- लॉक डाउन का पशुधन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े, इस के लिए उठाए जरूरी कदम
- विभाग द्वारा ड्यूल वैक्सीनेशन कैंपेन चलाया गया ताकि पशु ना हो बीमार।
गुरुग्राम, 25 मई। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण लागू किए गए लॉक डाउन के असर से मनुष्य ही नहीं, बल्कि हमारा पशु धन भी अछूता नहीं है, लेकिन इन बेजुबानों पर यह असर काफी घातक हो सकता था यदि हमारा पशुपालन विभाग इस ओर ध्यान नही देता। गुरुग्राम जिला में पशुपालन विभाग की सतर्कता और सजगता से पशु स्वास्थ्य पर लॉक डाउन का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
लॉक डाउन की पूरी अवधि में पशु विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर पशु चिकित्सकों तथा वीएलडीए सहित पशुपालन विभाग के पूरे अमले ने सावधानियां बरतते हुए ‘कोरोना वारियर्स’ के तौर पर काम किया। जैसे ही 25 मार्च को राष्ट्रव्यापी लाभ डाउन लागू हुआ, पशुपालन विभाग का यह अमला अपने बचाव के उपाय जैसे फेस मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए मैदान में उतर पड़ा। मनुष्य तो फिर भी बोलकर अपनी व्यथा सुना सकता है या अपनी तकलीफ बता सकता है लेकिन बेजुबान पशुओं की जरूरतों का ख्याल रखना और उनकी दुख तकलीफों को समझना, वास्तव में कठिन काम है, जो पशुपालन विभाग के अमले ने गुरुग्राम जिला में किया है। शायद यही वजह रही कि लॉक डाउन की अवधि में पशु चारे की कमी या अन्य कारणों से पशुओं के बारे में कोई अप्रिय समाचार नही आया, समाचार पत्रों की सुर्खियां नहीँ बना। इसके लिये गुरुग्राम के उपायुक्त अमित खत्री ने पशु पालन विभाग के पूरे अमले की कार्य शैली और कर्तव्यनिष्ठता की सराहना करते हुए उन्हें ‘कोरोना वारियर्स’ की संज्ञा दी है, जिन्होंने स्वयं के स्वास्थ्य की परवाह किए बगैर अग्रणी पंक्ति में रहकर काम किया और जिला के पशुधन के स्वास्थ्य का ख्याल रखा। इन्होंने समय-समय पर पशुपालकों का मार्गदर्शन भी किया ताकि पशुओं में किसी प्रकार की बीमारी ना फैले। विभाग की उपनिदेशक डॉक्टर पुनीता गहलावत ने बताया कि लॉक डाउन की अवधि के दौरान विभाग द्वारा 23 अप्रैल से जिला में ड्यूल वैक्सीनेशन कैंपेन चलाया जा रहा है जिसके तहत जिला के 168490 पशुधन को मुंह खुर और गलघोटू बीमारियों से बचाव के टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक वैक्सीनेशन का 83% कार्य पूरा हो चुका है।
विभाग के अमले ने गौशालाओं से लेकर आवारा पशुओं तथा पशुपालकों द्वारा रखे गए पशुओं के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा। एक ओर आवारा पशुओं और कुत्तों आदि को चारे व खाने की कमी ना रहे, इसके लिए जिला प्रशासन से मिलकर एनजीओ, वॉलिंटियर्स, डॉग फ़ीडर्स, एनिमल लवर्स से संपर्क करके उनके 1700 कर्फ्यू पास जारी करवाए गए ताकि वे इन बेजुबानों के लिये कम्युनिटी किचन शुरू कर सकें। ऐसी कई प्रकार की गतिविधियां पशुपालन विभाग द्वारा इस लॉक डाउन की अवधि में चलाई गई ताकि जिला के पशुधन के स्वास्थ्य पर लॉक डाउन का प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े।
विभाग की लॉक डाउन में अब तक रही गतिविधियों के बारे में बात करते हुए उपनिदेशक डॉक्टर पुनीता गहलावत ने बताया कि उन्होंने गौशालाओं के साथ बैठक करके यह पता लगाया कि गौशालाओं में भूसे की कमी तो नहीं है। इस दौरान उन्हें पता चला कि राजस्थान से गायों के झुंड लेकर आने वाले ग्वाले लगभग 100 गाय आईएमटी मानेसर के पास छोड़ गए हैं और वे भूख से त्रस्त हैं। पशुपालन विभाग ने उन 97 गायों को नगर निगम गुरुग्राम तथा स्थानीय वॉलिंटियर्स की मदद से मानेसर गौशाला में शिफ्ट करवाया, उनके स्वास्थ्य की जाँच करके उनकी टैगिंग करवाई गई। यही नहीं, डॉक्टर पुनीता के अनुसार का नगर निगम द्वारा चलाई जा रही कार्टरपुरी गौशाला में गायों की संख्या अधिक हो गई थी, जिसके कारण वहां दिक्कत आ रही थी, इसलिए वहाँ पर भीड़ कम करने के लिये सिलानी गौशाला को कार्टरपुरी गौशाला के साथ संबद्ध किया गया और वहां से 317 गायों को सिलानी गौशाला में शिफ्ट करवाया गया। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन में आवारा पशुओं को चारा डालने वालों की कमी होने के कारण उन पशुओं को दिक्कत आनी स्वाभाविक थी और इस मामले में भी पशुपालन विभाग ने 397 आवारा गायों को कासन गौशाला भिजवाकर उनको भूख से मरने से बचाया। उन्होंने बताया कि पशुपालकों के पास भी सूखे भूसे की कमी ना रहे इसलिए पशु चिकित्सकों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में विशेषकर बादशाहपुर और हयातपुर में तूड़ा मंडी का समय-समय पर निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया गया कि पशुपालकों को उनके पशुओं के लिए नियमित रूप से सूखा भूसा मिलता रहे।
डॉ पुनिता ने यह भी बताया कि पशुओं के अलावा विभाग के अमले द्वारा पक्षियों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा गया ताकि लॉक डाउन में उनकी अनदेखी ना हो।
उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर उपलब्ध सूची के आधार पर सभी पैट शॉप्स से संपर्क करके उनके यहां उपलब्ध पक्षियों तथा पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में पड़ताल की गई और नगर निगम आयुक्त श्री विनय प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में इन दुकानों के संचालकों तक नियमित रूप से प्रतिदिन फीड की सप्लाई जारी रखी, इन्हें आश्वस्त किया कि ये अपने व्यापार को चलाते रहें। इसके अलावा, उपनिदेशक स्वयं जैकबपुरा में चलाए जा रहे धर्मार्थ पक्षी अस्पताल के संपर्क में रही और नगर निगम के सहयोग से यह सुनिश्चित किया कि बीमार तथा माइग्रेटरी अर्थात दूसरे स्थानों से आने वाले पक्षियों के लिए पर्याप्त दाना उपलब्ध रहे। वन्य प्राणी विभाग के सहयोग से पशु चिकित्सकों ने अपने अपने क्षेत्र में बीमार पक्षियों का इलाज भी किया।
डॉ पुनीता ने बताया कि अब गर्मी के मौसम को देखते हुए लॉक डाउन में आवारा पशुओं को पानी की किल्लत ना रहे, इसके लिए भी उन्होंने वालंटियरो से संपर्क करके शहर में कई स्थानों पर पानी के बड़े-बड़े टब या बड़े आकार के गोल पाइप रखकर उनमें 24 घंटे पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की है।
कोरोना लॉक डाउन के दौर में जहां लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए हमारे डॉक्टर अग्रणी पंक्ति में लगे हुए हैं, वहीं पशुपालन विभाग का अमला भी चुपचाप बेजुबानो की सेवा में लगा हुआ है। चाहे वे बेजुबान पशुपालन विभाग के इस अमले का बोलकर धन्यवाद ना कर सकें, लेकिन इनका योगदान किसी भी तरह मनुष्यों के चिकित्सकों से कम नहीं कहा जा सकता और जब भी कोरोना लॉक डाउन का उल्लेख होगा तो पशुपालन विभाग के इस अमले का नाम भी ‘कोरोना वारियर्स’ के तौर पर अवश्य लिया जाएगा, जिसने कठिन परिस्थितियों में अग्रिम पंक्ति में काम करके जिला के पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा की।