पीएम मोदी बोले, ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिससे हमारा युवा टक्कर ना ले सके

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नई दिल्ली : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज  Grand Finale of Smart India Hackathon को संबोधित करते हुए कहा कि देश के गरीब को एक Better Life देने के, Ease of Living के हमारे लक्ष्य को हासिल करने में आप सभी युवाओं की भूमिका बहुत अहम है। मेरा हमेशा से ये मानना रहा है कि देश के सामने आने वाली ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिससे हमारा युवा टक्कर ना ले सके, उसका समाधान ना ढूंढ सके.

उन्होंने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के माध्यम से भी बीते सालों में अद्भुत Innovations देश को मिले हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस Hackathon के बाद भी आप सभी युवा साथी, देश की जरूरतों को समझते हुए, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, नए-नए solutions पर काम करते रहेंगे. हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, हमारे देश के महान शिक्षाविद बाबा साहेब आंबेडकर कहते थे कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो सभी की पहुंच में हो, सभी के लिए सुलभ हो। ये नई शिक्षा नीति 2020 उनके इस विचार को भी समर्पित है .

प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि देश की युवा शक्ति पर मुझे हमेशा से बहुत भरोसा रहा है। ये भरोसा क्यों है, ये देश के युवाओं ने बार-बार साबित किया है. हाल ही में कोरोना से बचाव के लिए फेस शील्ड्स की डिमांड एकदम बढ़ गई थी। इस डिमांड को 3D Printing टेक्नॉलॉजी के साथ पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर देश के युवा आगे आए.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि एक ओर जहां स्थानीय लोक कलाओं और विद्याओं, शास्त्रीय कला और ज्ञान को स्वभाविक स्थान देने की बात है तो वहीं Top Global Institutions को भारत में campus खोलने का आमंत्रण भी है.  वैसे भी आज GDP के आधार पर विश्व के top 20 देशों की लिस्ट देखें तो ज्यादातर देश अपनी गृहभाषा, मातृभाषा में ही शिक्षा देते हैं। ये देश अपने देश में युवाओं की सोच और समझ को अपनी भाषा में विकसित करते हैं और दुनिया के साथ संवाद के लिए दूसरी भाषाओं पर भी बल देते हैं.

उनका कहना था कि इससे विश्व का भी भारत की समृद्ध भाषाओं से परिचय होगा। और एक बहुत बड़ा लाभ ये होगा की विद्यार्थियों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी ही भाषा में सीखने को मिलेगा.  उनके अनुसार अब एजुकेशन पॉलिसी में जो बदलाव लाए गए हैं, उससे भारत की भाषाएं आगे बढ़ेंगी, उनका और विकास होगा। ये भारत के ज्ञान को तो बढ़ाएंगी ही, भारत की एकता को भी बढ़ाएंगी . हमारे देश में भाषा- Language हमेशा से एक संवेदनशील विषय रही है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि हमारे यहां स्थानीय भाषा को अपने हाल पर ही छोड़ दिया गया, उसे पनपने और आगे बढ़ने का मौका बहुत कम मिला.

पीएम मोदी ने बल देते हुए कहा कि ये नई Education Policy, Job seekers के बजाय Job Creators बनाने पर बल देती है। यानि एक प्रकार से ये हमारे Mindset में, हमारी अप्रोच में ही रिफॉर्म लाने का प्रयास. आप भी अपने आसपास देखते होंगे, आज भी अनेक बच्चों को लगता है कि उनको एक ऐसे विषय के आधार पर जज किया जाता है, जिसमें उसका इंटरेस्ट ही नहीं है। मां-बाप का, रिश्तेदारों का, दोस्तों का प्रेशर होता है तो वो दूसरों द्वारा चुने गए सबजेक्ट्स पढ़ने लगते हैं. इसी कड़ी में कुछ दिन पहले देश की नई Education Policy का ऐलान किया गया है। ये पॉलिसी, 21वीं सदी के नौजवानों की सोच, उनकी जरूरतें, उनकी आशाओं-अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को देखते हुए बनाई गई है.

मोदी ने कहा कि इसलिए ये सिर्फ एक Policy Document नहीं है बल्कि 130 करोड़ से अधिक भारतीयों की Aspirations का Reflection भी है.

उनका कहना था कि ऑनलाइन एजुकेशन के लिए नए संसाधनों का निर्माण हो या फिर स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन जैसे ये अभियान,  प्रयास यही है कि भारत की Education और आधुनिक बने, मॉडर्न बने, यहां के Talent को पूरा अवसर मिले.  इसी सोच के साथ अब देश में Innovation के लिए, Research के लिए, Design के लिए, Development के लिए, Entrepreneurship के लिए ज़रूरी Ecosystem तेजी से तैयार किया जा रहा है.

 

पीएम ने कहा कि लेकिन ये 21वीं सदी है और तेजी से बदलती हुई दुनिया में, भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से बदलना होगा.  हमें हमेशा से गर्व रहा है कि बीती सदियों में हमने दुनिया को एक से बढ़कर एक बेहतरीन साइंटिस्ट, बेहतरीन Technicians, Technology Entrepreneurs दिए हैं.

 

युवाओं को संबोधित करते हुए उनका कहना था कि युवा एक से बढ़कर एक Solutions पर काम कर रहे हैं। देश के सामने जो Challenges हैं, ये उनका Solution तो देते ही हैं, Data, Digitization और Hi-tech Future को लेकर भारत की Aspirations को भी मज़बूत करते हैं.

 

उनके विचारों में नई एजूकेशन पॉलिसी के माध्यम से इसी अप्रोच को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, पहले की कमियों को दूर किया जा रहा है। भारत की शिक्षा व्यवस्था में अब एक Systematic रिफॉर्म, शिक्षा का Intent और Content, दोनों को Transform करने का प्रयास है. इस अप्रोच ने देश को एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी दी है, जो पढ़ी-लिखी तो है, लेकिन जो उसने पढ़ा है उसमें से अधिकांश, उसके काम नहीं आता। डिग्रियों के अंबार के बाद भी वो अपने आप में एक अधूरापन महसूस करता है.

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