प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के पीएम मोदी के बयान पर फंसा मानव संसाधन मंत्रालय

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हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने आरटीआई से माँगा जवाब 

लगभग एक साल बाद भी नहीं मिला जवाब 

सी.आई.सी ने कहा मंच की आर टी आई पर कार्रवाई करे पीएमओ

 
फरीदाबाद । केन्द्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्देश दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के एक बयान के मद्देनजर हरियाणा अभिभावक एकता मंच द्वारा दायर आर.टी.आई. पर उचित कार्यवाही करते हुए मानव संसाधन मंत्रालय को जवाब देने को कहे। मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) राधाकृष्ण माथुर ने उपरोक्त निर्देश मंच की ओर से प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा द्वारा 2 नवम्बर 2017 को सीआईसी में दायर द्वितीय अपील पर दिया है।
 
उल्लेखनीय है कि कैलाश शर्मा ने दिनांक 26.6.2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई लगाकर पूछा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आगरा में 20.16.2016 को बयान दिया था कि आज जब गरीब व मध्यम वर्ग के लोग बच्चों को प्रवेश दिलाने स्कूल जाते हैं, तो उनसे नोट मांगे जाते हैं। ऐसे में इन्हें अपना सफेद धन काला करके देना पड़ता है, नहीं देते हैं तो बच्चों को प्रवेश नहीं मिलता। पर अब यह व्यवस्था नहीं चलेगी। इसके लिए सरकार उपाय करने जा रही है। पीएमओ इसकी जानकारी दे कि प्रधानमंत्री के बयान के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने वाले अब तक क्या उचित कार्यवाही की है।
 
आश्चर्यजनक रूप से पीएमओ ऑफिस ने आरटीआई का दिनांक 11.8.2017 व 18.10.2017 को जवाब दिया कि मांगी गई सूचना/जानकारी सूचना की परिभाषा में शामिल नहीं है। कैलाश शर्मा ने पीएमओ के जवाब से असहमति जताते हुए दिनांक 2.11.2017 को सीआईसी में द्वितीय अपील दायर की, जिसकी सुनवाई 16.10.2018 को सीआईसी ऑफिस दिल्ली में हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सीआईसी ने 18.10.2018 को फैसला दिया कि यह जनहित का मुद्दा है अत: पीएमओ कैलाश शर्मा की आरटीआई को धारा 6(3) के तहत मानव संसाधन मंत्रालय को 5 दिन के अंदर भेजे तथा मानव संसाधन मंत्रालय भी 15 दिन के अंदर आवेदक कैलाश शर्मा को आरटीआई में मांगी गई जानकारी प्रदान करे।
 
मंच ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है। मंच का कहना है कि चुनावों के समय वोट लेने के लिए जनहित के मुद्दे पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए जाने वाले बयान की सत्यता जानने का अधिकार आम जनता को है। सीआईसी ने इसे मानकर न्याय किया है।

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