गुरुग्राम । महालक्ष्मी का प्राकट्यपर्व दीपावली 27 अक्तूबर, रविवार को है। इस दिन घर में आ रही लक्ष्मी की स्थिरता के लिए देवताओं के कोषाध्यक्ष धन एवं समृद्धि के स्वामी कुबेर का पूजन-आराधना करने से धन व समृद्धि प्राप्त होती है। इस पूजन से कर्ज से मुक्ति के द्वार खुल जाते हैं। व्यापार में सफलता और यश प्राप्ति के लिए कुबेर यंत्र का पूजन आवश्यक है।
इस बार अमावस्या के दिन गृहस्थों के लिए अपने निवास स्थान में लक्ष्मी पूजा का समय सायं 05 बजकर 36 मिनट से रात्रि 08 बजकर 14 मिनट तक का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इसमें सायं 06 बजकर 40 मिनट से 08 बजकर 35 मिनट के बीच बृषभ (स्थिर लग्न) रहेगा। इसी अवधि के बीच दीप-दान एवं पूजन के लिए चित्रा नक्षत्र तुला राशि गत चन्द्र तथा शुभ एवं अमृत चौघड़िया रहने से महालक्ष्मी का पूजन अधिक शुभ फलदायी रहेगा।
वेदपाठी ब्राह्मणों का कहना है कि दिवाली के दिन घर की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए। मुख्य द्वार को बहुत अच्छी तरह से साफ कर मुख्य द्वार पर हल्दी का जल छिड़कना चाहिए। इस दिन भगवान गणेश को दूब-घास और मां लक्ष्मी को कमल का पुष्प चढ़ाना चाहिए। ये वस्तुएं दोनों देवी-देवता को अत्याधिक प्रिय हैं।
घर के बाहर रंगोली अवश्य बनाएं। रंगोली को शुभ माना जाता है। मुख्य द्वार पर जूते और चप्पल बिल्कुल न रखें।
रसोई में झूठे बर्तन बिल्कुल न छोड़ें। दिवाली के दिन घर की रसोई में भी दीपक जलाया जाता है। इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा का विधान है।