सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एन वी रमाना ने किया एनएएलएसए की ‘हैंडबुक ऑफ फॉर्मेट्स- प्रभावी कानूनी सेवाओं को सुनिश्चित करना’ का विमोचन

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  • नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एन वी रमाना ने किया हैंडबुक को जारी
  • राज्य विधिक सेवाओं तथा ज़िला विधिक सेवाओं के अध्यक्षों व सदस्य सचिवों को वेबिनार से किया संबोधित।

गुरुग्राम, 6 जून। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एन वी रमाना ने कहा कि कोविड-19 लोक डाउन के दौरान भी विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नवीनतम तकनीक को अपनाकर कई प्रकार की गतिविधियां की गई हैं। इस दौरान परिवार के भीतर घरेलू हिंसा तथा बाल दुर्व्यवहार के मामलों में वृद्धि देखी गई है। ऐसे समय के दौरान जब पीड़ित हमारे पास नहीं पहुंच सकते, तो हमारे लिए उन तक पहुंचना अनिवार्य है। उस स्थिति की तात्कालिकता को स्वीकार करते हुए हमने वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए हैं।


न्यायमूर्ति एन वी रमाना ने ये विचार वेबीनार में नालसा की ‘हैंडबुक ऑफ़ फॉर्मैट्स- प्रभावी कानूनी सेवाओं को सुनिश्चित करना’ का विमोचन करते हुए कही। इस वेबीनार में नालसा के सदस्यों के अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणो तथा जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अध्यक्षों तथा सदस्य सचिवों ने भाग लिया। गुरुग्राम में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनमोहन धोंचक तथा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं प्राधिकरण के सचिव प्रदीप चौधरी ने इस वेबीनार में हिस्सा लिया।


वेबीनार में न्यायमूर्ति रमाना ने यह भी कहा कि लॉक डाउन के दौरान हर जिला में महिला पैनल वकीलों ने टेलीसर्विसेज के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करने के प्रयास किए। अन्य मामलों में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत याचिका दायर की गई हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा जेलों में भीड़ को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने महामारी के दौरान कैदियों, अपराधियों और दोषियों की रिहाई के लिए आवश्यक औपचारिकताओं की पहचान करने और उसने पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से उच्च अधिकार प्राप्त समितियों की सहायता की है।

उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता प्रदान करने वाले वकील नालसा की विभिन्न योजनाओं के तहत पीड़ितों को राहत पहुंचाने का कार्य करते रहे जोकि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह हैंडबुक कानूनी सेवाओं को प्रभावी ढंग से जरूरतमंदों तक पहुंचाने में कारगर सिद्ध होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह पुस्तिका मानव संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक प्रभावी उपकरण है और भविष्य में सभी के लिए न्याय का एहसास कराने में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।


उन्होंने कहा कि कानूनी सेवाओं के संस्थानों की सहायता से देश में 58797 अंडर ट्रायल कैदियों और पैरोल आदि पर 20972 दोषियों को रिहा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि टोल फ्री नेशनल लीगल हेल्प लाइन नंबर 15100 से कार्यशील रहे ताकि किसी भी व्यक्ति को न्याय की आवश्यकता पड़ने पर वह इसका प्रयोग कर सके।


इस दौरान जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं गुरुग्राम के जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनमोहन धोंचक ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान गुरुग्राम जिला में 133 दोषियों तथा 368 अंडर ट्रायल को रिहा किया गया है, जिसमें 78 दोषियों को विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा कानूनी सहायता प्रदान की गई है। इनमें 3 महिलाएं भी शामिल थी।


बताया गया कि नालसा हैंडबुक का उद्देश्य है- प्रबंधकीय ढांचे में सुधार और दैनिक कार्यों में स्थिरता लाना। यह पुस्तक विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल के वकीलों के लिए एक मार्गदर्शक होगी। इस पुस्तिका को कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव के सहयोग से तैयार किया गया है और यह देश भर में कानूनी सेवा संस्थानो द्वारा प्रलेखन और रिपोर्टिंग को मजबूत करने में सहायक होगी, वहीं दूसरी ओर कानूनी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में एक कदम है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव मे जेल सुधार की कार्यक्रम प्रमुख सुश्री मधुरिमा धानुका ने हैंडबुक का एक संक्षिप्त विवरण देते हुए गुणवत्ता को कानूनी सेवाओं की एक महत्वपूर्ण विशेषता बताया।


वेबीनार में नालसा के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन, पूर्व सदस्य सचिव आलोक अग्रवाल तथा निदेशक सुनील चौहान भी उपस्थित रहे।

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