नयी दिल्ली । दिल्ली विधानसभा की एक समिति ने 15 सितंबर को फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन को अपने समक्ष पेश होने के लिये तलब किया है। सोशल मीडिया मंच द्वारा देश में द्वेषपूर्ण सामग्री के प्रसार को रोकने के लिये कथित रूप से इरादतन और गैरइरादतन कदम नहीं उठाए जाने को लेकर मिली शिकायतों के बाद समिति ने यह फैसला किया।
एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया, “यह सम्मन प्रमुख गवाहों द्वारा दिये गए बयानों और उनके द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई आपत्तिजनक सामग्री के बाद जारी किया गया है।”
दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति द्वारा यह सम्मन हाल में वॉल स्ट्रीट जर्नल की उस खबर के प्रकाशन के बाद जारी किया गया है जिसमें दावा किया गया है कि फेसबुक के भारत में एक प्रमुख नीतिगत कार्यकारी ने तेलंगाना से भारतीय जनता पार्टी के एक नेता पर स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाये जाने से रोकने के लिये आंतरिक संवाद में दखल दिया। भाजपा नेता ने कथित तौर पर सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ पोस्ट साझा की थी।
दिल्ली विधानसभा के उप सचिव ने 10 सितंबर को भेजे गए एक नोटिस में कहा, “हम आपको (अजीत मोहन को) अपने समक्ष 15 सितंबर 2020 को दोपहर 12 बजे विधायक लाउंज-1, दिल्ली विधानसभा में तलब करते हैं। इसका उद्देश्य आपकी शपथपूर्ण गवाही दर्ज करना और समिति द्वारा की जा रही कार्यवाही में आपकी सहभागिता है।”
फेसबुक ने पिछले महीने कहा था कि उसका सोशल मीडिया मंच ऐसे द्वेषपूर्ण बयानों और सामग्रियों का निषेध करता है जो हिंसा को भड़काती हैं और ऐसी नीतिया वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं बिना राजनीतिक जुड़ाव देखे।
फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा था, “हम ऐसे द्वेषपूर्ण बयानों और सामग्री को निषेध करते हैं जिनसे हिंसा भड़कने का अंदेशा हो और हम इन नीतियो को वैश्विक स्तर पर लागू करते हैं बिना यह देखे कि किसी की राजनीतिक स्थिति क्या है या वह किस राजनीतिक दल से संबद्ध है।”
उन्होंने कहा था, “हम यह जानते हैं कि इस दिशा में और प्रयास किये जाने की जरूरत है और हम इन्हें लागू करने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं तथा हमारी प्रक्रिया की निष्पक्षता और सटीकता के लिये नियमित रूप से उसका आकलन करते हैं।”