सेंट्रल रेलवे और वेस्टर्न रेलवे मुंबई व ठाणे के पांच ‘किलर स्पॉट्स’

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मुम्बई। मुंब्रा गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने हाल ही में ट्रेसपासिंग से होने वाली मौतों का आकड़ा जारी किया है। ये आंकड़े कहीं न कहीं दर्शाते हैं कि केंद्र और वेस्टर्न रेलवे की ओर से विकास के किए जाने वाले बड़े-बड़े दावे असल में कितने खोखले हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक़ इस बात का खुलासा हुआ है कि जनवरी 2016 से नवंबर 2018 के बीच शहर के पांच स्थानों में रेलवे ट्रैक को पार करते हुए 286 लोगों की मौत हुई है। रेलवे अधिकारी इन्हें ‘किलर स्पॉट्स’ के रूप में जानते हैं। बता दें कि यहां पर हुई घटनाएं या तो ट्रैक के नजदीक टूटी हुई बाउंड्री के चलते हुईं, या ट्रैक के नजदीक बनी हुई झुग्गियां इन हादसों का कारण बनीं। इन सबके इतर फुट ओवरब्रिजों की कमी और ट्रैकों के इर्द-गिर्द सकरापन भी घटनाओं का कारण बना है।

पांच स्टेशन, ऐसा है आंकड़ा

जनवरी 2016 से जुलाई 2017 तक स्टेशनों के बीच 45 लोगों की मौत की खबरें सामने आईं। रेलवे के उत्तर में एक खौफनाक जगह पर 41 लोगों ने दम तोड़ा, वहीं के उत्तर में एक स्थान पर 40 पैदलायात्रियों की मौत हुई। कुछ इसी तरह, पर ट्रैक पार करते हुए 38 लोगों की मौत हुई और ठाणे एवं मुंब्रा के बीच हादसों में 35 लोगों की मौत की बात सामने आई।

अगस्त 2017 से नवंबर 2018 तक इकट्ठा किए गए डेटा में दर्शाया गया है कि कुर्ला और विद्याविहार के बीच 18 मौतें हुई हैं जबकि ठाणे में 13 लोगों की, दीवा स्टेशन पर 24, जोगेश्वरी पर 22 और ठाणे-कलवा के बीच 10 लोगों ने हादसों में दम तोड़ दिया। हैरान करने वाली बात तो यह है कि ये आंकड़े सिर्फ उन लोगों से जुड़े हैं, जिनकी मौत ट्रैक पार करते वक्त हुई। मुंबई के उपनगरीय नेटवर्क में कुल मरने वालों की आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो इनकी संख्या बहुत अधिक है, एक आकलन के तौर पर नौ व्यक्ति प्रतिदिन।

2017 में 3,014 से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत, रेलवे ऐक्टिविस्ट समीर झवेरी की ओर से डाली गई आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ कि मुंबई उपनगरीय नेटवर्क में वर्ष 2017 में 3,014 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पांच में चार बड़े ट्रेसपासिंग पॉइंट्स सेंट्रल रेलवे पर स्थित हैं।

अधिकारियों ने स्पष्ट किया हादसों का कारण

पिछले कुछ वर्षों में रेलवे अधिकारियों की ओर से इन किलर स्पॉट्स पर ट्रेसपासिंग के पीछे कई वजहें स्पष्ट की गई हैं। हादसों की वजह ट्रैक के नजदीक झुग्गियां होना, स्टेशनों पर यात्रियों की तुलना में पुलों की संख्या में कमी भी बताई गई है। कुछ स्थानों में, जैसे कि दीवा और जोगेश्वरी के नजदीक पुलों का बेहद सकरा होना भी इन घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक है। दूसरी वजह बाउंड्री वॉल्स का अव्यवस्थित होना भी है, जिसके चलते लोग जल्दबाजी में उसे रास्ता मानकर दीवार लांघकर ट्रैक पार कर जाते हैं।

‘जल्द बंद हो जाएगा जोगेश्वरी में लेवल क्रॉसिंग गेट’,
वेस्टर्न रेलवे के चीफ पीआरओ रवींद्र भाकर ने बताया कि, ‘जोगेश्वरी में लेवल क्रॉसिंग गेट जल्द ही बंद हो जाएगा। हम यहां भीड़ का आकलन करने की प्रक्रिया में हैं और कोई भी कदम उठाने से पहले स्थानीय प्रशासन के साथ सामंजस्य बना रहे हैं। एक फुटओवर ब्रिज पहले ही तैयार कर दिया गया है और उसे ईस्ट से वेस्ट जाने के लिए पैदलयात्रियों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।’

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