गुरुग्राम में गुरुवार को कोविड-19 के 215 नए पॉजिटिव केस : संक्रमण की रफ्तार लगभग दोगुनी हो गई

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सुभाष चन्द्र चौधरी 

गुरुग्राम। गुरुग्राम में गुरुवार को कोविड-19 वायरस संक्रमित 215 नए पॉजिटिव केस सामने आए। यह हरियाणा प्रदेश में किसी भी जिले में एक दिन में संक्रमित होने वाली सबसे बड़ी संख्या है। संक्रमण की रफ्तार लगभग दोगुनी हो जाने के कारण अब हरियाणा सरकार और गुरुग्राम जिला प्रशासन पर इसे रोकने का भारी दबाव पड़ने लगा है। आज गुरुग्राम के डिविजनल कमिश्नर अशोक सांगवान ने नए सिरे से संक्रमण की रोकथाम एवं मरीजों की व्यवस्था को देखने के लिए नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारियों में बड़ा फेरबदल किया। दूसरी तरफ जिला उपायुक्त अमित खत्री ने होम आइसोलेशन को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए विस्तार से स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी सुझाव जारी किए हैं। गुरुग्राम की हालत उस रोम की तरह रहा जहाँ रोम जलता रहा और नीरो वंसी बजाता रहा.  

 

स्वास्थ्य विभाग हरियाणा की ओर से जारी मीडिया बुलेटिन के अनुसार आज गुरुग्राम में रिकॉर्ड 215 पॉजिटिव के मिलने की पुष्टि की गई। अब यहां कुल 1410 पॉजिटिव मामले हो गए हैं जिनमें से रिकवर होने वालों की संख्या 296 है। तुलनात्मक अध्ययन यह स्पष्ट कर रहा है कि गुरुग्राम में अब संक्रमित होने की रफ्तार और रिकवर होने की गति के बीच लंबा फासला बन गया है। अब तक स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन एक खबर होने की गति को संतोषजनक बताते थे लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।

 

 

स्वास्थ विभाग की ओर से जारी किए जाते रहे दैनिक बुलेटिन के अनुसार गत 19 मई को गुरुग्राम में 115 व्यक्ति ,30 मई को 157 व्यक्ति ,31 मई को 97 व्यक्ति, 1 जून को 129 व्यक्ति, 2 जून को 107 व्यक्ति और 3 जून को 132 व्यक्ति संक्रमित पाए गए। आज गुरुवार को 215 व्यक्तियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। पिछले 1 सप्ताह में निरंतर एक समान संक्रमण की गति बनी रही और आज यह लगभग दोगुनी हो चुकी है। कुल 8 दिनों में ही यहां 1005 कोविड-19 वायरस संक्रमित व्यक्ति मिलने की पुष्टि हुई है। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि  अगर इसी गति से यहां संक्रमण फैलता रहा तो अगले एक 1 माह के अंदर यहां 10:00 से 15000 व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं जो गुरुग्राम जैसे जिले के लिए कठिनाई भरे दिन आने की आशंका जता रहे हैं।

 

 

हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया लगातार देश को चेतावनी दे रहे थे की जून और जुलाई का महीना संक्रमण की दृष्टि से भयावह हो सकता है। लेकिन आरंभ के दिनों में गुरुग्राम में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या अपेक्षाकृत कम होने के कारण यहां की व्यवस्था में स्थिरता सी आ गई थी और यहां तक कि कंटेनमेंट जॉन तक को भी खुला छोड़ दिया गया था। कंटेनमेंट जॉन के लिए नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी अपने इलाके का दौरा करने से परहेज करने लगे थे और कई इलाके में तो पुलिस पूरी तरह मूकदर्शक बन गई थी। संक्रमण बढने पर जब चंडीगढ़ से फटकार पड़ी तब कहीं जाकर अधिकारी सक्रीय हुए हैं और अब कोन्तेंमेंट जोन को सील करने की ओपचारिकता निभाने लगे हैं . फेस मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने के नियम लागू करने के आदेश जारी किये गए लेकिन इसके पालन को सुनिश्चित करने की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया. यहाँ तक कि आज भी दुकानदार और ग्राहक इन नियमों को खुलेआम धता बता रहे हैं.   

 

 

बाहर हाल आज गुरुग्राम के डिविजनल कमिश्नर अशोक सांगवान ने थोड़ी सक्रियता दिखाई है और नए सिरे से नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारियों में फेरबदल कर लोगों में संकेत देने की कोशिश की है की प्रशासन अब सक्रिय हो गया है। कहना ना होगा कि जिन अधिकारियों की जिम्मेदारियों में आज फेरबदल कर प्रशासन की ओर से सूची जारी की गई है वही सभी अधिकारी पहले भी कोरोना संक्रमण रोकथाम की व्यवस्था में अलग-अलग भूमिकाओं में लगाए गए थे। इसलिए डिविजनल कमिश्नर सांगवान को पिछले स्थितियों का संज्ञान लेकर इस बात की ताकीद अवश्य करनी होगी की जिन अधिकारियों को उन्होंने अब नोडल ऑफिसर के रूप में तैनात किया है वह सभी अपने एयर कंडीशन केविन को छोड़कर फील्ड में जाना सुनिश्चित करें।

 

 

गुरुग्राम में अब 1114 व्यक्ति इलाज करवा रहे हैं। इनमें से प्रशासन के दावे के अनुसार 80% संक्रमित व्यक्ति बिना लक्षण वाले हैं। इसलिए अगर बिना लक्षण वाले संक्रमित व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा है तो फिर जिला प्रशासन को ओम आइसोलेशन में रहने वाले उन सभी मरीजों की देखरेख की भी मुकम्मल व्यवस्था करनी होगी। अगर यह जिम्मेदारी केवल स्वास्थ्य विभाग पर छोड़ दी गई तो फिर ऐसे होम आइसोलेशन में रहनेवाले मरीजों का भविष्य भगवान भरोसे होकर रह जाएगा। डिविजनल कमिश्नर की ओर से जिस अधिकारियों की टीम को होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की व्यवस्था का सुपरविजन करने की जिम्मेदारी दी गई है उनकी सक्रियता भी बेहद आवश्यक है अन्यथा स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के बीच तालमेल के अभाव में मरीज कराहते रहेंगे।

 

 

पिछला अनुभव तो यही दर्शाता है कि केवल कागजों में और सरकारी विज्ञप्ति यों में ही नोडल अधिकारी तैनात होते रहे और शहर में सक्रिय दिखाई देते रहे जबकि धरातल पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा था। इस शहर के आम निवासियों या फिर यहां तैनात सरकारी अधिकारी व कर्मचारी संक्रमण की रफ्तार तेज होने का खामियाजा तो हम सब को भुगतना पड़ेगा और इस बात का अंदाजा आम हो या खास सबको होना चाहिए।

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