गुरूग्राम, 2 मई। ‘ कोरोना से डरो ना, सावधानी से घरों में रहो ना‘। इस प्रकार के ना जाने कितने ही स्लोगन व संदेश आज हम सभी को सुनने को मिल रहे हैं। मोबाइलों में काॅलर ट्यून से लेकर टीवी पर हर जगह कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर हमें आवाजें सुनाई दे रही हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि हम इन सभी चीजों को कितना गंभीरता से ले रहे हैं और अपने परिजनों के साथ साथ अपने गांव व मौहल्ले को किस प्रकार कोरोना संक्रमण से सुरक्षित बना रहे हैं।
गुरूग्राम जिला की ग्राम पंचायत वजीरपुर इन सभी प्रश्नों का सबसे सटीक जवाब है। जी हां, यहां के सरपंच शेर सिंह चौहान के प्रयासों से आज वे अपनी पंचायत में आने वाले तीन गांवों- हमीरपुर, मेवका तथा वजीरपुर के निवासियों का अपनी संतान की भांति रक्षण कर रहे हैं। इनकी इस मेहनत को देखते हुए आज इन गांवों में अपने प्रत्येक व्यक्ति कोरोना संक्रमण की लड़ाई में अपने प्रयासों की आहूति दे रहा है। इस पंचायत ने गांव के अन्य जिलो की ग्राम पंचायत के लिए आज एकजुटता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी चर्चा आज जिला के गलियारों में आदर से की जा रही है।
अब सवाल ये उठता है कि कैसे। इस गांव के सरपंच के अनुसार लाॅकडाउन शुरू होते ही इस पंचायत ने कोरोना संक्रमण को लेकर अपनी कमर कस ली थी। सरपंच ने जिला प्रशासन से तालमेल स्थापित करते हुए यहां आयुष विभाग का कैंप लगवाया। आयुष विभाग से आए डाॅक्टरों ने ग्रामीणों को इम्युनिटी बढ़ाने की निःशुल्क दवाईयां वितरित की और उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाव संबंधी डूज व डोन्ट्स के बारे में बताया। इस ग्राम पंचायत में मुनादी के माध्यम से भी ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण संबंधी बचाव उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
सरपंच ने बताया कि वजीरपुर ग्राम पंचायत कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए तीन बार पूर्णतया सेनिटाइज किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इन गांवों की सीमाओं पर नाके लगाए गए है जहां से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति की थर्मल स्कैनिंग की जाती है और किसी भी अवांछित व्यक्ति को गांव में घुसने की अनुमति नही है। इस कार्य में ग्रामीणों विशेषकर युवाओं का पूरा सहयोग रहता है जो अलग-अलग शिफटों में गांव की सीमाओं पर आकर इसे अपना कत्र्तव्य समझते हुए ड्यूटी देते हैं। गांव के सरपंच स्वयं 5 से 6 घंटे इन नाकों पर पहुंचकर ड्यूटी देते है और आने जाने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखते हैं।
उन्होंने कहा कि इन गांवों में रहने वाले किरायेदारों की सूची बनाई गई है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि गांव में बाहर का कोई भी व्यक्ति प्रवेश ना करे। उन्होंने बताया कि संदिग्ध स्थानों पर जरूरत अनुरूप छापेमारी भी की गई ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि बाहर से कोई आकर गांवों में ना ठहरा हो। उन्होंने कहा कि गांव वजीरपुर बड़ा गांव है जिसमें प्रवेश करने की तीन एन्ट्री है जिन पर ग्रामीणों की कड़ी नजर रहती है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों में कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां कोई भी बिना फेस मास्क के घरों से बाहर नही निकलता। गांव में बुजुर्गों के स्वास्थ्य का विशेष तौर पर ध्यान रखा जा रहा है और उन्हें घरों से बाहर ना निकलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। गांव में जरूरत के सामान के लिए दुकानों का समय निर्धारित किया गया है। प्रातः 10 बजे से लेकर सांय 5 बजे तक गांव में दुकाने खुलती है और इसके बाद बंद हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर हर पहलु का बारिकी से अध्ययन किया गया है और उसी अनुरूप कार्य योजना तैयार की गई है। गांव में सोशल डिस्टंेसिंग का विशेष ध्यान रखा जा रहा है और इसकी सख्ती से पालना सुनिश्चित की जा रही है।
वजीरपुर ग्राम पंचायत के प्रयासों की आज चहुं ओर प्रशंसा की जा रही है। जिला प्रशासन से लेकर जिला के अन्य गांवों में आज हर व्यक्ति इनकी कार्यप्रणाली को सरहा रहा है और इसे एक माॅडल के रूप में अपना रहा है।
उपायुक्त अमित खत्री ने कहा कि यदि जिला की प्रत्येक ग्राम पंचायत कोरोना के खिलाफ अपनी कमर कस ले और सभी लोग सावधानियां बरते तो निश्चित तौर पर कोरोना को हरा सकते हैं। उन्होंने जिला की अन्य ग्राम पंचायतों से भी अपील करते हुए कहा कि वे कोरोना संक्रमण से बचाव उपाय करे और यदि किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण संबंधी लक्षण दिखाई तो उसकी सूचना जिला प्रशासन को दे।