भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपना गढ़ बचाये रखने को एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। पार्टी के समक्ष चुनौती है कि कैसे राज्य में लगातार चौथी बार सत्ता हासिल की जाये। पिछले पंद्रह सालों से भाजपा के सत्ता में रहने के कारण पार्टी के प्रति जनता में कुछ नकारात्मक रुझान भी है। भाजपा का मार्गदर्शक समझे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस पूरी स्थिति पर गौर करते हुए अपने स्तर पर एक सर्वेक्षण कराया है और भाजपा को अपने वर्तमान 166 विधायकों में से 78 के टिकट काटने का सुझाव दिया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन 78 विधायकों के प्रति जनता में गहरी नाराजगी है और अगर इन्हें दोबारा उम्मीदवार बनाया गया तो भाजपा को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
संघ के इस सर्वेक्षण पर हालांकि भाजपा और संघ के किसी नेता ने टिप्पणी तो नहीं व्यक्त की लेकिन यह जरूर कहा कि हमें तमाम संगठनों से चुनावों के समय और पहले भी कई तरह के सुझाव मिलते रहते हैं लेकिन पार्टी अपने स्तर पर आकलन करती है कि क्या सही है और क्या गलत और उसी के आधार पर निर्णय करती है।
इस सप्ताह मध्य प्रदेश भाजपा चुनाव समिति की एक बैठक भी हुई जिसमें उम्मीदवारों के नामों पर सरसरी तौर पर चर्चा की गयी। बैठक में मध्य प्रदेश के प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे, केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह और प्रदेश के संगठन मंत्री मौजूद थे। यह तय किया गया है कि टिकट उसी को दिया जायेगा जिसके जीतने की संभावना सर्वाधिक हो। इसके अलावा पार्टी उन लोगों को कतई उम्मीदवार नहीं बनायेगी जिनको किसी मामले में अदालत से सजा सुनाई गयी हो।
संघ की ओर से भाजपा को जो सुझाव दिये गये हैं उनमें एक सुझाव यह भी बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी वर्तमान बुधनी सीट छोड़कर गोविन्दपुरा सीट से चुनाव लड़ें। अभी गोविन्दपुरा से बाबूलाल गौर विधायक हैं। वह यहां से 1980 से लगातार 8 बार चुनाव जीत चुके हैं। गौर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और बाद में उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के लिए कुर्सी छोड़ते हुए उनकी कैबिनेट में मंत्री पद स्वीकार किया था। लेकिन गत वर्ष उन्हें उम्र अधिक होने के कारण मंत्री पद से हटा दिया गया था।
शिवराज के गोविन्दपुरा सीट से चुनाव लड़ने के बारे में बताया जा रहा है कि बुधनी में कांग्रेस शिवराज के खिलाफ हाईप्रोफाइल उम्मीदवार उतारने का निर्णय कर चुकी है ताकि मुख्यमंत्री को उनके क्षेत्र में घेर कर रखा जा सके, इसीलिए उन्हें सीट बदलने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन बुधनी जोकि विदिशा संसदीय सीट का हिस्सा है, शिवराज का गढ़ है और शायद ही वह उसे छोड़ कर किसी और सीट पर जाएं।