गुडग़ांव, 24 मार्च : संकल्पी शक्ति के साथ ईश्वरीय शक्ति का मेल हर मनोरथ को पूर्ण कर सकता है। चैत्र नवरात्रों का यही संदेश है। मां दुर्गा के नवरात्रे आज बुधवार से प्रारंभ हो रहे हैं। मां दुर्गा के 9 स्वरुपों का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप को
शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। प्रथम नवरात्रे पर आज जहां उपासक मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूरे विधि विधान के अनुसार
उपासना करेंगे, वहीं मां दुर्गा के व्रत भी रखेंगे।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जो उपासक मां भगवती दुर्गा की शरण में आ जाते हैं, उनका कभी कोई अमंगल नहीं होता। मां दुर्गा की शक्तियां विषम परिस्थितियों में भी अपने उपासकों की रक्षा करती है। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप का नाम शैलपुत्री है। मां शैलपुत्री पार्वती और हेमवती नामों से भी जानी जाती हैं। मां का वाहन वृषभ है और इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु षोडशोपचार पूजन के बाद नियमानुसार उपासकों को गाय का घृत मां को अर्पित करना चाहिए और फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिए।
माना जाता है कि जो उपासक मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करते हैं,वे कभी रोगी नहीं होते। मां की पूजा अर्चना करने से मनवाङ्क्षछत फल मिलता है। मां सभी का उद्धार करती हैं।