आदिवासी कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए प्रयागराज हवाई अड्डे पर ट्राइब्स इंडिया आउटलेट

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नई दिल्ली : जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत ट्राइफेड का ट्राइब्स इंडिया आउटलेट आज प्रयागराज हवाई अड्डे पर खोला गया।प्रयागराज एयरपोर्ट पर ट्राइब्स इंडिया आउटलेट, प्रयागराज शहर में दूसरा और उत्तर प्रदेश राज्य में चौथा आउटलेट है। इसका उद्घाटन ट्राइफेड के महाप्रबंधनक प्रवीर कृष्ण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के सहयोग से ट्राइफेड ने चेन्नई, जयपुर, उदयपुर, कोयम्बटूर, त्रिवेंद्रम, अहमदाबाद, पुणे, कोलकाता और गोवा में एयरपोर्ट्स पर 9 ट्राइब्स इंडिया शोरूम स्थापित किए हैं, जो बहुत अच्छा कर रहे हैं। प्रयागराज हवाई अड्डे पर नव-उद्घाटित आउटलेट 10वां ऐसा आउटलेट है जो एयरपोर्ट पर स्थापित किया गया है और यह देशभर में स्थापित 121वां आउटलेट है।

 

 

इस अवसर पर प्रवीर कृष्ण ने काम करने वाले और इस लक्ष्य को हासिल करने वाली पूरी टीम को धन्यवाद दिया और बधाई दी। उन्होंने बताया कि यह आउटलेट मई 2020 में आवंटित किया गया था और मात्र 15 दिनों में स्थापित कर दिया गया। अपने समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए टीम का नेतृत्व करते हुए उन्होंने एएआई के क्षेत्रीय निदेशक सुनील यादव को इस परियोजना को पूरा करने में सहयोग और पहल के लिए धन्यवाद दिया।

 

उन्होंने अन्य क्षेत्रों में अन्य ट्राइफेड योद्धाओं को प्रोत्साहित किया और उम्मीद की कि वर्ष के अंत तक सभी सरकारी स्वामित्व वाले हवाई अड्डों में ट्राइब्स इंडिया का आउटलेट होगा। उन्होंने ट्राइफेड वारियर्स को अपने-अपने क्षेत्रों में सभी आपूर्तिकर्ताओं और कारीगरों से संपर्क करने और उन्हें प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध करने के लिए प्रेरित किया ताकि वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच प्राप्त कर सकें।

 

प्रधानमंत्री के संदेश को “लोकल के लिए वोकल बनें” और विपणन के माध्यम से आदिवासी कारीगरों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए ट्राइफेड इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी देश भर में अपने खुदरा परिचालन का विस्तार करना जारी रखता है। महामारी के चलते आदिवासी कारीगरों की सभी व्यावसायिक गतिविधियां थम गई हैं और 100 करोड़ रुपये से अधिक का स्टॉक पड़ा हुआ है। ट्राइफेड, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने इस स्थिति से उभरने के लिए कई उपाय किए हैं।

 

इसके तहत आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के लिए कई उपाय किए गए हैं कि वे घर भी आजीविका कमा सकें। एक ई-मार्केट प्लेस का विकास किया गया जिसमें 5 लाख से अधिक आदिवासी कारीगर सीधे पोर्टल पर पंजीकृत होंगे और अपने सुंदर हस्तनिर्मित वस्तुओं को बेचने के लिए और भी ग्राहकों तक पहुंच सकेंगे।

 

 

ट्राइफेड ने न केवल इन उत्पादों को बाजार में लाने के लिए अपने व्यापक खुदरा नेटवर्क का उपयोग करने की कोशिश की है, बल्कि इसने आदिवासी कारीगरों को 100% बिक्री आय हस्तांतरित करने का फैसला किया है। ग्राहकों के अनुभव को यथासंभव सहज बनाने के लिए, ट्राइब्स इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालयों ने भी उत्पादों की डोर-टू-डोर डिलीवरी की व्यवस्था की है।

 

 

ट्राइब्स इंडिया के उत्पाद अबई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उत्पाद www.tribesindia.com पर सभी क्षेत्रों में एक साथ काम करने के लिए उपलब्ध हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी प्रकार की किस्मों को अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम सहित GeMई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर आसानी से उपलब्ध हों। सभी उत्पादों पर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ट्राइब्स इंडिया शॉप दोनों पर 70% की छूट दी जा रही है। ट्राइफेड देशभर में आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा और आगे बढ़ाने की दिशा में काम करता है।

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