एक्स्पो की थीम ‘कनेक्टिंग माइंड्स, क्रिएटिंग द फ्यूचर’ है। इसके तीन उप-विषय ये हैं – अवसर, गतिशीलता और निरंतरता। इसका उद्देश्य वैश्विक समस्याओं के टिकाऊ समाधान ढूंढ़ना और समस्त संस्कृतियों, देशों एवं क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाना है। 25 मिलियन से भी अधिक आगंतुकों की उम्मीद वाले इस एक्स्पो में 180 देशों का प्रतिनिधित्व होगा।
इंडिया पवेलियन एक स्थायी ढांचा होगा जिसका निर्माण ‘अपॉर्चुनिटी’ खंड में किया जा रहा है। इस भवन में भारत की कार्यशाला होगी और यह पर्यावरण अनुकूल होगा। इसमें इस वर्ष मनाई जा रही महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को भी दर्शाया जाएगा।
अंतरिक्ष, दवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा और दूरसंचार क्षेत्रों में भारत द्वारा हासिल की गई प्रगति के साथ-साथ नवाचार और स्टार्ट-अप क्षेत्रों में भारत की विशिष्टता को भी दर्शाने के लिए ऐसे 27 क्षेत्रों की पहचान की गई है जिन पर फोकस किया जाएगा।
एनबीसीसी को दुबई वर्ल्ड एक्स्पो 2020 में पवेलियन के निर्माण के लिए 400 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना का ठेका मिला है। इस पवेलियन में अनेक स्टॉल होंगे जिनमें भारतीय हथकरघा, भारत के मनोरंजन उद्योग, आतिथ्य एवं पर्यटन क्षेत्र, भारत के रत्न एवं जेवरात क्षेत्र, आयुष व चिकित्सा पर्यटन और भारत के चाय, कॉफी व मसाला क्षेत्रों की विशेषताओं को दर्शाया जाएगा। भारत के अनेक कारोबारी और राज्य सरकारें भी इस पवेलियन में अपने-अपने स्टॉल लगाएंगी। भारत की सांस्कृतिक विविधता को भी इस पवेलियन में लाइव प्रदर्शन, आयोजनों और फिल्म शो के जरिए दर्शाया जाएगा।
श्री गोयल ने समीक्षा बैठक में भाग लेने वाले लोगों से भारत के नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए रचनात्मक ढंग से विचार करने और दुबई वर्ल्ड एक्स्पो द्वारा मुहैया कराए जाने वाले इस अवसर से अधिकतम लाभ उठाने के लिए सभी अवसरों को तलाशने का अनुरोध किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि इस एक्स्पो में भारत की भागीदारी बिल्कुल यथोचित और यादगार साबित हो सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने यह भी कहा कि वैसे तो एक्स्पो का समापन छह माह बाद हो जाएगा, लेकिन इंडिया पवेलियन को दुबई में निश्चित तौर पर एक प्रदर्शनी के रूप में अपने कार्यकलापों को निरंतर जारी रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस एक्स्पो में हर वर्ष 17 मिलियन पर्यटक आते हैं, इसलिए भारत को अपने इस पवेलियन का निरंतर सर्वोत्तम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए सभी अवसरों को अवश्य ही तलाशना चाहिए।
समीक्षा बैठक के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि ये संभावनाएं भी तलाशी जा सकती हैं कि भारत के उदीयमान सेक्टरों को दर्शाने के लिए क्या इसी तरह के पवेलियन देश के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्सों में भी स्थापित किए जा सकते हैं। इसके अलावा इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि क्या ये पवेलियन एक ऐेसे सूचना केंद्र के रूप में काम कर सकते हैं जहां अन्य संबंधित मंत्रालय भविष्य में अपने कार्यालय खोलने में समर्थ होंगे।
हर पांच वर्षों में एक बार आयोजित किए जाने वाले प्रतिष्ठित वर्ल्ड एक्स्पो में भारत का पवेलियन सुनिश्चित करने के लिए भारत और वर्ल्ड एक्स्पो 2020 ने 10 अप्रैल, 2018 को प्रतिभागी अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इस अनुबंध में अत्यंत विशाल (लगभग एक एकड़) स्थल या प्लॉट पर इंडिया पवेलियन की स्थापना करने का उल्लेख किया गया। यह उस आर्थिक गतिविधि से जुड़े अवसर के अनुरूप है जिसके जरिए भारत को वर्ष 2025 तक पांच लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर की अर्थव्यवस्था में तब्दील होना है। फिक्की को इस एक्स्पो में भारत की मौजूदगी सुनिश्चित करने से जुड़ी तैयारियां करने में भारत सरकार की मदद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस पवेलियन को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित किया जा रहा है। ‘इंडिया पवेलियन’ में अपनी भागीदारी के लिए प्रमुख उद्योग और कारोबारी केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठा रहे हैं।