नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें भ्रष्टाचार निरोधी कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 17 ए के तहत भ्रष्टाचार के मामले में किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी होती है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने उक्त कानून की संशोधित धारा 17 ए की वैधता के खिलाफ गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा।
संगठन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि संशोधित प्रावधान के तहत सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में जांच शुरू करने से पहले उनके नियोक्ता प्राधिकार की मंजूरी लेनी अनिवार्य है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि आप सुने जाने के हकदार हैं और इसलिये हमने नोटिस जारी किया है।’’