आतंकवादी सगठनों को प्रतिबंधित करने में देरी पर नाराजगी जताई
नई दिल्ली / संयुक्त राष्ट्र : भारत ने आतंकवादी संगठन घोषित किए गए समूहों के नेताओं को प्रतिबंधित करने में अनावश्यक रूप से विलम्ब करने की नीति के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सख्त शब्दों में आलोचना की है। यह आपत्ति पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश को तकनीकी आधार पर दरकिनार करने के निर्णय के प्रति थी.
मिडीया में आई रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने सोमवार को आतंकवादी संगठनों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाने में विफलता पर परिषद की तीव्र आलोचना की. उन्होंने यहाँ तक कहा कि सुरक्षा परिषद अपने ही ‘समय के जाल और सियासत’ में फंस गई है।
विचार करने में नौ माह लगाए
सुरक्षा परिषद के समतामूलक प्रतिनिधित्व और सदस्यता में वृद्धि पर आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि हर दिन आतंकवादी हमारी सामूहिक अंतरात्मा आहत करते हैं. लेकिन सुरक्षा परिषद ने इस पर विचार करने में नौ माह लगाए कि इस आतंकी संगठन के नेताओं पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं.
चीन का अडंगा
उल्लेखनीय है कि इससे पहले, इसी साल चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर को आतंकवादी ठहराने के भारत के कदम पर ‘तकनीकी स्थगन’ लगा दिया था. तकनीकी स्थगन का छह माह का अंतराल सितंबर में खत्म हो गया तह लेकिन चीन ने तीन माह का एक दूसरा स्थगन बढाने की घोषणा की थी.
सुधार की गति कछुए की चाल जैसी
भारतीय राजनयिक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की गति की तुलना कछुए की चाल से की. साथ ही अफसोस भी जताया व कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात के प्रति ‘बेरूख’ विश्व निकाय में तुरंत सुधार के लिए ‘गतिरोध को समाप्त करने का यह सही समय है. अकबरूद्दीन ने साफ कहा कि इस साल मानवीय स्थितियों आतंकवादी खतरों और शांतिरक्षण की समस्याओं के प्रति कदम उठाने में यह विश्व निकाय अक्षम रहा है.
राजनीतिक पंगुता की शिकार
उन्होंने कहा, ‘सीरिया व दक्षिण सूडान जैसे अहम मुद्दों से निबटने में हमने खंडित कार्रवाई देखी. इन्हें सहमति के महीनों बाद भी लागू नहीं किया जा सका .’ भारतीय राजनयिक ने बेहद कड़े शब्दों में कहा, ‘कि समय और सियासत के अपने ही जाल में उलझी सुरक्षा परिषद तदर्थवाद और राजनीतिक पंगुता के आधार पर जैसे तैसे काम करती हुयी दिख रही है . उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर चर्चाओं का अंतहीन सिलसिला चल रहा है.
वैधता और साख पर गंभीर सवाल
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘सत्तर साल पहले तय की गई इसकी सदस्यता,खास कर स्थाई श्रेणी में प्रतिनिधित्व की कमी इसकी वैधता और साख पर गंभीर सवाल खड़े करती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि मौजूदा संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष पीटर थामसन के कार्यकाल में सुधार को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया संभव हो सकेगी.