन नेता जसबीर सिंह ने कहा कि नौकरियों को फिक्स टर्म में बदलने का भी प्लान किया जा रहा है। इन मजदूर विरोधी श्रम सहिंताओ का बेलसोनिका यूनियन विरोध करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी को अवसर में तब्दील करते हुए बेलसोनिका प्रबंधन ने 20 माह से लम्बित बेलसोनिका के स्थाई व अस्थाई मजदूरों के मांगपत्र को करोना महामारी के नाम पर घाटे का बहाना बना कर हल करने से मना कर रहा है।उन्होंने कहा कि प्रबन्धन, महामारी का पूरा भार मजदूरों पर डालने पर उतारू हैं.
यूनियन पदाधिकारी अजीत सिंह ने कहा कि वेतन भत्तों में कटौती से लेकर ठेका श्रमिकों को करोना महामारी के दौरान बहार निकाला गया। प्रबंधन अब 20 माह से लंबित मांगपत्र को हल करने की बजाय श्रम विभाग से मिलकर कोरोना की आड़ में वापस उठाने का दबाव बना रहे हैं। उनकी शिकायत है कि मांगपत्र के चलते बेलसोनिका प्रबंधन फैक्ट्री के अंदर तरह तरह के षड्यंत्र कर उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर रहा है। यहाँ तक कि कैंटीन के खाने में मीनू को मनमर्जी से बदलकर मजदूरों को भूखा रहने पर मजबूर किया जा रहा है। कैंटीन में खाना कम बनवाना आदि समस्याओं से लेकर शॉप फ्लोर में मजदूरों को बिना किसी कारण ट्रान्सफर करना, मजदूरों के साथ बदले की भावना से काम करना आदि उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर रहा है।
श्रमिकों का कहना है कि प्रबंधन श्रमिकों के मांगपत्र पर विचार कर अमला करने के बजाय सत्यापित स्थायी आदेशों के लिए चंडीगढ़ के चक्कर काट रहा है ताकि मजदूर विरोधी बदलावों का फायदा उठाकर स्थायी नौकरियों पर हमला किया जा सके। बेलसोनिका यूनियन घोर मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं व 20 माह से लम्बित मांगपत्र को लेकर आज की भूख हड़ताल के बाद योजना बनाकर आगामी लड़ाई लड़ेंगे।
इस भूख हड़ताल में बेलसोनिका यूनियन के पदाधिकारी अतुल कुमार, जसबीर सिंह, अजित सिंह, मोहिंदर कपूर, मुकेश कुमार, राजपाल, राजेश कुमार व अरविन्द कुमार शामिल थे व बेलसोनिका के पूरे मजदूरों ने अपनी शिफ्टों के हिसाब से इस भूख हड़ताल में शामिल हुए। आज जो यूनियनें इस भूख हड़ताल के समर्थन में शामिल हुईं उनमें मारुति यूनियन गुड़गांव , मारुति यूनियन मानेसर, पॉवर ट्रैन यूनियन मानेसर, सुजुकी बाइक यूनियन खेड़की दौला, FMI यूनियन मानेसर, रिको यूनियन धारूहेड़ा, हेमा यूनियन गुड़गांव, सत्यम यूनियन मानेसर, मुंजाल शोवा यूनियन मानेसर, एटक से अनिल पवार, इमके श्यामवीर, रोहित व योगेश, श्रमिक नेता कुलदीप जांघू, AIUTIUC से राम कुमार, CITU से सतवीर, आशा वर्कर्स- मिड डे मील की ओर से सरोज, PTI टीचर 1983 की ओर से यूनियन नेता आदि शामिल हैं।