लखनऊ,22 अप्रैल । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि लॉकडाउन में प्रदेश के आला अफसरों ने ‘आनलाइन के सहारे अपनी नाकामियों को छुपाने का बहाना तलाश लिया है। यह सभी के लिए व्यवहारिक नहीं है।अखिलेश ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा है कि अफसरशाही से किसानों के हितों का संरक्षण नहीं हो सकता है। प्रदेश में स्कूल कालेज बंद हैं। ऐसे में टीवी और स्मार्टफोन के जरिए पढ़ाई की सरकार ने योजना बनाई है। जमीनी वास्तविकता से मुख्यमंत्री की टीम-इलेवन की अनभिज्ञता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है।
एक सर्वे के मुताबिक लखनऊ और वाराणसी के गांवों में 48 और 55 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन है। लखनऊ में 61.5 प्रतिशत लोगों के पास ही टीवी है। ऐसे में हर बच्चे की शिक्षा का दावा सिर्फ झूठ के अलावा और क्या हो सकता है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा व आरएफओ प्रारंभिक परीक्षा 2020 और एसीएफ की परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन को हरी झंडी दे दी है। गांव-देहात तक अभी ‘इंटरनेट ठीक से काम नहीं कर रहा है।
साइबर कैफे उनकी पहुंच में है नहीं, ऐसी दशा में ग्रामीण क्षेत्रों के युवा अपने आवेदन कैसे कर सकेंगे? अगर देखा जाए तो गांव के नौजवान को अच्छी नौकरियों से वंचित रखने की यह साजिश है। लॉकडाउन में किसान क्रय केंद्र ढूंढ रहा है जिनका कोई पता नहीं। बिचैलिए सक्रिय हैं। अब किसान कहां ऑनलाइन फसल बेचेगा? सरकार ने किसान के गेहूं की लूट का पूरा जाल बुन दिया है।