ओल्ड गुरुग्राम को मेट्रो से जोड़ने का रास्ता हुआ साफ, मनोहर लाल केबिनेट ने 27 स्टेशन वाले मेट्रो प्रोजेक्ट को दी मंजूरी

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  • चंडीगढ़ : हरियाणा में ओल्ड गुरुग्राम के निवासियों को मेट्रो कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 6821.13 करोड़ रुपये की लागत से गुरुग्राम में हुडा सिटी सेंटर से विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों तक मेट्रो रेल कनेक्शन की अंतिम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की गई।
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  • कॉरिडोर की कुल लंबाई लगभग 28.80 किलोमीटर है, जिसमें छ: इंटरचेंज स्टेशनों के साथ 27 एलिवेटेड स्टेशन शामिल हैं। यह लिंक हुडा सिटी सेंटर से शुरू होकर सेक्टर 45, साइबर पार्क, जिला शॉपिंग सेंटर, सेक्टर 47, सुभाष चौक, सेक्टर 48, सेक्टर 72 ए, हीरो होंडा चौक, उद्योग विहार फेज 6, सेक्टर 10, सेक्टर 37, बसई गांव, सेक्टर 9, सेक्टर 7, सेक्टर 4, सेक्टर 5, अशोक विहार, सेक्टर 3, बजघेड़ा रोड, पालम विहार एक्सटेंशन, पालम विहार, सेक्टर 23 ए, सेक्टर 22, उद्योग विहार फेज 4, उद्योग विहार फेज 5 से गुजरते हुए अंत में साइबर सिटी के निकट मौलसरी एवेन्यू स्टेशन पर रैपिड मेट्रो रेल गुरुग्राम के मौजूदा नेटवर्क से जुड़ेगा।
  • यह मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) परियोजना गुरुग्राम शहर के अधिकतम हिस्से को लाभान्वित करेगी। यह सुभाष चौक पर एमआरटीएस कॉरिडोर के साथ, सेक्टर 10 में बस स्टैंड के साथ, सेक्टर 5 में रेलवे स्टेशन के साथ और मौलसरी एवेन्यू स्टेशन पर रैपिड मेट्रो के साथ जुड़ेगा।
  •          सुभाष चौक पर एमआरटीएस कॉरिडोर हुडा सिटी सेंटर में पीली लाइन के साथ जुड़ेगा और इसीलिए दिल्ली के साथ गुरुग्राम के एक बड़े हिस्से को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह हीरो होंडा चौक और सेक्टर-22 में आरआरटीएस स्टेशनों के साथ भी जुड़ेगा और सराय काले खान (एसकेके), नई दिल्ली की तरफ और दूरी तरफ शाहजहांपुर, नीमराना और बहरोड़ (एसएनबी),राजस्थान तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। ये लिंकेज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में परिवहन प्रणाली की दक्षता को बढ़ाएंगे।
  •          इस मैट्रो कोरिडोर पर वर्ष 2025, 2031 और 2041 के लिए प्रतिदिन क्रमश: 5.34 लाख यात्री, 7.26 लाख यात्री और 8.81 यात्री दौरे होने का अनुमान है।
  •          एमआरटीएस के शुरू होने से बसों की संख्या, इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट (आईपीटी) और निजी वाहनों के उपयोग में कमी आएगी। इसके फलस्वरूप ईंधन की खपत, वाहन परिचालन लागत और यात्रियों के यात्रा समय में कमी जैसे अनेक महत्वपूर्ण सामाजिक लाभ होंगे। इसके अलावा, इसकी मदद से दुर्घटनाओं, प्रदूषण और सडक़ रखरखाव लागत में कमी आने से समाज को सामान्य रूप से अन्य लाभ भी होंगे।

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