सुभाष चंद्र चौधरी
नई दिल्ली । केंद्र सरकार के निर्देश पर देश में सभी राज्यों में कोविड डैडीकेटेड हॉस्पिटल बनाने की तैयारी जोरों पर चल रही है। कई हॉस्पिटल अब तक केवल कोरोना के मरीजों का इलाज करने के लिए युद्ध स्तर पर तैयार किए जा चुके हैं। इनमें से ही एक देश के लिए एक मॉडल डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल के रूप में ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस , नई दिल्ली ने 270 बेड का एक हॉस्पिटल तैयार किया है । इसमें 150 बेड का आईसीयू है जिसमें कोरोना के गंभीर मरीजों को तत्काल भर्ती करने की आधुनिक व्यवस्था की गई है।
कोरोना वायरस से संघर्ष करने के लिए देश तेज गति से तैयार हो रहा है और इसमें सबसे बड़ा फैसला कोरोना मरीजों के लिए स्पेशलाइज हॉस्पिटल तैयार करने का है। नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल ने 15 दिनों के अंदर ही एक डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल तैयार कर लिया है। हालांकि इसके बनने में सामान्यतया कम से कम 9 महीने लगते हैं लेकिन इसे केवल 15 दिनों में ही तैयार किया गया है । एम्स ने अपने ट्रामा सेंटर , बर्न्स एंड प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट को पूरी तरह से कोविड-19 अस्पताल में तब्दील कर दिया है ।
एम्स के निदेशक डॉ रंजीत गुलेरिया के अनुसार इसमें 270 बेड की व्यवस्था है जिनमें से 150 बेड केवल आईसीयू के लिए रखे गए हैं जहां गंभीर मरीजों को भर्ती करने की आधुनिक व्यवस्था है । डॉक्टर संजीव भाई जो इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ हैं के अनुसार इस हॉस्पिटल को तीन हिस्से में बांटा गया है। उनके अनुसार पहला हिस्सा फर्स्ट फेज होल्डिंग एरिया होगा जहां पहली बार रोगी आएंगे और उनके सिम्टम्स और उनकी फिजिकल स्थिति और उनका पूरा आकलन किया जाएगा। उसके बाद अगर उनमें लक्षण पाए जाते हैं तो उसे दूसरे ट्राइज में ले जाया जाएगा और अगर वह गंभीर स्थिति में है तो फिर उसे आईसीयू में ले जाया जाएगा जहां उसकी क्लीनिकल टेस्टिंग होगी।
यहां खास व्यवस्था यह है कि इसमें डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ को या मेडिकल स्टाफ को रोगी की हालत देखने के लिए अंदर जाने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि इस पूरी आईसीयू को आईपैड या फिर स्मार्टफोन से ही रेगुलेट किया जाएगा । यानी अंदर की स्थिति मॉनिटर करने के लिए या आईपेड़ या फिर अपने स्मार्टफोन से ही इसे देख पाएंगे की रोगी की हालत साथ ही अंदर की स्थिति और अन्य मशीन या उपकरण जो उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से वहां उपयोग किए जाते हैं सभी कुछ बाहर से ही मॉनिटर किया जाना संभव हो सकेगा । डॉक्टर बाहर से ही स्थिति को देखकर अपने डायरेक्शंस दे पाएंगे ।
कहने का मतलब साफ है कि इस अस्पताल को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि यहां पीपीई की बचत होगी। कम से कम इसका उपयोग होगा क्योंकि बाहर से ही सारी चीजों को मॉनिटर कर पाएंगे । इसमें क्लीनिकल स्टाफ की आवश्यकता कम से कम होगी। डॉक्टर व स्टाफ की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी। दुनिया के किसी भी बेहतरीन अस्पताल की सुविधाओं के बराबर है । यहां सभी प्रकार के आधुनिक उपकरण इंस्टॉल किए गए हैं और एक टीम वर्क के रूप में डॉक्टर संजीव भाई के निर्देशन में इसे तैयार किया गया है।
इसमें आने वाले कोरोना वायरस से उत्पन्न होने वाले संक्रमण की आशंका को न्यूनतम बनाए रखने के लिए आईसीयू के अलावा अधिकतर भाग को ओपन रखा गया है ।कहने का मतलब साफ है कि इसे इस कदर हवादार बनाया गया है कि अगर कोई संक्रमित मरीज यहां आता है तो उनसे संक्रमण की आशंका कम होगी। उनकी देखरेख करने वाले डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ मेडिकल और नॉन मेडिकल स्टाफ में यह संक्रमण फैलने की आशंका कम रहेगी ।
उल्लेखनीय है कि भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में भी आज सबसे बड़ा खतरा मेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के लिए है जो कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे रहते हैं और वह स्वयं भी बड़े पैमाने पर संक्रमित हो रहे हैं। इससे स्वास्थ्य की दुनिया को बड़ा खतरा पहुंच रहा है। कई देशों में तो खास हॉस्पिटल्स के आधे से अधिक डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ़स भी इससे संक्रमित हो गए। ऐसे में सामान्य रोगी जो कोविड-19 से संक्रमित होकर इलाज के लिए अस्पताल लाए जाते हैं उनकी देखरेख के लिए भी डॉक्टर और नर्स स्टाफ की कमी हो जाती है ।यह दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में आ रही है। इसलिए एम्स प्रबंधन ने यहां बनाए गए 270 बेड के कोविड डेडीकेटेड हॉस्पिटल को इस कदर तैयार किया है कि इसमें डॉक्टर और नर्स स्टाफ इस संक्रमण से बचाएं जा सकें और मरीजों का इलाज सही तरीके से कर पाए।