आज तिरंगा लहराता है……अजय अनोखा चित्रकार

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आज तिरंगा लहराता है………….

                                                   अजय अनोखा चित्रकार

 

आज तिरंगा लहराता है बस उनके सम्मान में ,
भटक गये हैं हम अपने ही हिंदुस्तान में । ।

 

भूल गये हैं हम अपनी माटी के वीरों को…
छाती पे खाया था जिन्होने अंग्रेजों के तीरों को,
यही वो देश है जिसमें झाँसी की रानी ने…
नारी के सम्मान की गाथा गायी थी..,
अपने वतन की माटी………
 अंग्रेजों को बार बार चटायी थी,
आग बबूला हो जाती थी वो……..
 अपने वतन के अपमान में ,
आज तिरंगा लहराता है बस उनके सम्मान में 
भटक गये हैं हम अपने ही हिंदुस्तान में  । ।

 

 

भूल गयी है अवाम भी अपने संस्कारो को,
सम्मान रहित उन अंग्रेजों के प्रहारों को,
भुला के अपनी संस्कृति………..
अपना रही है उन अंग्रेजों के त्योहारों को,
यही वो देश है जिसमें सीता माता पुकारी जाती है,

राम जैसा राजा प्रजा अपने वतन में चाहती है,
खो गया है मेरा राम भी अब इस हिंदुस्तान में ,
आज तिरंगा लहराता है बस उनके सम्मान में ,
भटक गये हैं हम अपने ही हिंदुस्तान में  । ।

 

 

भूल गये  हैं हम कुएँ के लाल उस पानी को,
जहाँ अंग्रेजों ने छीना था……..
हमारे अपनों की ज़िन्दगानी को,
भगत, राजगुरु, सुखदेव ने हममें जोश जगाया था,
तब अंग्रेजों को हमने यहाँ से मार भगाया था,
अब कँहा खोजू उन तीनों को मैं अपने इस जँहान में ,
आज तिरंगा लहराता है बस उनके सम्मान में ,
भटक गये हैं हम अपने ही हिंदुस्तान में  । ।

 

 

भूल गये हैं हम गीता और कुरान को भी,
अपने राष्ट्रीय गान को भी……..,
हिन्दी  हैं हम….और हिन्दी का यहाँ सम्मान नहीं है,
कहते हैं सब कुछ है पास हमारे….
मगर अपनी ही पह्चान नहीं है,
सूखा पड़ गया है अब इस आब-ए- रवान में ,
आज तिरंगा लहराता है बस उनके सम्मान में ,
भटक गये हैं हम अपने ही हिंदुस्तान में  । ।

 

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