सुभाष चौधरी/मुख्य संपादक
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज #Bihar बिहार की विकास यात्रा में एक और अहम अध्याय जोड़ दिया। अब से कुछ देर पहले उन्होंने बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ाने वाली 9 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इसमें पटना के गांधी सेतु के समानांतर दूसरा 4 लेन पुल, भागलपुर गंगा नदी पर विक्रमशीला पुल के समानांतर दूसरा 4 लेन पुल और बिहपुर से बीरपुर फुलौत होते हुए एक कोसी नदी पर 4 लेन पुल के निर्माण जैसे अहम प्रोजेक्ट का शिलान्यास कर सड़क परिवहन को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया। इन परियोजनाओं में हाइवे को 4 लेन और 6 लेन बनाने और नदियों पर 3 बड़े पुलों के निर्माण का काम शामिल है।
आज जिन प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया उनमें नरेनपुर से पूर्णिया सड़क, पटना रिंग रोड का भी शामिल है। इसके अलावा पीएम ने बाहर के 45 हजार गावो को फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की योजना का भी आरंभ किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज देश में मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। अब हाईवे इस तरह बन रहे हैं कि वो रेल रूट को, एयर रूट को सपोर्ट करें। रेल रूट इस तरह बन रहे हैं कि वो पोर्ट से इंटर-कनेक्टेड हों। उन्होंने कहा कि कल देश की संसद ने, देश के किसानों को नए अधिकार देने वाले बहुत ही ऐतिहासिक कानूनों को पारित किया है, ये सुधार 21वीं सदी के भारत की जरूरत हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि अगस्त के आकंड़ों को देखें तो लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन यूपीआई के माध्यम से किया गया है, #कोरोना के इस समय में डिजिटल भारत अभियान ने देश के सामान्य जन की बहुत मदद की है। इस साल कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीज़न में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है।
उन्होंने बल देते हुए कहा कि इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए MSP पर दिया गया है। ये राशि भी पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा है।
पीएम ने कहा कि बीते 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है और 2014 से पहले के 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है, उसके आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं अगर दलहन और तिलहन की ही बात करूं तो पहले की तुलना में, दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद करीब 24 गुणा अधिक की गई है।
पीएम मोदी ने यह कहते हुए देश के किसानों को भरोसा दिलाया कि मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि MSP की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे। डेयरी डेवलपमेंट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जहां डेयरी होती हैं, वहां आसपास के पशुपालकों को दूध बेचने में आसानी तो होती है। डेयरियां भी पशुपालकों का, उनके पशुओं का ध्यान रखती हैं। इन सबके बाद भी दूध भले ही डेयरी खरीद लेती है, लेकिन पशु तो किसान का ही रहता है।ऐसे ही बदलाव अब खेती में भी होने का मार्ग खुल गया है।
संसद से पारित कृषि कानूनों की चर्चा करते हुए उनका कहना था कि बहुत पुरानी कहावत है कि संगठन में शक्ति होती है।
कांट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर उन्होंने कहा कि आज हमारे यहां ज्यादा किसान ऐसे हैं जो बहुत थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं। जब किसी क्षेत्र के ऐसे किसान अगर एक संगठन बनाकर यही काम करते हैं, तो उनका खर्च भी कम होता है और सही कीमत भी सुनिश्चित होती है।
उन्होंने किसानों की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।
उन्होंने संसद से पारित कानून को किसान हित में उठाये गए कदम की संज्ञा दी। पीएम ने बल दिया कि नए कृषि सुधारों ने देश के हर किसान को आजादी दे दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल, अपने फल-सब्जियां बेच सकता है। अब उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
इससे पूर्व कार्यक्रम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने प्रधान मंत्री का आभार जताया और लखनऊ गाजीपुर मार्ग को बॉक्सर तक एक्सटेंड करने की मांग की। उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानून का समर्थन किया और इसे किसानों के हित में बताया। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आजादी होगी जबकि कांट्रेक्ट फार्मिंग के प्रावधान को खेती के लिए बेहतर व्यवस्था कहा। रविवार को राज्यसभा में उप सभापति हरिवंश नारायण के साथ कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा किये गए व्यवहार की नींद की और इसे अशोभनीय बताया। उनका कहना था कि अपनी बात कहने का संवैधानिक तरीका अपनाया जाना चाहिए।
राज्यसभा में विपक्ष के व्यवहार की आलोचना बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार ने भी की। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल फागु चौहान, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राजकुमार सिंह, गिरिराज सिंह, जे वी के सिंह सहित बिहार के कई मंत्री व विधायक भी उपस्थित थे।