नीतीश कुमार ने पीएम के समक्ष कोटा से बच्चे व श्रमिकों को ले जाने का मुद्दा उठाया, एक समान नीति बनाने की मांग की

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ लॉकडाउन की अवधि में संबंधित राज्यों में  उत्पन्न स्थिति  और आगे की रणनीति  बनाने पर चर्चा की।  लगभग तीन घंटे तक चली इस चर्चा में कई राज्यों ने प्रधानमंत्री की तारीफ की जबकि कुछ राज्यों ने अलग-अलग नीतियां अपनाने पर प्रधानमंत्री के सामने राष्ट्रीय लोक डाउन की दृष्टि से एक प्रकार की नीति निर्धारित करने और उसका अनुपालन कराने पर जोर दिया।कोरोना वायरस को लेकर देश के हालात पर कई मुख्यमंत्रियों ने पीएम के सामने अपनी बात कही।

खबर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में कोटा में रह रहे बिहार के बच्चों का मसला उठाते हुए कहा कि कोटा समेत अन्य राज्यों से छात्रों को वापस बुलाने पर एक ही नीति बननी चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश ने जोर देते हुए कहा कि जब साफ कहा गया कि अंतर राज्य आवाजाही या फिर अंतर जिला आवाजाही भी प्रतिबंधित रहेगी फिर भी कुछ राज्य आपने प्रदेश के  विद्यार्थियों को प्रदेश  ले जाने की  व्यवस्था  कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन हम सिर्फ केंद्र के फैसले का पालन कर रहे है।

बच्चों के अलावा नीतीश कुमार ने मजदूरों को लेकर भी पूरे देश के लिए एक जैसी नीति बनाने को कहा है। उनका कहना था कि इस मामले में भी उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्य अपने अपने मजदूरों को ले जाने की व्यवस्था करने लगे हैं । इससे अफरातफरी का माहौल पैदा हो रहा है जबकि पूर्णा संक्रमण  के सामुदायिक रूप लेने की आशंका भी प्रबल है।

बैठक में नीतीश कुमार के अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने टेस्टिंग, ट्रीटमेंट को लेकर जानकारी दी और राज्य के हालात से अवगत करवाया। वहीं दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बैठक में पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि लॉकडाउन का फैसला बिल्कुल सही समय पर लिया गया।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के कोटा शहर में हजारों की संख्या में बिहार व उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के बच्चे लॉकडाउन के दौरान फंस गए थे। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों ने अपने यहां के बच्चों को बस भेजकर वापस बुलवा लिए हैं। लेकिन बिहार सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद नीतीश कुमार सरकार की लगातार विपक्ष की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। उन पर भी प्रदेश में भारी राजनीतिक दबाव है कि कोटा में पर रहे बिहार के बच्चों को और दिल्ली-एनसीआर एवं दूसरे प्रदेशों में भी फंसे हुए बिहार के मजदूरों को भी बिहार वापस लाने की व्यवस्था की जाए। लेकिन नीतीश कुमार ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम इसलिए नहीं उठाया ।क्योंकि केंद्र सरकार ने अपनी गाइडलाइन में यह स्पष्ट किया था कि यहां तक कि असंगठित मजदूर भी जहां फंसे हैं वहीं रहेंगे उनके रहने एवं खाने की व्यवस्था भी वहां की स्थानीय सरकार करेगी।


खबर है कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकार ने कोटा से अपने छात्रों को ले जाने की व्यवस्था की और हरियाणा से उत्तर प्रदेश के मजदूरों को भी बसों में उनके जिले तक लाने की व्यवस्था की गई। यह अलग बात है कि उन सभी लोगों को वहां 14 दिन क्वॉरेंटाइन में रखा गया है।

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