फरीदाबाद। ज्योतिषाचार्य पंडित वी के शास्त्री ने बताया कि मकर संक्रान्ति 15 तारीख को सुबह 2 बजकर 07 मिनट पर पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र कालीन तुला लग्न में प्रविष्ट होगी। इस सक्रांति के स्नान जप पाठ दान आदि का पुण्य काल 15 तारीख दोपहर 12 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति के समय सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में आते हैं। तब सूर्य का उत्तरायण काल आरंभ हो जाता है।
पंडित शास्त्री के अनुसार संक्रांति के समय भगवान सूर्य की पूजा, विष्णु पूजन, पुरूष सुक्त का पाठ, तीर्थ स्थानों में स्नान करना और तिल, गुड़, फल, वस्त्र, अनाज के दान का विषेष महत्व होता है। इस दिन हरिद्वार, बनारस और कुरूश्रेत्र जैसे तीर्थ स्थानों में स्नान करना चाहिए और पितर तर्पण करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने अपने प्राण उत्तरायण काल में त्याग किया था ताकि सीधा स्वर्ग में वास हो। आज ही के दिन गंगा सागर में स्नान का बहुत महत्व है।
देश के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं वी के शास्त्री, फरीदाबाद के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश होने पर मनाया जाता है । इस बार 24 जनवरी को शनि भी मकर राशि में होंगे और सूर्य भी। यह एक बडा योग बन रहा है। सनातन धर्म के सभी त्योहारों का प्रकृति व नक्षत्रो से सीधा सम्बन्ध है।
उनका कहना है कि हमारे जीवन में भगवान सूर्य का बहुत महत्व है। सूर्य का प्रभाव प्रकृति, मनुष्य, जीव, पेड़ ,पौधे सब पर पड़ता है। ग्रहों में सुर्य को राजा की पदवी मिली हूई है। जन्म पत्रिका के फलित ज्योतिष में तथा शादी विवाह में सूर्य की गणना बहुत बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखती है।