नयी दिल्ली, 6 जुलाई । चीन की सेना गलवान घाटी के कुछ हिस्सों से तंबू हटाते और पीछे हटती दिखी है। सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने का यह पहला संकेत है। दावा किया गया है कि चीन की सेना गलवान घाटी से 2 किलोमीटर पीछे हट गई है। यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है जो विश्व में एक मजबूत संदेश देने वाला साबित होगा। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के तीखे तेवर के सामने आखिर चीन को झुकना पड़ा और विस्तारवाद को गहरा धक्का लगा।
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के कोर कमांडरों के बीच हुए समझौते के तहत चीनी सैनिकों ने पीछे हटना शुरू किया है।हालांकि देर रात ख़बर आई कि भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच दो घंटे से अधिक समय तक बैठक हुई जिसमें इस बात पर सहमति बनी की चीन मई 2020 से पहले वाली स्थिति में वापस जाएंगे। समझा जाता है कि दोनों के बीच हुई बातचीत का ही यह नतीजा सामने आया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सीमा विवाद पर भारत और चीन के दो विशेष प्रतिनिधियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों पर विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने सहमति व्यक्त की कि दोनों पक्षों को नेताओं की आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति का रखरखाव द्विपक्षीय संबंधों के आगे के विकास के लिए आवश्यक था। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए।
इसलिए, वे इस बात पर सहमत हुए कि शांति और शांति की पूर्ण बहाली के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों से एलएसी और डी-एस्केलेशन के साथ सैनिकों की जल्द से जल्द पूर्ण वापसी सुनिश्चित करना आवश्यक था। इस संबंध में, वे आगे इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को LAC के साथ चल रही वापसी प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करना चाहिए।
दोनों पक्षों को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में चरणबद्ध और दोस्ताना व्यवहार सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने फिर से पुष्टि की कि दोनों पक्षों को आपसी सहमति का कड़ाई से सम्मान करना चाहिए और वास्तविक नियंत्रण रेखा का निरीक्षण करना चाहिए और यथास्थिति में बदलाव लाने के लिए एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। यह भी तय हुआ कि भविष्य में किसी भी घटना से बचने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांति भंग कर सकती है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों पक्षों के राजनयिक और सैन्य अधिकारियों को भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र के ढांचे के तहत अपनी चर्चाएं जारी रखनी चाहिए। यह भी सहमति हुई कि दोनों विशेष प्रतिनिधि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति की पूर्ण और स्थायी बहाली सुनिश्चित करने के लिए अपनी बातचीत जारी रखेंगे।
बताया जाता है कि चीनी सेना गश्त बिंदु 14 पर लगाए गए तंबू एवं अन्य ढांचे हटा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में भी चीनी सैनिकों के वाहनों की इसी तरह की गतिविधि देखी गई है।
भारतीय और चीनी सेना के बीच पिछले सात हफ्तों से पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में गतिरोध जारी है।
गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कई गुणा बढ़ गया था जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के सैनिक भी इस झड़प में हताहत हुए थे लेकिन उसने अब तक इसके ब्योरे उपलब्ध नहीं कराए हैं।
भारत क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में पूर्व यथास्थिति बहाल करने पर जोर देता आया है।
क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कई चरणों की कूटनीतिक एवं सैन्य वार्ताएं हुई हैं। हालांकि, दोनों पक्षों के क्षेत्र से बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमत होने के बावजूद गतिरोध समाप्त होने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे थे।
इस नए डेवलपमेंट पर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जेनरल जी डी बख्शी ने कहा कि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद लगातार फुफकार रहा ड्रैगन अपने कदम पीछे हटाने को विवश हो गया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक दबाव और भारत की दृढ़ता की वजह से चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई हिंसा वाली जगह से क़रीब 2 किलोमीटर पीछे हट गए हैं।।