नई दिल्ली : देश में राष्ट्रवाद और देशभक्ति को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने अधिकारियों और सैनिकों दोनों के रूप में युवाओं के लिए तीन साल की “इंटर्नशिप” कराने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव के अनुसार छोटी, स्वैच्छिक “ड्यूटी टूर ” उन युवाओं के लिए है जो “रक्षा सेवाओं को अपना स्थायी व्यवसाय नहीं बनाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी सेना की लाइफ और उसके कामकाज के रोमांच का अनुभव लेना चाहते हैं। इससे उन्हें सैनिक व सेना अधिकारी के रूप में काम करने का अवसर भी मिलेगा जबकि वहां प्राप्त अनुभव के आधार पर अन्य क्षेत्रों में अच्छे ओहदे पर तैनात होने का अवसर भी मिलेगा.
सेना की और से जारी एक शोर्ट नोट में बताया गया है कि यह प्रस्ताव सशस्त्र बलों में स्थायी सेवा / नौकरी की अवधारणा में एक बदलाव है, जो तीन साल के लिए इंटर्नशिप / अस्थायी अनुभव देने वाला होगा. बताया गया है कि’टूर ऑफ ड्यूटी’ के तहत ज्वाइन करने वाले युवाओं को तीन साल के लिए सेना में सेवा देनी होगी. इस प्रस्ताव के तहत आने वाले सैनिक या अधिकारी स्तर दोनों के लिए नौ महीने की मिलिट्री-ट्रेनिंग होगी. मिलिट्री ट्रेनिंग में किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा. यह ट्रेनिंग सामान्यतया सेना की सर्विस ज्वाइन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की तरह ही दी जाएगी. ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद उन्हें सामान्यतया सेना की फॉरमेशन, छावनी या दुर्गम बॉर्डर पर तैनात किया जा सकता है. हालांकि इस पूरे प्रस्ताव को सेना में ‘इंटर्नशिप’ की तरह ही देखा जाएगा जैसे अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में डिग्री हासिल करने के क्रम में कोई प्रोफेशनल इंटर्नशिप के लिए जाता है.
थलसेना के प्रवक्ता, कर्नल अमन आनंद ने यह स्पष्ट किया है कि सेना की ओर से प्रस्तावित यह टूर ऑफ ड्यूटी देश के सभी युवाओं के लिए अनिवार्य नहीं है. ये केबल ऐसे उत्साही युवाओं के लिए है जो सेना की वर्दी और मिलिट्री-लाइफ के प्रति आकर्षित रहते हैं और सैन्य सर्विस ज्वाइन करने की इच्छा रखते हैं. इस प्रस्ताव से ऐसे युवाओं को एक बेहतरीन प्रोफेशनल बनने का मौका मिलेगा जबकि सेना को शार्ट धर्म के लिए कम खर्च में सैनिक और सैन्य अधिकारी. ये टूर ऑफ ड्यूटी सैन्य-अफसर और जवान के दोनों पदों के लिए होगी.यह साफ कर दिया गया है कि यह प्रस्ताव ऐच्छिक होगा.
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इंडियन आर्मी में शॉर्ट सर्विस कमीशन का प्रावधान है. इसके तहत सैन्य अधिकारी का चयन 14 साल के लिए किया जाता है. हालांकि यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है कि वे 14 साल बाद भी लंबी अवधि तक सेना में कार्यरत रह सकते हैं.माना जाता है कि इस प्रक्रिया से चयनित अधिकारियों पर सेना को अधिक खर्च करना पड़ता है. जबकि टूर ऑफ ड्यूटी के लिए चयनित सैनिक व अधिकारियों पर बहुत कम खर्च आएगा.
बताया जाता है कि सेना एक अन्य मॉडल पर भी काम कर रही है. इसमें अर्द्धसैनिक बलों (सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी ) के अधिकारी सेना में सात साल के लिए डेप्युटेशन पर आ सकेंगे. सात साल पूरा होने पर वापस अपनी सर्विस में लौट जाएंगे.
भारत में इस प्रकार की व्यवस्था खास तौर से सेना के लिए बिल्कुल नई होगी जबकि दुनिया के कई देशों में सभी छात्रों को सैनिक ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है. दूसरी तरफ सेना से रिटायर्ड अधिकारियों को औद्योगिक एवं व्यावसायिक जगत में प्रबंधन की दृष्टि से नौकरी देने में अधिक प्राथमिकता दी जाती है. इसलिए सेना में शॉट की सेवा देने के बाद एक सैनिक अधिकारी के रूप में दूसरे क्षेत्रों में स्थापित होने में उन्हें मदद मिलेगी.