वायुसेना ने एलसीए तेजस को शामिल किया

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कोयंबटूर (तमिलनाडु), 27 मई । भारतीय वायुसेना ने बुधवार को पहला हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एफओसी (फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस) मानक शामिल किया और शहर के बाहरी हिस्से सुलूर में स्थित वायुसेना केंद्र में 18 वीं स्क्वाड्रन ‘‘फ्लाइंग बुलेट्स‘‘ का संचालन किया।

तेजस एमके-1 को शामिल करने के मौके पर अंतर-धार्मिक प्रार्थना भी हुई। यह विमान बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटिड (एचएएल) ने बनाया है। इसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन ने विमान के कागजात वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया को सौंपे।

तेजस को शामिल करने के दौरान नारियल भी तोड़ा गया।

भदौरिया ने पहले एलसीए तेजस एमके-1 एफओसी की चाबी ग्रुप कैप्टन मनीष तोलानी को सौंपी जो सुलूर के वायु सेना स्टेशन में नंबर 18 स्क्वाड्रन के कमांडिंग अधिकारी है।

इससे पहले, भदौरिया ने इनिशियल क्लीयरेंस ऑपरेशन (आईओसी) विमान उड़ाया जो वायुसेना की 45वीं स्क्वॉड्रन का हिस्सा है।

तेजस चौथी पीढ़ी का एक स्वदेशी टेललेस कंपाउंड डेल्टा विंग विमान है। 45वीं स्क्वाड्रन के बाद 18वीं स्कवाड्रन दूसरी टुकड़ी है जिसके पास स्वदेश निर्मित तेजस विमान है।

यह फ्लाई-बाय-वायर विमान नियंत्रण प्रणाली, इंटीग्रेटेड डिजिटल एवियोनिक्स, मल्टीमॉड रडार से लैस है और इसकी संरचना कंपोजिट मैटेरियल से बनी है।

यह चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के समूह में ‘‘सबसे हल्का और छोटा’’ विमान भी है।1965 में गठित 18वीं स्क्वाड्रन पहले मिग 27 विमान उड़ाती थी।

इस स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में ‘‘सक्रिय रूप से भाग’’ लिया था।

सुलूर में इस साल एक अप्रैल को इस स्क्वाड्रन का ‘‘पुनर्गठन’’ किया गया।

अपने संबोधन में भदौरिया ने उद्योग से भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

नए संस्करण की डिजाइनिंग और निर्माण में शामिल वैज्ञानिकों और अन्य लोगों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि तेजस का यह मॉडल अब दुनिया में इस वर्ग में सबसे अच्छा है।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति की वजह से यह विमान मिलने में देरी हुई। अब वायुसैनिकों की जिम्मेदारी है कि वह इसका इस्तेमाल करें।

उन्होंने कहा कि वायुसेना को 83 एलसीए की जरूरत है।

माधवन ने कहा कि एचएएल अगले 36 महीनों में 16 तेजस एफओसी की आपूर्ति वायुसेना को करेगा।

उन्होंने बताया कि वायुसेना ने 20 आईओसी मानक विमान और 20 एफओसी मानक विमान का ऑर्डर दिया था।

इस बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने बुधवार को सुलूर वायुसेना स्टेशन पर एक सीट वाला हल्का तेजस विमान उड़ाया।

अधिकारियों ने बताया कि तेजस विमान विकसित करने वाली टीम में शामिल रहे भदौरिया ने विमान उड़ाया, जो वायुसेना की 45वीं स्क्वॉड्रन का हिस्सा है।

तेजस को वैमानिकी विकास एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित किया गया है। जेट का जीवनकाल किसी भी अन्य फ्रंट-लाइन लड़ाकू विमान की तरह न्यूनतम 30 वर्ष होगा।

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