मगर बेटी किसी ने बचायी नहीं है ……… अजय अनोखा चित्रकार

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             मगर बेटी किसी ने बचायी नहीं है ………  

            

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाया,
मगर बेटी किसी ने बचायी नहीं है l

अल्ट्रा  साउंड में बताकर लड़की है…
डॉक्टर ने भी अपनी जिम्मेदारी निभायी नहीं है,
कत्ल करा दिया उस मासूम का….
माँ भी उसकी रोयी नहीं है,
क्या कसूर था उस गुड़िया का…
जो दुनिया उसे दिखायी नहीं है ,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाया,
मगर बेटी किसी ने बचायी नहीं है ll

भगवान से माँगा बेटा सभी ने…
मगर बेटी किसी ने माँगी नहीं है ,
कितनी सेवा माँ बाप की करती,
कितने दुख ससुराल में सहती,
फ़िर भी बेटियाँ किसी को भायी नहीं है ,
खूब दर्द सहा इन्होने मगर पीडा अपनी दिखायी नहीं है ,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाया,
मगर बेटी किसी ने बचायी नहीं है  lll

 

कभी सती बनाके जलाई गई ,
तो कभी दहेज की खातिर जलाई गई  ,
पुलिस को आत्म हत्या बताया गया,
ना चीख सुनी ना आहट सुनी…,
लालची दरिंदों ने…बस पैसों की खन खनाहट  सुनी,
खूब चील्लायी वो बेचारी….
फ़िर भी दरिंदों ने बहू अपनी बचायी नही है ,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाया,
मगर बेटी किसी ने बचायी नही है llll

 

बहन बेटियों की रक्षा अब कोई करता कहाँ है,
दूसरों के लिये अपना वक्त खराब कोई करता कहाँ है,
बीच सड़क पर होती रहती हैं बेइज्जत बहन बेटियाँ….
मगर दूसरों के लफ़ड़ों में कोई पड़ता कहाँ है,
हे नारी ! तू अबला नही है, बात मेरी मान ले,
सर्व शक्ति है तू ,खुद को पहचान ले,
दुर्गा है तू…
हाथ में मेहन्दी भी है तेरे…और तलवार भी तुने उठायी हुई है,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाया,
मगर बेटी किसी ने बचायी नहीं है lllll

                

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